हाईटि देश में 2010 तक हैजा था ही नहीं: विश्व शांति, सैन्य और स्वास्थ्य नीतियों में तालमेल जरुरी

2010 तक हाईटि देश में हैजा था ही नहीं पर संयुक्त राष्ट्र के शांति बनाये रखने वाले सैन्य बल के जरिये से यहाँ हैजा फैला. हाल ही में समाचार के अनुसार, भारत सरकार ने यह प्रमाणित किया था कि उसके शांति बनाये रखने वाले सैन्य बल को हाईटि भेजने से पहले हैजा-टीका दिया गया है, पर जब पूछ-ताछ हुई तो पता चला कि भारतीय सुरक्षाकर्मी को हैजा टीका नहीं दिया गया था. गौर हो कि हाईटि में हैजा फ़ैलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख डॉ बन-की मून ने, पिछले महीने ही, शांति बनाये रखने के लिए भेजी गयी सैन्य बल की ओर से ऐतिहासिक माफ़ी भी मांगी थी.

अब भारत सरकार की सैन्य बल के बिना हैजा टीका हाईटि जाने पर और भारत सरकार के आश्वासन (जो सही नहीं था) कि इन सुरक्षाकर्मियों को हैजा-टीका दिया गया है, की संयुक्त राष्ट्र जांच-पड़ताल कर रहा है.

10,000 से अधिक लोग हाईटि में हैजा से मृत हो चुके हैं. भारत सरकार और दुनिया की अन्य 192 सरकारों ने संयुक्त राष्ट्र की 2015 महासभा में सतत विकास लक्ष्यों को 2030 तक पूरा करने का वादा किया है जिसमें हैजा शामिल है (Sustainable Development Goals या SDGs). हाईटि में फैले हैजा इस बात का ठोस प्रमाण है कि सिर्फ स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करना मुमकिन ही नहीं है जब तक सतत विकास के अन्य पहलुओं को भी प्राथमिकता दी जाए. स्वास्थ्य और सुरक्षा एवं शांति नीतियों में तालमेल इसीलिए अत्यंत आवश्यक है.

सैन्य, विश्व शांति और स्वास्थ्य नीतियों में अत्यंत निपुणता के साथ तालमेल बैठाना अत्यंत जरुरी है जिससे कि विश्व-शान्ति और स्वास्थ्य के साथ-साथ सतत-विकास के लक्ष्य भी पूरे हो सकें.

हैजा (cholera) एक तीक्ष्ण दस्त होने का रोग है जो बिना उपचार, चंद घंटों में ही रोगी के मृत होने का कारण बन सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 13 से 40 लाख लोगों को हैजा प्रति वर्ष होता है और लगभग 1.5 लाख लोग हैजा से मृत होते हैं. अधिकांश हैजा के रोगी सरल मौखिक पुन: जलयोजन से ठीक हो सकते हैं (oral rehydration therapy). गंभीर हैजा के रोगियों को ड्रिप और एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता होती है. स्वच्छ पीने योग्य पानी और स्वच्छता से हैजा और अन्य दूषित पानी से होने वाले रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है. हैजा के टीकाकरण से भी हैजा के फैलाव को नियंत्रित किया जा सकता है.

बाबी रमाकांत, सीएनएस (सिटीजन न्यूज़ सर्विस) 
9 जनवरी 2017

प्रकाशित: