जत्था के लिए आह्वान
- नंदीग्राम से नर्मदा और नर्मदा से गोरे (मुम्बई) तक -
जन आन्दोलनों को जोड़ता हुआ एक जत्था
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(ये नोट अंग्रेजी में मौलिक रुप से लिखा गया था. इसका हिन्दी अनुवाद करने की कोशिश की गयी है. त्रुटियों के लिए छमा कीजिए. मौलिक पत्र अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यह क्लिक्क करें)
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नंदीग्राम के संघर्ष ने एक इतिहास बना दिया है. पूंजीवादियों के हित में जिस तरह से बाज़ार और धन ने भारत की राजनीती और नीतियों पर जो कु-प्रभावित किया है, व्हो साफ झलकता है न केवल नंदीग्राम में लोगों के संघर्ष से, बल्कि देश भर में चल रहे किसानों के, देड़ी मजदूरों के, दलितों के, आदिवासियों के संघर्ष में भी इसका भयंकर कु-प्रभाव साफ दिखाई देता है. दिल को लुभाने वाला को ‘विकास’ का नारा इस प्रक्रिया में इस्तिमाल होता है, वह न केवल भारत के प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर को नष्ट करता है बल्कि समाज में लोगों के बीच सादगी, लोकतंत्र, और बराबरी के साथ मिलजुल के रहने के स्वाभाव भी नष्ट होता है.
देश भर में अपनी जमीन, रोज़गार, पानी और जीवन-यापन को बचने के लिए महिलाएं, किसान, एवं मजदूर वर्ग अनेकों बडे संगीन संघर्षों से झूझ रहे है. लोगों को रोज़गार देने के लिए ग्रामीण उद्योग, स्वावलम्बी बनने के लिए कृषि और विकास के वैकल्पिक नीतियों के लिए, जिससे कि एक स्थाई विकास के मॉडल सामने उभर सके, आज देश भर में संघर्ष खडे हो गए हैं. परन्तु ६०० सेज (स्पेशल इकनॉमिक ज़ोन) या विशेष आर्थिक ज़ोन को पारित करके हमारी सरकार पूरे जोर से लोगों-पर-केन्द्रित विकास के मॉडल को कुचलने का पूरा प्रयास कर रही है. अनेकों SEZ न केवल अति-आवश्यक कृषि का नाश कर रहे हैं बल्कि प्राकृतिक धरोहर, लोगों के रोज़गार और जीवन-यापन भी नष्ट हो रहे हैं, और इन विस्थापित लोगों को पुनर-स्थापित भी नही किया जा रह है.
हमारे पास कोई विकल्प नही बचा है सिवाए इसके कि इस वैश्वीकरण की प्रक्रिया जिसकी वजह से एक लाख से अधिक किसानों को आत्मा-हत्या करनी पड़ी है, हालांकि इनको किसी भी तरीके से सुसाईड या आत्महत्या नही कहना चाहिऐ, ये साफ कत्ल है गरीब लाचार किसानों का ‘विकास’ के नाम पर, इस वैश्वीकरण की प्रक्रिया को चुनौती देने के अलावा कोई और विकल्प है ही नही.
दुर्भाग्य से जो मुख्य धारा की राजनीती पार्टी हैं, वह ये मानने के लिए तैयार नही है, क्योकि अधिकांश मुख्य धारा की राजनीती पार्टियों ने इम्पेरिअलिस्म, पूंजीवादी और पश्चिम की उपभोगता संस्कृति से समझौता कर लिया है. लोग स्वयम सवाल खडे कर रहे है और जवाब और समाधान भी ढूंढ रहे हैं क्योकि वह जानते हैं कि वह तभी जीवित रह सकते हैं सब वह मंविये संबंधों को, प्रकृति को, लोकतंत्र को और समाजवाद को जीवित रख सकेंगे. ऐसी परिस्थिति में, जरूरत है कि हमलोग देश भर में और देश के बाहर भी चल रहे जन आन्दोलनों को जोड़ दे. नंदीग्राम, महाराष्ट्र, गोया, उड़ीसा आदि में चल रहे आन्दोलनों से हमें नयी उम्मीद मिली है.
ये धयान में रखते हुए, जन आन्दोलनों के राष्ट्रीय समंवाए, एक्शन-२००७, नंदीग्राम, जंगल बचाओ आन्दोलन, समाजवादी जन परिषद, आदि ने मिल के एक मार्च निकलने का आह्वान किया है जो अनेकों प्रदेशों के जन आन्दोलनों जो जोड़ती हुई गुजरेगी.
