सभ्य समाज में लैंगिक और यौनिक हिंसा कैसे?
कोविड-19 महामारी पर विराम लगाने के लिए स्थानीय नेतृत्व ज़रूरी
कोविड-19 महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक हर व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य सुरक्षा नहीं होगी तब तक कोई भी संक्रमण-मुक्त नहीं हो सकता, भले ही वह सबसे अमीर या बड़े ओहदे पर आसीन व्यक्ति ही क्यों न हो. इस बात में भी कोई संशय नहीं रह गया कि मज़बूत अर्थव्यवस्था के लिए मज़बूत स्वास्थ्य सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है. 11 महीने पहले कोरोना वायरस का पहला संक्रमण वुहान में रिपोर्ट हुआ था। आज विश्व भर में 7.2 करोड़ व्यक्ति इससे संक्रमित हो चुके हैं.
120 माह शेष: क्या हम 2030 तक एड्स-मुक्त हो पाएँगें?
क्या विकलांगता केवल शारीरिक ही होती है?
शादी कोई गुड्डे गुड़िया का खेल नहीं है
महिला सशक्तिकरण से ज्यादा ज़रूरी है पुरुष संवेदनशील बनें
अमरीका के सर्वोच्च नयायालय की न्यायाधीश रुथ बेदर जिन्स्बर्ग (जिनका पिछले माह देहांत हो गया था) ने अनेक साल पहले बड़ी महत्वपूर्ण बात कही थी: "मैं महिलाओं के लिए कोई एहसान नहीं मांग रही. मैं पुरुषों से सिर्फ इतना कह रही हूँ कि वह अपने पैर हमारी गर्दन से हटायें" ("I ask no favour for my sex. All I ask of our brethren is that they take their feet off our necks"). लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में, मिशन-शक्ति और स्तन कैंसर जागरूकता माह के आयोजन सत्र में यह साझा कर रही थीं शोभा शुक्ला, जो लोरेटो कान्वेंट कॉलेज की पूर्व वरिष्ठ शिक्षिका, महिला अधिकार कार्यकर्ता एवं सीएनएस की संस्थापिका हैं. डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की डॉ अनामिका ने तनवीर गाज़ी की पंक्तिया "तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है" साझा करते हुए, विशेषकर महिलाओं को प्रोत्साहित किया.
आपदा से निबटने की तैयारी और महिला स्वास्थ्य सुरक्षा में है सीधा संबंध
सांप्रदायिक और जातीय आधार पर राजनीति बंद हो | समाज में सांप्रदायिक सद्भावना और शांति रहे
8-दिन-उपवास क्रम का समापन दिवस | हाथरस से डॉ संदीप पाण्डेय का सन्देश
चैतरफा पड़ोसियों के साथ संबंध संकट में
प्रधान मंत्री ने अपने शुरुआती दिनों में खूब विदेश यात्राएं की। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वे विदेश मंत्री का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाले हुए हैं जबकि वरिष्ठ नेत्री सुषमा स्चराज पूर्णकालिक विदेश मंत्री थीं। नरेन्द्र मोदी के समर्थकों ने कहना शुरु कर दिया कि प्रधान मंत्री की इन यात्राओं से दुनिया में भारत की साख बढ़ गई है। चीन, जापान, अमरीका जैसे बड़े देशों के राष्ट्र प्रमुखों के साथ व्यक्तिगत सम्बंध भी उन्होंने प्रगाढ़ करने की कोशिश की। उनकी सबसे पहली विदेश यात्रा नेपाल की थी यह मानकर कि हिंदू बहुल देश को भारत विशेष महत्व देगा।
महिला स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए ज़रूरी है आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक समानता
न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल का फैसला लागू करो
कोरोना काल में निजी विद्यालयों की मनमानी और बढ़ गई है। वे आनलाइन कक्षाओं के नाम पर औपचारिकता पूरी कर बच्चों के अभिभावकों से पूरा शुल्क वसूल रहे हैं। आनलाइन कक्षाओं का यह हाल है कि गरीब परिवारों से जिन बच्चों का दाखिला शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 में मुफ्त शिक्षा हेतु निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत स्थान जो गरीब बच्चों के लिए आरक्षित हैं में हो गया है वे पढ़ ही नहीं पा रहे क्योंकि उनके घर में ऐसा मोबाइल नहीं कि आॅनलाइन कक्षा कर सकें अथवा है भी तो वह दिन के समय उनके पिता या बड़े भाई के पास होता है जो काम पर जाते हैं। जो बच्चे आनलाइन कक्षा करते भी हैं तो उन्हें मोबाइल फोन की कनेक्टीविटी आदि की समस्या के कारण समझ में नहीं आता।
बलात्कार-हत्या ज्यादा बड़ा अपराध है या साजिश करना?
