देश की शान शर्मिला
दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश के करीब छठे भाग पर गैर लोकतांत्रिक सैन्य शासन लगभग पिछले ५० सालों से लागू है ओर इस तथाकथित लोकतंत्र में जो भी संवैधानिक अधिकार एक नागरिक को है वह सब छीन लिए गए हैं। यूँ तो ये सारे अधिकार रोजमर्रा की जिन्दगी का हर क्षण नौकर शाही - शासन सत्ता द्वारा रौंदे जाते हैं पर इसका अहसास सबको गहरे तक नहीं होता और जिसे इसका अहसास गहरे तक हो जाता है । वह इसके प्रतिरोध में उठ खड़ा होता है। ऐसा ही एक नाम है - इरोम चानू शर्मिला का जो देश के उत्तर-पूर्वी हिस्से से जिससे शेष भारत अनजान सा रहता है। वैसे तो यह विस्मयकारी विशिष्टताओं वाला इलाका माना जाता रहा है । उत्तर-पूर्व क्षेत्र में इस समय आठ राज्य है-असम, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, त्रिपुरा और मणिपुर। वह मणिपुर की रहने वाली एक साधारण लड़की आज दुनिया में अहिंसात्मक प्रतिरोध की प्रतीक बन चुकी है। सन १९५८ से मणिपुर में लागू आमर्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट का विरोध तो इसके लागू होने के साथ ही शुरू हुआ क्योंकि एक पन्ने का यह कानून इतना खतरनाक है कि अपने पूरे संविधान की धज्जियां उड़ा देता है।