नंदीग्राम, जो आज न केवल पूंजीवादियों के और सरकार के दबदबे के खिलाफ संघर्ष है बल्कि जन-हित में एक शहीद जैसा प्रतीक मात्र भी है, वहाँ से ये यात्रा या जत्था शुरू होगा.
नंदीग्राम से जत्था २६ जनवरी २००८ को शुरू होगा, और झारखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र आदि से गुज़रता हुआ ४ फरवरी २००८ को गोरे, मुम्बई में खतम होगा.
आप सब से अनुरोध है कि भारी मात्र में इस जत्थे में शामिल हो. खासकर कि नंदीग्राम में, जब ये जत्था आरंभ होगा, विशेष निवेदन है कि शामिल होने का प्रयास कीजिए. २५ जनवरी की शाम तक कलकत्ता या २६ जनवरी की सुबह नंदीग्राम पहुचने की योजना बनाइये.
सम्पर्क:
सक्तिमान घोष- ०३३-२२१९६६८८
सुदिप्तो ०९४३३९७२६६२
- कृषि जमी रक्षा कमिटी
- भूमि उच्छेद प्रतिरोध कमिटी
- एक्शन २००७
- नेशनल हव्केर्स फेडेरेशन
- नर्मदा बचाओ आन्दोलन
- नेशनल अलायंस ऑफ़ पीपुल'एस मोवेमेंट्स
- नेशनल फिश वोर्केर्स फोरम
- समाजवादी जन परिषद, मध्य प्रदेश
- एक्विरा जमीं बचाओ संघर्ष समिति , लोनावाला , महाराष्ट्र
- टाटा धरण ग्रस्त संघर्ष समिति, लोनावाला , महाराष्ट्र
- धारावी, पथ बचाओ समिति , गोरे, मुम्बई
- झारखण्ड क्रांतिकारी मजदूर उनिओं, बोकारो
- जंगल बचाओ आन्दोलन, झारखण्ड
- नगरी हक सुराषा समिति, पिम्परी चिन्चावत, महाराष्ट्र
- उल्गुलन मंच , झारखण्ड
मुक्त श्रीवास्तव जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समंवाए
National Alliance of People's Movements
(NAPM)
Schedule
From Nadigram to Narmda to Gorai: Linking People & Struggles
26th Jan 2008
Yatra launch from Nandigram
Programme at Nandigram
Debjit, Sawapan Da , Saktiman Ghosh
By road
26th Jan 2008
Start form
Nandigram
Reach Singur
Stay over night
in Singur
27th January
Programme at Singur
In the morning
Leave for purulia in the afternoon
Reach Purulia
Programme at purulia in the evening
Start for Bokaro in the night
Anuradh Talwar
28th January
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Reach bokaro in the morning
A full day programme at Bokaro
Stay over night in Bokaro
DC Gohain , Vishwanath Bagi
29th January
Start for Ranchi Early morning
Reach Ranchi late morning
A day prgramme in Ranchi
Go to Jamshedpur (90 km) by road and take a train for Raigarh
2810 HWH MUMBAI MAIL at 23.45
Sanjay Basu Malik
and Ghanshyam
30 January
Reach Raigarh at 4.59 in the morning
Programme at Raigarh
One can also take a train from Raigarh at 16.50 and reach Bilaspur at 20.15 ( train no- 3275)
Take a train from Bilaspur at 22.20 to Satana at by
88201 DURG GKP EXPRES
Gautam and others
By Train
31st January
Reach Satna at 6.15 and start for Rewa (50 Km) by road
Programme at in Rewa
Take a train from Satna at 23.15 to Khandawa by
9048 BGP SURAT EXP
Sunil Bhai and Subrat
By road / train
1st February
Reach Khandawa at 9.45 and start for Badwani from Khndawa
Reach Badwani
Meeting at Badwani and stay over night
Stay over Night
Medha Patkar
2nd February
reach Narmada Valley
Programme at Narmada Valley
Leave for Pune in the night
Medha Patkar and others
3rd February
Reach Pune in the morning
Programme at Pimpari , Chinchawat Pune
Leave for Gorai and stay overnight at Gorai
Maruti Bhapkar , Palekar ji and Prasad Bagve
By Road
4th February
Programme at Gorai
The Yatra Concludes
Chandrashekhar and Ulka mahajan