लखनऊ, मेरठ के 85 वर्षीय लोकतान्त्रिक सेनानी कृष्ण कुमार खन्ना नें ‘सर्वोदय मण्डल’ के माध्यम से मेरठ के जिला जज के अधीन अदालतों में पेशकारों व अहलकारों द्वारा प्रतिदिन ली जा रही रिश्वत की रोकथाम करने हेतु 66 पत्र लिखे, जब कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने आर.टी.आई. के तहत दि. 14.05.07 को इसी आशय की चार-सूचनाएं माँगी, पंजीकृत डाक से भेजे गये निवेदन को जिला जज के जनसूचना-अधिकारी बच्चू लाल ने लेने से ही मना कर दिया।
कृष्ण कुमार ने सूचना आयोग में शिकायत दाखिल करके जुर्माना लगाने व सूचनाएं दिलाने की प्रार्थना की, सुनवाई की आधा दर्जन तिथियाँ लगी, जिसमें जिला-जज के जन सूचना अधिकारी या उनके प्रतिनिधि एक बार भी आयोग में उपस्थित नहीं हुये तो दि0 11.01.08 को सूचना आयुक्त डॉ. अशोक कुमार गुप्ता ने रू0 २५०००/- का जुर्माना लगाया, सुनवाई जारी रही। आयोग की अनुमति दि0 16.04.08 को परिवादी कृष्ण कुमार आयोग में नहीं आये तो उसी दिन एक पक्षीय फैसला देकर लगाये गये जुर्माने को हटा दिया। इस पर परिवादी कृष्ण कुमार ने सूचना-आयुक्त डॉ. अशोक कुमार गुप्ता को पुनर्विचार का प्रार्थना-पत्र दिया जिसे दि0 03.११.09 को स्वीकार कर लिया गया किन्तु लगाये जुर्माने के बारे में कुछ नहीं कहा तथा सुनवाई की अगली तिथि दि0 30.12.09 लगा दी।
अब सुनवाई, सूचना आयुक्त ज्ञानेद्र शर्मा के समक्ष हुई जिसमें परिवादी कृष्ण कुमार के साथ नामचीन आर0टी0आई0 एक्टिविस्ट प्रोफेसर देवदत्त शर्मा व अखिलेश सक्सेना उपस्थित हुवे तथा विपक्षी ज0सू0अ0 या उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। सुनवाई के बाद सूचना आयुक्त ज्ञानेद्रशर्मा ने अन्तिम आदेश को सुरक्षित कर लिया और शीघ्र ही घोषित करने को कहा।
खास बात यह है कि लगभग एक वर्ष छ: महीने गुजरने के बाद भी अन्तिम आदेश अभी सुरक्षित ही है तथा अब फाईल ही नहीं मिल रही है। परिवादी के प्राधिकृत प्रतिनिधि प्रो0 देवदत्त शर्मा का कहना है कि लगभग एक वर्ष तक अन्तिम आदेश को सुरक्षित रखना और अब पत्रावली का न मिलना, विधि से खुला खिलवाड़ है। प्रो. शर्मा ने माँग की है कि राज्यपाल महोदय को दोषी आयुक्तों व सचिव के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही करनी चाहिये।
देव दत्त शर्मा