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विकास वित्तपोषण का गहराता संकट

[English] अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने जो निर्णय लिए हैं उनका सीधा असर विकासशील देशों में विकास वित्तपोषण (डेवलपमेंट फ़ाइनेंसिंग) पर पड़ा है। उदाहरण के लिए, अमरीकी सरकार की दाता एजेंसी (यूएसएआईडी) के फ़िलहाल बंद हो जाने से अनेक अफ्रीकी देशों में एचआईवी के साथ जीवित लोग जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवाएँ लेने में असमर्थ हो सकते हैं। दक्षिण एशिया के देशों में 16 लाख परिवार मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य सेवा से वंचित हो सकते हैं। अमरीका ने जिस तरह से विकास वित्तपोषण को एक झटके में खंडित किया है, उसकी निंदा तो होनी चाहिए, परंतु जो देश अमरीकी अनुदान से विकास वित्तपोषण कर रहे थे, उनको भी विवेचना करनी होगी कि विकास का वित्तपोषण किसकी मूल जिम्मेदारी है और लोगों की प्राथमिकता क्या है? और वे 'विकास' की आड़ में किन शर्तों पर अनुदान और अमीर देशों के बैंक से क़र्ज़ ले रहे थे?

"नोटा" का चुनाव-नतीजे पर सीधा असर क्यों नहीं?

[English] सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब "नोटा" (None Of The Above/ 'नन ऑफ द एबव', यानि 'इनमें से कोई नहीं') का बटन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर होता है पर चाहे "नोटा" वोटों की संख्या कितनी भी अधिक हो इसका चुनाव नतीजे पर कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ता. एक तरफ चुनाव आयोग का कार्य प्रशंसनीय है कि चुनाव प्रणाली पिछले सालों में निरंतर दुरुस्त हो रही है, अलबत्ता धीरे धीरे. दूसरी ओर लोकतंत्र में "नोटा" अभी भी मात्र 'कागज़ी शेर' जैसा ही है जो चिंताजनक है.

सरकारी तनख्वाह लेने वाले व जन प्रतिनिधियों के बच्चों के लिए सरकारी विद्यालय में पढ़ना अनिवार्य हो

मेगसेसे पुरुस्कार से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि 18 अगस्त, 2015 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2013 की रिट याचिका संख्या 57476 व अन्य के संदर्भ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल का आदेश आया जिसके तहत छह माह की अवधि में ऐसी व्यवस्था बनानी थी कि सभी सरकारी तनख्वाह पाने वाले लोगों व जन प्रतिनिधियों के बच्चों को सरकारी विद्यालयों में दाखिला लेना था।

जनता उम्मीदवारों से पूछे उनके बच्चे सरकारी विद्यालय में पढ़ते हैं या नहीं?

सरकारी चिकित्सालय में इलाज कराना भी अनिवार्य हो
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं। कुछ दिनों पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले कि सरकारी तनख्वाह पाने वालों व जन प्रतिनिधियों के बच्चों को अनिवार्य रूप से सरकारी विद्यालय में पढ़ना होगा के आलोक में सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) जनता का आह्वान करती है कि वे इन चुनावों में खड़े होने वालों उम्मीदवार से पूछना शुरू करें के उनके बच्चे सरकारी विद्यालय में पढ़ते हैं अथवा नहीं? उच्च न्यायालय के आदेशानुसार यह व्यवस्था अगले शैक्षणिक सत्र से लागू होनी चाहिए।

किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने पर सोशलिस्ट पार्टी का अनशन समाप्त हुआ

सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के उन्नाव जिलाध्यक्ष अनिल मिश्रा के नेतृत्व में 8 जनवरी 2015 से हो रहे अनिश्चितकालीन अनशन 9 जनवरी 2015 को समाप्त हुआ जब उन्नाव के कुछ अन्न-क्रय केन्द्रों से खरीद आरंभ हो गयी। सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के कार्यकर्ताओं ने किसान-विरोधी भू-अधिग्रहण अध्यादेश की प्रतियाँ गांधी प्रतिमा, हजरतगंज, लखनऊ पर 9 जनवरी को जलाईं।

समान शिक्षा प्रणाली लागू हो: डॉ संदीप पाण्डेय

सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) ने सरकारी तनख्वाह लेने वाले व जन प्रतिनिधियों के बच्चों के लिए सरकारी विद्यालय में पढ़ना अनिवार्य हो की मांग को ले कर एक हफ्ते के अभियान का समापन किया। इस दौरान बेसिक शिक्षा निदेशालय, निशातगंज, माध्यमिक शिक्षा कार्यालय, पार्क रोड व बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय, जगत नारायण रोड के सामने भी प्रदर्शन किए। 30 सितम्बर से 6 अक्टूबर, 2014 तक रोज दिन में 11 बजे से 12 बजे तक प्रदर्शन हुए।

