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विकास वित्तपोषण का गहराता संकट
[English] अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने जो निर्णय लिए हैं उनका सीधा असर विकासशील देशों में विकास वित्तपोषण (डेवलपमेंट फ़ाइनेंसिंग) पर पड़ा है। उदाहरण के लिए, अमरीकी सरकार की दाता एजेंसी (यूएसएआईडी) के फ़िलहाल बंद हो जाने से अनेक अफ्रीकी देशों में एचआईवी के साथ जीवित लोग जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवाएँ लेने में असमर्थ हो सकते हैं। दक्षिण एशिया के देशों में 16 लाख परिवार मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य सेवा से वंचित हो सकते हैं। अमरीका ने जिस तरह से विकास वित्तपोषण को एक झटके में खंडित किया है, उसकी निंदा तो होनी चाहिए, परंतु जो देश अमरीकी अनुदान से विकास वित्तपोषण कर रहे थे, उनको भी विवेचना करनी होगी कि विकास का वित्तपोषण किसकी मूल जिम्मेदारी है और लोगों की प्राथमिकता क्या है? और वे 'विकास' की आड़ में किन शर्तों पर अनुदान और अमीर देशों के बैंक से क़र्ज़ ले रहे थे?
"नोटा" का चुनाव-नतीजे पर सीधा असर क्यों नहीं?

सरकारी तनख्वाह लेने वाले व जन प्रतिनिधियों के बच्चों के लिए सरकारी विद्यालय में पढ़ना अनिवार्य हो
मेगसेसे पुरुस्कार से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि 18 अगस्त, 2015 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2013 की रिट याचिका संख्या 57476 व अन्य के संदर्भ में न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल का आदेश आया जिसके तहत छह माह की अवधि में ऐसी व्यवस्था बनानी थी कि सभी सरकारी तनख्वाह पाने वाले लोगों व जन प्रतिनिधियों के बच्चों को सरकारी विद्यालयों में दाखिला लेना था।
जनता उम्मीदवारों से पूछे उनके बच्चे सरकारी विद्यालय में पढ़ते हैं या नहीं?
सरकारी चिकित्सालय में इलाज कराना भी अनिवार्य हो
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं। कुछ दिनों पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले कि सरकारी तनख्वाह पाने वालों व जन प्रतिनिधियों के बच्चों को अनिवार्य रूप से सरकारी विद्यालय में पढ़ना होगा के आलोक में सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) जनता का आह्वान करती है कि वे इन चुनावों में खड़े होने वालों उम्मीदवार से पूछना शुरू करें के उनके बच्चे सरकारी विद्यालय में पढ़ते हैं अथवा नहीं? उच्च न्यायालय के आदेशानुसार यह व्यवस्था अगले शैक्षणिक सत्र से लागू होनी चाहिए।
उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव होने जा रहे हैं। कुछ दिनों पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले कि सरकारी तनख्वाह पाने वालों व जन प्रतिनिधियों के बच्चों को अनिवार्य रूप से सरकारी विद्यालय में पढ़ना होगा के आलोक में सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) जनता का आह्वान करती है कि वे इन चुनावों में खड़े होने वालों उम्मीदवार से पूछना शुरू करें के उनके बच्चे सरकारी विद्यालय में पढ़ते हैं अथवा नहीं? उच्च न्यायालय के आदेशानुसार यह व्यवस्था अगले शैक्षणिक सत्र से लागू होनी चाहिए।
किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने पर सोशलिस्ट पार्टी का अनशन समाप्त हुआ
सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के उन्नाव जिलाध्यक्ष अनिल मिश्रा के नेतृत्व में 8 जनवरी 2015 से हो रहे अनिश्चितकालीन अनशन 9 जनवरी 2015 को समाप्त हुआ जब उन्नाव के कुछ अन्न-क्रय केन्द्रों से खरीद आरंभ हो गयी। सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के कार्यकर्ताओं ने किसान-विरोधी भू-अधिग्रहण अध्यादेश की प्रतियाँ गांधी प्रतिमा, हजरतगंज, लखनऊ पर 9 जनवरी को जलाईं।
सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के उन्नाव जिलाध्यक्ष अनिल मिश्रा के नेतृत्व में 8 जनवरी 2015 से हो रहे अनिश्चितकालीन अनशन 9 जनवरी 2015 को समाप्त हुआ जब उन्नाव के कुछ अन्न-क्रय केन्द्रों से खरीद आरंभ हो गयी। सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के कार्यकर्ताओं ने किसान-विरोधी भू-अधिग्रहण अध्यादेश की प्रतियाँ गांधी प्रतिमा, हजरतगंज, लखनऊ पर 9 जनवरी को जलाईं।
समान शिक्षा प्रणाली लागू हो: डॉ संदीप पाण्डेय

योजना आयोग विवाद : योजना और शासन का विकेंद्रीकरण हो, न कि निजीकरण
सोशलिस्ट पार्टी ने कई बार योजना आयोग की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया हैा क्योंकि योजना आयोग की स्थापना संविधान लागू हो जाने के सात सप्ताह बाद केबिनेट ने एक प्रस्ताव के जरिए की थीा आजादी के शुरूआती दौर में योजना आयोग की एक प्रस्ताव की मार्फत स्थापना की कुछ सार्थकता बनती थी क्योंकि सरकार के प्रस्ताव में कहा गया था कि योजना निर्माण का काम संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों की रोशनी में किया जाएगाा प्रस्ताव में आगे इस बात पर बल दिया गया था कि योजना आयोग की सफलता सभी स्तरों पर लोगों की सहभागिता के आधार पर काम करने पर निर्भर करेगी।
सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) गैस का मूल्य दोगुणा करने के सरकारी फैसले के खिलाफ

मिश्रिख से सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के उम्मीदवार हैं हरिनाम

विश्व बैंक पानी निजीकरण को बंद करे: संगठनों की मांग
[English] पानी-अधिकार संस्थाओं ने विश्व बैंक से आह्वान किया कि वे विकास की आड़ में पानी निजीकरण करना बंद करे. इंटरनेशनल फ़ाइनेंस कार्पोरेशन (आईएफ़सी) के जरिये विश्व बैंक विकासशील देशों में पानी निजीकरण के प्रोजेक्ट को समर्थन देता आ रहा है। हालांकि अधिकांश ऐसे प्रोजेक्ट या तो संघर्ष कर रहे हैं या असफल हो गए हैं परंतु विश्व बैंक इनको ‘सफल’ प्रोजेक्ट की तरह ही मानता आ रहा है।
अधिकतम चुनाव खर्च सीमा को बढ़ाना जन विरोधी

जिस मीडिया ने अरविंद केजरीवाल को बनाया उसी को कोस रहे

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