रितेश त्रिपाठी, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
वर्तमान भारतीय आधुनिक समाज विकासशील समाज वाले देशों की श्रेणी में है। भारत तकनीकि रूप से व अन्य विभिन्न क्षेत्रों में बहुत अच्छा विकास कर रहा है। लेकिन जब हम बात करते हैं यौनिक व प्रजनन स्वास्थ्य की तो स्थिति कुछ अच्छी नहीं दिखाई देती क्योंकि जनसँख्या के लिहाज से भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा शिशु व प्रसूति मृत्यु दर है जो बहुत दुखदाई है। इसका कारण हमारा पारंपरिक समाज है जिससे स्वतंत्रता प्राप्ति के इतने वर्ष बाद भी हम इस समस्या से निकल नहीं पा रहे हैं । देश में कितनी मौतें केवल इन्हीं कारणों से हो रही हैं । जागरूकता की कमी के कारण लोग इस समस्या का सामना नहीं कर पा रहे हैं ।
सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार के जागरूकता से सम्बंधित कार्यक्रम व ढेर सारे प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन क्रियान्वयन में भारी समस्या है। लोगों में जागरूकता की कमी है जिसे दूर करने के लिए सरकार द्वारा व सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी भी स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती ।
डा. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के डा. रूपेश कुमार सिंह का यौनिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य के मुद्दे पर कहना है कि वर्तमान समय में किशोर-किशोरियों के लिए मान्यता प्राप्त यौनिक शिक्षा से सम्बंधित संस्थाओं के न होने के कारण किशोर व किशोरी इन्टरनेट का प्रयोग अश्लील कार्यक्रमों को देखने में करते हैं। जिससे वे विभिन्न प्रकार की समाज विरोधी हरकतों को सीखते हैं और विभिन्न प्रकार की गलतियाँ करते हैं जिसका परिणाम उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत गंभीर हो जाता है। बच्चों को इस मुद्दे पर जानकारी देने के लिए सामान्य बात- चीत होनी चाहिए।
परिवार और समाज में इतना संकोच व शर्मिन्दगी लोग महसूस करते हैं इस सन्दर्भ में बात करने में कि इस मुद्दे से सम्बंधित कोई बात समाज में की ही नहीं जा सकती है। डा. सिंह का कहना है कि किशोर और किशोरियों को सेक्स से सम्बंधित यौन शिक्षा, शिक्षण संस्थाओं द्वारा दी जानी चाहिए जिससे कि वे उचित जानकारी पा सकें और उनसे कोई ऐसी गलती न हो जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़े। इस समस्या का समाधान यही है कि समाज में इस मुद्दे से सम्बंधित जागरूकता और युवाओं के साथ बिना संकोच खुले मन से बातचीत। केरल में सेक्स से सम्बंधित शिक्षा को शैक्षणिक संस्थाओं में मान्यता है।
ढाढा गुर्जर डिग्री कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग के डा. दुर्गेश त्रिपाठी का मानना है कि देश में यौनिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है। जब तक देश में राजनीतिक पार्टियाँ इस मुद्दे पर संवेदित नहीं होंगी तब तक इस समस्या का समाधान कर पाना मुश्किल है क्योंकि नेतागण ही इस मुद्दे को संसद में उठा सकते हैं, और क़ानून बना सकते हैं। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि ये सब भी इस मुद्दे की संवेदनशीलता को नहीं समझते। जिस दिन भारत के नेता इस मुद्दे पर ध्यान देने लगेंगे, इस मुद्दे पर कानून बन पाने में सरलता आयेगी और इस कानून का क्रियान्वयन कराके समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
राकेश कुमार यादव, जो कि युवा वर्ग के प्रतिनिधि हैं, का मानना है कि यह गंभीर विषय है।
बहुत से ऐसे युवा हैं जो यौन व प्रजनन के बारे में कुछ नहीं जानते हैं जिसके कारण उन्हें बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। श्री यादव जी का कहना है कि जब किशोर-किशोरियां इस उम्र में आते हैं उससे पहले उन्हें युवावस्था में मानव शरीर में होने वाले हॉर्मोन सम्बन्धी परिवर्तनों के बारे में बताया जाना चाहिए-- चाहे वह शिक्षण संस्थान हो या प्रशिक्षण संस्थान, युवा की उम्र के हिसाब से बताया जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में यौन शिक्षा व प्रजनन स्वास्थ्य की स्थिति बेहद ख़राब है जिसका एक दुःखद परिणाम है यहाँ पर सबसे ज्यादा शिशु मृत्यु दर है और सबसे ज्यादा मातृ मृत्यु दर होना। जब तक शिक्षा व अन्य विभिन्न प्रकार की जागरूकता संबंधी संस्थाएं सक्रिय नहीं की जायेंगी तब तक इस समस्या से निजात नहीं मिलनी है।
भारत सरकार द्वारा राजीव गांधी स्कीम फॉर एम्पावरमेंट फॉर एडोलसेंट गर्ल्स और सबला योजनाओं के माध्यम से सुधार लाने की कोशिश की जा रही है।
रितेश त्रिपाठी, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
१३ सितम्बर २०१५
Photo credit: CNS: citizen-news.org |
सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार के जागरूकता से सम्बंधित कार्यक्रम व ढेर सारे प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन क्रियान्वयन में भारी समस्या है। लोगों में जागरूकता की कमी है जिसे दूर करने के लिए सरकार द्वारा व सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा प्रयास किया जा रहा है लेकिन अभी भी स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती ।
डा. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के डा. रूपेश कुमार सिंह का यौनिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य के मुद्दे पर कहना है कि वर्तमान समय में किशोर-किशोरियों के लिए मान्यता प्राप्त यौनिक शिक्षा से सम्बंधित संस्थाओं के न होने के कारण किशोर व किशोरी इन्टरनेट का प्रयोग अश्लील कार्यक्रमों को देखने में करते हैं। जिससे वे विभिन्न प्रकार की समाज विरोधी हरकतों को सीखते हैं और विभिन्न प्रकार की गलतियाँ करते हैं जिसका परिणाम उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत गंभीर हो जाता है। बच्चों को इस मुद्दे पर जानकारी देने के लिए सामान्य बात- चीत होनी चाहिए।
परिवार और समाज में इतना संकोच व शर्मिन्दगी लोग महसूस करते हैं इस सन्दर्भ में बात करने में कि इस मुद्दे से सम्बंधित कोई बात समाज में की ही नहीं जा सकती है। डा. सिंह का कहना है कि किशोर और किशोरियों को सेक्स से सम्बंधित यौन शिक्षा, शिक्षण संस्थाओं द्वारा दी जानी चाहिए जिससे कि वे उचित जानकारी पा सकें और उनसे कोई ऐसी गलती न हो जिससे उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़े। इस समस्या का समाधान यही है कि समाज में इस मुद्दे से सम्बंधित जागरूकता और युवाओं के साथ बिना संकोच खुले मन से बातचीत। केरल में सेक्स से सम्बंधित शिक्षा को शैक्षणिक संस्थाओं में मान्यता है।
ढाढा गुर्जर डिग्री कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग के डा. दुर्गेश त्रिपाठी का मानना है कि देश में यौनिक एवं प्रजनन स्वास्थ्य का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है। जब तक देश में राजनीतिक पार्टियाँ इस मुद्दे पर संवेदित नहीं होंगी तब तक इस समस्या का समाधान कर पाना मुश्किल है क्योंकि नेतागण ही इस मुद्दे को संसद में उठा सकते हैं, और क़ानून बना सकते हैं। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि ये सब भी इस मुद्दे की संवेदनशीलता को नहीं समझते। जिस दिन भारत के नेता इस मुद्दे पर ध्यान देने लगेंगे, इस मुद्दे पर कानून बन पाने में सरलता आयेगी और इस कानून का क्रियान्वयन कराके समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
राकेश कुमार यादव, जो कि युवा वर्ग के प्रतिनिधि हैं, का मानना है कि यह गंभीर विषय है।
बहुत से ऐसे युवा हैं जो यौन व प्रजनन के बारे में कुछ नहीं जानते हैं जिसके कारण उन्हें बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। श्री यादव जी का कहना है कि जब किशोर-किशोरियां इस उम्र में आते हैं उससे पहले उन्हें युवावस्था में मानव शरीर में होने वाले हॉर्मोन सम्बन्धी परिवर्तनों के बारे में बताया जाना चाहिए-- चाहे वह शिक्षण संस्थान हो या प्रशिक्षण संस्थान, युवा की उम्र के हिसाब से बताया जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में यौन शिक्षा व प्रजनन स्वास्थ्य की स्थिति बेहद ख़राब है जिसका एक दुःखद परिणाम है यहाँ पर सबसे ज्यादा शिशु मृत्यु दर है और सबसे ज्यादा मातृ मृत्यु दर होना। जब तक शिक्षा व अन्य विभिन्न प्रकार की जागरूकता संबंधी संस्थाएं सक्रिय नहीं की जायेंगी तब तक इस समस्या से निजात नहीं मिलनी है।
भारत सरकार द्वारा राजीव गांधी स्कीम फॉर एम्पावरमेंट फॉर एडोलसेंट गर्ल्स और सबला योजनाओं के माध्यम से सुधार लाने की कोशिश की जा रही है।
रितेश त्रिपाठी, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस - सीएनएस
१३ सितम्बर २०१५