मजदूर विरोधी सरकार
सबके लिए स्वास्थ्य सुरक्षा की मांग को ले कर गाँधी जयंती पर उपवास पर लोग
महात्मा गाँधी को प्रतीकात्मक ही नहीं बल्कि धरातल पर उतारना है ज़रूरी: मेधा पाटकर
उम्र की डगर पर बेझिझक चल कर तो देखो, ज़िन्दगी ज़रा जी कर तो देखो
अनचाहे गर्भ का खतरा कम करता है आपातकालीन गर्भनिरोधक
आज के आधुनिक युग में भी परिवार नियोजन और सुरक्षित यौन संबंध की ज़िम्मेदारी महिलाओं पर ही अधिक है। इसके बावजूद भारत समेत एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के कुछ अन्य देशों की अनेक महिलाओं को, आधुनिक गर्भ निरोधक साधन मिल ही नहीं पाते. जिन महिलाओं के लिए आधुनिक गर्भ निरोधक साधन उपलब्ध हैं, और उन्हें मिल सकते हैं, उन्हें भी कई बार अनेक कारणों से अनचाहा गर्भ धारण करना पड़ता है - जैसे गर्भनिरोधक की
विफलता, गर्भनिरोधक गोलियां लेने में चूक हो जाना या फिर अपनी मर्जी के खिलाफ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाना। ऐसी महिलाओं के लिए "आपातकालीन गर्भनिरोधक" (इमरजेंसी कंट्रासेप्शन) एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है जो गर्भावस्था के ज़ोखिम को कम करता है।
जलवायु परिवर्तन और महिला स्वास्थ्य में क्या है संबंध?
जलवायु परिवर्तन के हमले को झेलने में भारत समेत एशिया पैसिफिक क्षेत्र के देश सबसे आगे हैं। पिछले तीस वर्षों के दौरान दुनिया की ४५% प्राकृतिक आपदाएँ - जैसे बाढ़, चक्रवात, भूकंप, सूखा, तूफान और सुनामी - इसी क्षेत्र में हुई हैं।
परिवार नियोजन क्या अकेले महिलाओं का ही दायित्व है?
हमारे जीवन, जीवनशैली और रोज़गार से कम-से-कम संसाधनों का दोहन हो
[English] [रिकॉर्डिंग देखें] ग्रेटा थुनबर्ग से प्रेरित हो कर अनेक युवाओं ने एक नया अभियान आरंभ किया - 'एक बेहतर दुनिया की ओर'. प्रख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने इस अभियान को जारी करते हुए देश-विदेश के युवाओं को याद दिलाया कि महात्मा गाँधी ने कहा था कि प्रकृति में इतने संसाधन तो हैं कि हर एक की ज़रूरतें पूरी हो सके परन्तु इतने नहीं कि एक का भी लालच पूरा हो सके. सबके सतत विकास के लिए यह ज़रूरी है कि हमारा जीवन, जीवनशैली और रोज़गार ऐसे हों कि कम-से-कम संसाधनों का दोहन और उपयोग हो. मेगसेसे पुरूस्कार से सम्मानित कार्यकर्ता और सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के उपाध्यक्ष डॉ संदीप पाण्डेय ने कहा कि हर एक व्यक्ति को कम-से-कम एक संकल्प लेना होगा जिससे वह दुनिया को बेहतर बनाने के लिए अपना योगदान दे सके. इस कार्यक्रम में ग्रेटा थुनबर्ग के वैश्विक अभियान, फ्राइडेज़ फॉर फ्यूचर, से भी अनेक युवाओं ने भाग लिया.
