टीबी से बचाव मुमकिन है और यदि टीबी रोग हो जाए तो सफल इलाज भी सरकारी स्वास्थ्य सेवा में नि:शुल्क उपलब्ध है. परन्तु यदि टीबी की दवाओं से प्रतिरोधकता उत्पन्न हो जाए, यानि कि, दवाएं टीबी बैक्टीरिया पर बेअसर हो जाए, तो इलाज कठिन होता जाता है. जैसे-जैसे टीबी दवाओं से प्रतिरोधकता बढ़ती जाती है वैसे वैसे इलाज भी कठिन होता जाता है और गंभीर प्रतिरोधकता के कारण मृत्यु तक हो सकती है.
एक्स्तेंसिवेली ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (एक्सडीआर टीबी) के रोगियों पर अनेक टीबी की दवाएं बेअसर रहती हैं इसीलिए इलाज संभवत: चंद बची प्रभावकारी दवाओं से ही हो सकता है.
नया शोध क्यों है महत्वपूर्ण?
दक्षिण अफ्रीका में हुए नए शोध के नतीजे चौकाने वाले हैं: 404 एक्सडीआर टीबी के रोगियों पर हुए शोध से ये ज्ञात हुआ कि इन लोगों में से 69% रोगियों ने एक्सडीआर टीबी किसी अन्य रोग-ग्रसित व्यक्ति से प्राप्त की थी. असंतोषजनक संक्रमण नियंत्रण टीबी और अन्य संक्रामक रोगों के फैलने का एक प्रमुख कारण है. अस्पताल हो या कार्यस्थल या समुदाय या घर, संक्रमण नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है. संक्रमण नियंत्रण को तो स्वच्छ भारत अभियान का भी एक अभिन्न अंग होना चाहिए.
एक्सडीआर टीबी के रोगियों के बारे में अक्सर ये भ्रान्ति है कि उन्होंने दवा समय से नहीं ली, दवा लेने में नागा किया, या फिर सही दवाओं से इलाज नहीं किया आदि. पर शोध ने ये साबित किया है कि 69% एक्सडीआर टीबी के रोगियों को एक्सडीआर टीबी किसी अन्य रोग-ग्रसित व्यक्ति से ही प्राप्त हुई थी. यानि कि एक्सडीआर टीबी के 69% रोगियों को इसलिए इतनी खतरनाक टीबी से जूझना पड़ा क्योंकि जिस अस्पताल, कार्यस्थल या अन्य समुदायक स्थान या उनके घर पर टीबी संक्रमित हुई वहाँ संक्रमण नियंत्रण निष्फल था. संक्रमण नियंत्रण के महत्त्व के बारे में तो हम एक अरसे से जानते हैं तो फिर स्वास्थ्य सेवाओं में इसको गंभीरता से क्यों नहीं लिया जाता है?
जन स्वास्थ्य के लिए और सामाजिक न्याय की दृष्टि से ये अत्यंत आवश्यक है कि हम रोगियों पर इलज़ाम न थोपे और उनको संभव इलाज बिना विलम्ब, बिना पूर्वानुमान और पूर्ण सम्मान के साथ प्रदान करें. शोध से ये बात भी पुन: उजागर हुई है कि बुनियादी संक्रमण नियंत्रण को नज़रंदाज़ करना जन स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी भूल रही है.
नयी दवाओं, वैक्सीन और जांचों के लिए अरबों रूपये निवेश करना नि:संदेह जरुरी है पर उतना ही जरुरी है बुनियादी संक्रमण नियंत्रण सुनिश्चित करना. अस्पताल, कार्यस्थल, अन्य सामुदायिक स्थान और घर-बार में संक्रमण नियंत्रण प्रभावकारी ढंग से हो तो न केवल टीबी पर अंकुश लगेगा बल्कि अन्य संक्रामक रोगों पर भी विराम लग सकता है.
