सही जानकारी ही उचित उपचार है

नीतू यादव, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस  
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हमारे देश में सेक्स से सम्बंधित कई प्रकार की भ्रांतियां व्याप्त हैं। जिनका मुख्य कारण यह है कि हम सेक्स के विषय में खुलकर बात नहीं करना चाहते हैं, जबकि सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों में सेक्स सदा एक रोमांचक विषय रहता है। किन्तु कोई भी व्यक्ति इस विषय पर बात करने को तैयार नहीं होता, क्योंकि सेक्स से सम्बंधित प्रत्येक बात से हमारे समाज में अपराधबोध होता है। अपने यौन ज्ञान की संतुष्टि के लिए प्रायः लोग चित्रों, फिल्मों, एवं इन्टरनेट का प्रयोग करते हैं, जिसमें उपलब्ध कराई गयी जानकारी अधिकतर ग़लत ही नहीं वरन भ्रामक भी होती है जिससे दर्शकों को गलत सन्देश प्राप्त होता है और समाज में भिन्न-भिन्न प्रकार की भ्रांतियां उत्पन्न होती हैं।

शिवानी जायसवाल, जो डा. शकुंतला मिश्रा यूनिवर्सिटी लखनऊ में ऍम.एस.डब्लू की छात्रा हैं, का मानना है कि यौन प्रजनन स्वास्थ्य न सिर्फ स्त्रियों एवं पुरुषों से सम्बंधित है, बल्कि इसका सम्बन्ध बच्चों से भी होता है, क्योंकि यौन जनित बीमारियाँ किसी वर्ग विशेष को नहीं बल्कि किसी को भी ग्रसित कर सकती हैं। इसलिए लोगों को इस विषय में जानकारी होना आवश्यक है। प्रायः लोगों को यौन अंगों एवं यौन स्वास्थ्य के विषय में जानकारी नहीं होती जिसके कारण उनकी बीमारी विकराल रूप धारण कर लेती है।

 इस समस्या के समाधान के लिए आवश्यक है कि युवाओं और किशोरों को इस विषय पर उचित जानकारी प्रदान की जाय तथा संभव हो सके तो यह जानकारी युवाओं और किशोरियों तक स्कूल एवं कालेजों के माध्यम से पहुंचाई जाय ताकि उन तक सही जानकारी पहुँच सके।

 मीताश्री घोष, जो फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया की लखनऊ शाखा में ट्रेनिंग एजुकेशन एडवोकेसी ऑफिसर हैं, पिछले २० सालों से यौन प्रजनन स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम कर रही हैं। आप ने बताया कि प्रजनन वह प्रक्रिया है जिससे समस्त संसार का सञ्चालन होता है। इस प्रक्रिया के अभाव में मानव जीवन पूर्ण नहीं माना जाता। प्रजनन की प्रक्रिया यौन अंगों द्वारा ही पूर्ण होती है। यदि इन अंगों में किसी भी प्रकार के विकार उत्पन्न होते हैं तो इससे मानव जीवन बहुत बुरी तरह से प्रभावित होता है।

 इस प्रकार की समस्याओं से बचने का एकमात्र उपाय है कि हम किशोरावस्था से ही लोगों में इसकी जानकारी तकनीकि रूप से दें ताकि सभी व्यक्ति जागरूक हो सकें और समाज में व्याप्त यौन जनित मिथकों का अंत हो।

 किशोरावस्था एवं युवावस्था प्रयोग की उम्र मानी जाती है जिसके कारण कई बार लोग मिथकों पर विश्वास करके गलत कार्यों में संलग्न हो जाते हैं जिससे उनमें भिन्न-भिन्न प्रकार के यौन संक्रमण उत्पन्न हो जाते हैं। परिणामस्वरूप  मिथ्या धारणाओं  के चलते उनका पूरा व्यक्तित्व मति भ्रंश हो जाता है।

 इन्टरनेट पर उपलब्ध जानकारी प्रायः अश्लील वेब साइट्स से प्राप्त होती हैं जिनके भयंकर दुष्परिणाम होते हैं। अधिकतर यौन अपराधों के पीछे इस प्रकार की अपरिपक्व एवं मिथ्या जानकारी का ही हाथ होता है। इसलिए हमें अपनी यौन सम्बन्धी समस्याओं  जिज्ञासाओं के निवारण के लिए किशोर मैत्री केंद्र, युवा मैत्री केंद्र या फैमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया  जैसे यूथ फ्रेंडली सेंटर्स पर जाना चाहिए क्योंकि अधूरा और भ्रामक ज्ञान सदैव हानिकारक होता है।

हमें उम्मीद है कि सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गए काउंसलिंग केन्द्रों का किशोर एवं युवा आवश्यकतानुसार प्रयोग करके समाज में व्याप्त भ्रांतियों का अंत करेंगे। अगर स्कूलों एवं कालेजों में सेक्स से सम्बंधित शिक्षा एक विषय के रूप में दी जाए तो समस्या का अंत भी किया जा सकता है। जिस प्रकार हम सभी विषय बच्चों के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए पढाते हैं, क्या हम एक विषय उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए नहीं पढ़ा सकते?

नीतू यादव, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
१२ सितम्बर, २०१५