कोविड-19 महामारी में महिलाधिकार क्यों अधिक खतरे में?
क्या विज्ञान पर राजनैतिक हस्तक्षेप भारी पड़ रहा है?
सतत विकास के लिए आयु-अनुकूल व्यापक यौनिक शिक्षा क्यों है ज़रूरी?
सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए सरकारी सेवाएँ क्यों हैं ज़रूरी?
[English] दुनियाभर में कोरोनावायरस रोग (कोविड-19) महामारी ने हम सबको यह स्पष्ट समझा दिया है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में पर्याप्त निवेश न करने और उलट निजीकरण को बढ़ावा देने के कितने भीषण परिणाम हो सकते हैं. इसीलिए इस साल के संयुक्त राष्ट्र के सरकारी सेवाओं के लिए समर्पित दिवस पर यह मांग पुरजोर उठ रही है कि सरकारी सेवाओं को पर्याप्त निवेश मिले और हर व्यक्ति को सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य सुरक्षा मिले.
निजी अस्पताल में सरकारी पैसे से इलाज की छूट लेकिन निजी परिवहन से यात्रा करने पर सरकारी लाभ से क्यों वंचित?
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर विशेष: तम्बाकू उन्मूलन के बिना कैसे होगा तम्बाकू-जनित महामारियों का अंत?
[English] इस समय पूरे विश्व में कोरोनावायरस महामारी के कारण स्वास्थ्य-सुरक्षा की सबसे विकट परीक्षा है. यदि भारत समेत उन देशों के आंकड़ों पर नज़र डालें जहाँ कोरोनावायरस महामारी विकराल रूप लिए हुए है तो यह ज्ञात होगा कि जिन लोगों को उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह (डायबिटीज), दीर्घकालिक श्वास रोग, आदि है, उनको कोरोनावायरस संक्रमण होने पर, अति-गंभीर परिणाम होने का खतरा अत्याधिक है (जिसमें मृत्यु भी शामिल है). गौर करने की बात यह है कि तम्बाकू इन सभी रोगों का खतरा बढ़ाता है. तम्बाकू पर जब तक पूर्ण-विराम नहीं लगेगा तब तक यह मुमकिन ही नहीं है कि तम्बाकू-जनित रोगों की महामारियों पर अंकुश लग पाए, और इनमें कोरोनावायरस महामारी भी शामिल हो गयी है.
कोरोनावायरस रोग महामारी नियंत्रण में, प्रवासी श्रमिकों के साथ अमानवीयता क्यों?
नर्स संगठनों की है मांग कि सबके लिए हो स्वास्थ्य सुरक्षा एक समान
क्या शराब और तम्बाकू से कोरोना वायरस रोकधाम खतरे में पड़ जायेगा?
कोरोना वायरस रोग महामारी पर अंकुश के लिए क्यों है ज़रूरी तम्बाकू उन्मूलन?
कोरोना संकट ने गैर-बराबरी खत्म करने का मौका उपलब्ध कराया है
9 महीने शेष हैं: क्या हम एड्स-संबंधित 2020 लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे?
बिक्री-दुकान पर भी नहीं तम्बाकू उत्पाद प्रदर्शित कर सकते: बोगोर की जनता ने जीता कोर्ट केस
महिला समानता के बिना कैसे होगा सबका विकास?
प्रजनन स्वास्थ्य सुरक्षा के बिना सतत विकास मुमकिन नहीं
डॉ शिवोर्ण वार, संयोजक, APCRSHR10 |