विभिन्न सरकारी संस्थाएं और वर्ग एकजुट हो समन्वयन करें कि हर प्रकार की लिंग जनित हिंसा समाप्त हो

सिटीजन न्यूज सर्विस - सीएनएस
अनेक सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लखनऊ कार्यालय में युवाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ बेहतर करने के आशय से कैसे अंतर-विभागीय और अंतर-वर्गीय समन्वयन में सुधार हो इस पर चर्चा की. हर प्रकार की लिंग जनित हिंसा को समाप्त करने के लिए फॅमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने राष्ट्रीय स्तर पर पहल ली हुई है. स्वास्थ्य को वोट अभियान और अन्य संस्थाओं ने इस पहल को समर्थन दिया है और सरकार से अपील की कि बिना अंतर-विभागीय समन्वयन में सुधार हुए लिंग जनित हिंसा पर विराम लगाना मुश्किल होगा.

इस चर्चा की अध्यक्षता विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक द्वारा पुरुस्कृत लखनऊ के वरिष्ठ सर्जन प्रोफेसर (डॉ) रमा कान्त ने की. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की महाप्रबंधक (युवा और स्वास्थ्य) डॉ स्वप्ना दास; एनएचएम महाप्रबंधक डॉ हरी ओम दीक्षित; फॅमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के लखनऊ ब्रांच प्रबंधक कमाल रिज़वी; इनएचएम महाप्रबंधक (प्रशिक्षण) डॉ अनिल मिश्र; सिफ्प्सा की वरिष्ठ सलाहकार अरुणा नारायण; सिफ्प्सा की उप-महाप्रबंधक (सूचना, शिक्षा और संचार) डॉ सविता चौहान; नेशनल पीजी कॉलेज के साइकोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ पीके खत्री और उत्तर प्रदेश नेटवर्क ऑफ़ एचआईवी पोसिटिव के श्री कृष्णा आदि प्रमुख वक्ता रहे.

स्वास्थ्य को वोट अभियान के निदेशक राहुल द्विवेदी ने कहा कि अंतर-विभागीय और अंतर-वर्गीय समन्वयन अति-आवश्यक है जिससे कि सभी सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को समयबद्ध तरीके से पूर्ण रूप से सफल बनाया जाए और इसका लाभ सभी वर्गों तक प्रभावकारी ढंग से पहुंचे. भारत सरकार समेत १९२ देशों की सरकारों ने सतत विकास लक्ष्य को २०३० तक हासिल करने का वायदा किया है. इन 17 सतत विकास लक्ष्यों को अलग-अलग पूरा नहीं किया जा सकता परन्तु सभी को मिल कर हासिल किया जा सकता है. युवाओं के संधर्भ में ये आवश्यक है कि सभी युवाओं को उम्र के अनुरूप स्वास्थ्य जानकारी, शिक्षा और सेवाएँ प्राप्त हो रही हों; शिक्षा और रोज़गार के सभी लाभ आदि मिल रहे हों; सुरक्षित वातावरण मिल रहा हो; आदि.

फॅमिली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के कमाल रिज़वी ने कहा कि सभी वर्गों को एकजुट हो प्रयासरत होना चाहिए कि लंग जनित हिंसा में घरेलू हिंसा, शारीरिक हिंसा, यौनिक हिंसा, मानसिक हिंसा आदि सभी शामिल हैं. इसीलिए हम सरकार से अपील करते हैं कि हर प्रकार की लिंग जनित हिंसा को मानवाधिकार का उल्लंघन माना जाए. राहुल द्विवेदी ने कहा कि एक अन्य महत्वपूर्ण आवश्यकता है ट्रांसजेंडर/ किन्नरों के लिए एचआईवी रोकथाम सेवाओं को आसानी से उपलब्ध कराना। उचित परामर्श न केवल उन्हें एचआईवी की रोकथाम के बारे में सही जानकारी देगा, बल्कि उनके अंदर आत्म-कलंक और भेदभाव की भावना को भी दूर करने में सहायक होगा जिससे कि वे इन सेवाओं का बिना किसी रुकावट के लाभ उठा सकते हैं।

 सिटीजन न्यूज सर्विस - सीएनएस
7 जनवरी, 2017