योजना आयोग विवाद : योजना और शासन का विकेंद्रीकरण हो, न कि निजीकरण

सोशलिस्ट पार्टी ने कई बार योजना आयोग की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया हैा क्‍योंकि योजना आयोग की स्‍थापना संविधान लागू हो जाने के सात सप्‍ताह बाद केबिनेट ने  एक प्रस्‍ताव के जरिए की थीा आजादी के शुरूआती दौर में योजना आयोग की एक प्रस्‍ताव की मार्फत स्‍थापना की कुछ सार्थकता बनती थी क्‍योंकि सरकार के प्रस्‍ताव में कहा गया था कि योजना निर्माण का काम संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों और राज्‍य के नीति-निर्देशक तत्‍वों की रोशनी में किया जाएगाा प्रस्‍ताव में आगे इस बात पर बल दिया गया था कि योजना आयोग की सफलता सभी स्‍तरों पर लोगों की सहभागिता के आधार पर काम करने पर निर्भर करेगी।

सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) गैस का मूल्य दोगुणा करने के सरकारी फैसले के खिलाफ

पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने चुनाव के बीच में ही गैस के मूल्य को चुनाव के तुरंत बाद एक अधिसूचना जारी कर दोगुणा करने का फैसला ले लिया है। मुख्य बात यह है कि यह मूल्य वृद्धि 1 अप्रैल, 2014 से प्रभावी मानी जाएगी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने चुनाव आयोग व प्रधान मंत्री को पत्र लिख इस अवैध आदेश को रोकने की मांग की है। सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि जनसत्ता अखबार को छोड़ यह खबर कहीं छपी नहीं। ऐसा क्यों?

मिश्रिख से सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के उम्मीदवार हैं हरिनाम

वर्तमान लोक सभा चुनाव में विभिन्न किस्म की पार्टियां सक्रिय हैं। कुछ धर्म के आधार पर समाज को बांटने वाली साम्प्रदायिक शक्तियों को बढ़ावा देती हैं तो दूसरी ओर पूंजीवाद की हितैषी हैं। पूंजीवादी पार्टियां इस देश के किसान-मजदूर-गरीब के खिलाफ फैसले लेती हैं। सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) धर्म, जाति, वर्ग, लिंग, आदि मानव निर्मित विभाजनों से ऊपर उठकर समतामूलक समाज स्थापित करने व हरेक इंसान की बराबरी व सम्मान के सिद्धांत में विश्वास करती है।

विश्व बैंक पानी निजीकरण को बंद करे: संगठनों की मांग

[English] पानी-अधिकार संस्थाओं ने विश्व बैंक से आह्वान किया कि वे विकास की आड़ में पानी निजीकरण करना बंद करे. इंटरनेशनल फ़ाइनेंस कार्पोरेशन (आईएफ़सी) के जरिये विश्व बैंक विकासशील देशों में पानी निजीकरण के प्रोजेक्ट को समर्थन देता आ रहा है। हालांकि अधिकांश ऐसे प्रोजेक्ट या तो संघर्ष कर रहे हैं या असफल हो गए हैं परंतु विश्व बैंक इनको ‘सफल’ प्रोजेक्ट की तरह ही मानता आ रहा है।

अधिकतम चुनाव खर्च सीमा को बढ़ाना जन विरोधी

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का मानना है कि चुनाव आयोग द्वारा अधिकतम चुनाव खर्च सीमा को 25 लाख रुपए से बढ़ा कर 70 लाख रुपए करना और जमानत राशि 10 हज़ार रुपए से बढ़ा कर 25 हज़ार करना जन विरोधी है। अधिकतम चुनाव खर्च सीमा और जमानत राशि को बढ़ाने से अमीर पैसे वाले उम्मीदवारों और पार्टियों के लिए ही चुनाव लड़ना आसान होगा और अधिकांश गरीब जनता के लिए अत्यंत मुश्किल।

जिस मीडिया ने अरविंद केजरीवाल को बनाया उसी को कोस रहे

सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) का कहना है कि अरविंद केजरीवाल का ताजा आरोप मीडिया पर है। उनका कहना है कि मीडिया पैसे लेकर नरेन्द्र मोदी को ज्यादा दिखा रही है। उन्होंने जब उनकी सरकार बन जाएगी तो जांच करवा कर सबको जेल भेजने का भी ऐलान कर दिया है। सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मेगसेसे पुरुस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पाण्डेय का कहना है कि केजरीवाल को यह याद रखना चाहिए कि उनका आंदोलन भी मीडिया की ही देन है।