नए शोध के बारे में जाने
सेण्टर फॉर डिसीज़ कण्ट्रोल अमरीका एवं अन्य वैज्ञानिक संस्थानों ने न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में इस शोध पत्र को जनवरी 2017 में प्रकाशित किया. कावा-ज़ुलु नेटल दक्षिण अफ्रीका में हुए इस शोध से ये ज्ञात होता है कि एक्सडीआर टीबी के 69% रोगियों को एक्सडीआर टीबी किसी अन्य व्यक्ति से ही संक्रमित हुआ था. यह तो पहले भी पता था कि किसी भी प्रकार की टीबी किसी अन्य रोग-ग्रसित व्यक्ति से संक्रमित होती है. पर दवा प्रतिरोधक टीबी के सम्बन्ध में ये मानना था कि अधिकाँश रोगी संभवत: दवा-प्रतिरोधकता उत्पन्न करते हैं और वे उसके लिए जिम्मेदार हैं या फिर अन्य कारण जैसे कि चिकित्सक आदि ने सही दवाओं से इलाज न किया हो या दवाएं स्वास्थ्य सेवा में निरंतर उपलब्ध न हों या रोगी को दवा खाने के लिए स्वास्थ्य केंद्र पर रोजाना जाने में समस्या आ रही हो आदि.
इस शोध ने बुनियादी संक्रमण नियंत्रण के महत्त्व पर पुन: प्रकाश डाला है और असंतोषजनक संक्रमण नियंत्रण पर सवाल भी उठाया है.
इस शोध ने ये भी साबित किया कि 30% रोगी किसी न किसी रूप से आपस में जुड़े हुए थे - अस्पताल, घर, कार्यस्थल या समुदाय आदि के जरिये, वे आपस में संपर्क में थे. जाहिर है कि एक्सडीआर टीबी उन्हें वही से संक्रमित हुई होगी और ये भी चिंताजनक सत्य है कि अस्पताल, घर, कार्यस्थल या समुदाय आदि पर संक्रमण नियंत्रण असंतोषजनक रहा होगा जिसके कारणवश एक्सडीआर टीबी अन्य लोगों में संक्रमित हुई.
उम्मीद है कि इस शोध को सभी देशों की सरकारें अत्यंत गंभीरता से लेंगी और संक्रमण नियंत्रण को घर, कार्यस्थल, समुदाय और सभी स्वास्थ्य-सेवा केन्द्रों पर बिना विलम्ब सख्ती से लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगी.
बाबी रमाकांत, सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस)
22 जनवरी 2017
एक्स्तेंसिवेली ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी (एक्सडीआर टीबी) के रोगियों पर अनेक टीबी की दवाएं बेअसर रहती हैं इसीलिए इलाज संभवत: चंद बची प्रभावकारी दवाओं से ही हो सकता है.
नया शोध क्यों है महत्वपूर्ण?
दक्षिण अफ्रीका में हुए नए शोध के नतीजे चौकाने वाले हैं: 404 एक्सडीआर टीबी के रोगियों पर हुए शोध से ये ज्ञात हुआ कि इन लोगों में से 69% रोगियों ने एक्सडीआर टीबी किसी अन्य रोग-ग्रसित व्यक्ति से प्राप्त की थी. असंतोषजनक संक्रमण नियंत्रण टीबी और अन्य संक्रामक रोगों के फैलने का एक प्रमुख कारण है. अस्पताल हो या कार्यस्थल या समुदाय या घर, संक्रमण नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है. संक्रमण नियंत्रण को तो स्वच्छ भारत अभियान का भी एक अभिन्न अंग होना चाहिए.
एक्सडीआर टीबी के रोगियों के बारे में अक्सर ये भ्रान्ति है कि उन्होंने दवा समय से नहीं ली, दवा लेने में नागा किया, या फिर सही दवाओं से इलाज नहीं किया आदि. पर शोध ने ये साबित किया है कि 69% एक्सडीआर टीबी के रोगियों को एक्सडीआर टीबी किसी अन्य रोग-ग्रसित व्यक्ति से ही प्राप्त हुई थी. यानि कि एक्सडीआर टीबी के 69% रोगियों को इसलिए इतनी खतरनाक टीबी से जूझना पड़ा क्योंकि जिस अस्पताल, कार्यस्थल या अन्य समुदायक स्थान या उनके घर पर टीबी संक्रमित हुई वहाँ संक्रमण नियंत्रण निष्फल था. संक्रमण नियंत्रण के महत्त्व के बारे में तो हम एक अरसे से जानते हैं तो फिर स्वास्थ्य सेवाओं में इसको गंभीरता से क्यों नहीं लिया जाता है?
जन स्वास्थ्य के लिए और सामाजिक न्याय की दृष्टि से ये अत्यंत आवश्यक है कि हम रोगियों पर इलज़ाम न थोपे और उनको संभव इलाज बिना विलम्ब, बिना पूर्वानुमान और पूर्ण सम्मान के साथ प्रदान करें. शोध से ये बात भी पुन: उजागर हुई है कि बुनियादी संक्रमण नियंत्रण को नज़रंदाज़ करना जन स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी भूल रही है.
नयी दवाओं, वैक्सीन और जांचों के लिए अरबों रूपये निवेश करना नि:संदेह जरुरी है पर उतना ही जरुरी है बुनियादी संक्रमण नियंत्रण सुनिश्चित करना. अस्पताल, कार्यस्थल, अन्य सामुदायिक स्थान और घर-बार में संक्रमण नियंत्रण प्रभावकारी ढंग से हो तो न केवल टीबी पर अंकुश लगेगा बल्कि अन्य संक्रामक रोगों पर भी विराम लग सकता है.
नए शोध के बारे में जाने
सेण्टर फॉर डिसीज़ कण्ट्रोल अमरीका एवं अन्य वैज्ञानिक संस्थानों ने न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में इस शोध पत्र को जनवरी 2017 में प्रकाशित किया. कावा-ज़ुलु नेटल दक्षिण अफ्रीका में हुए इस शोध से ये ज्ञात होता है कि एक्सडीआर टीबी के 69% रोगियों को एक्सडीआर टीबी किसी अन्य व्यक्ति से ही संक्रमित हुआ था. यह तो पहले भी पता था कि किसी भी प्रकार की टीबी किसी अन्य रोग-ग्रसित व्यक्ति से संक्रमित होती है. पर दवा प्रतिरोधक टीबी के सम्बन्ध में ये मानना था कि अधिकाँश रोगी संभवत: दवा-प्रतिरोधकता उत्पन्न करते हैं और वे उसके लिए जिम्मेदार हैं या फिर अन्य कारण जैसे कि चिकित्सक आदि ने सही दवाओं से इलाज न किया हो या दवाएं स्वास्थ्य सेवा में निरंतर उपलब्ध न हों या रोगी को दवा खाने के लिए स्वास्थ्य केंद्र पर रोजाना जाने में समस्या आ रही हो आदि.
इस शोध ने बुनियादी संक्रमण नियंत्रण के महत्त्व पर पुन: प्रकाश डाला है और असंतोषजनक संक्रमण नियंत्रण पर सवाल भी उठाया है.
इस शोध ने ये भी साबित किया कि 30% रोगी किसी न किसी रूप से आपस में जुड़े हुए थे - अस्पताल, घर, कार्यस्थल या समुदाय आदि के जरिये, वे आपस में संपर्क में थे. जाहिर है कि एक्सडीआर टीबी उन्हें वही से संक्रमित हुई होगी और ये भी चिंताजनक सत्य है कि अस्पताल, घर, कार्यस्थल या समुदाय आदि पर संक्रमण नियंत्रण असंतोषजनक रहा होगा जिसके कारणवश एक्सडीआर टीबी अन्य लोगों में संक्रमित हुई.
उम्मीद है कि इस शोध को सभी देशों की सरकारें अत्यंत गंभीरता से लेंगी और संक्रमण नियंत्रण को घर, कार्यस्थल, समुदाय और सभी स्वास्थ्य-सेवा केन्द्रों पर बिना विलम्ब सख्ती से लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाएंगी.
बाबी रमाकांत, सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस)
22 जनवरी 2017