तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो वाली चेतावनी लागू हो पायेगी

तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो वाली चेतावनी लागू हो पायेगी

भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा २७ अगस्त २००८ को जारी किए गए निर्देशों के अनुसार नवम्बर २००८ से प्रत्येक तम्बाकू के उत्पादनों पर तम्बाकू द्वारा होने वाले नुकसानों से सम्बंधित वैधानिक चेतावनी लिखी होगी। मंत्रालय द्वारा यह निर्देश सिगरेट तथा अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००८ के तहत जारी किया गया है। इस चेतावनी के तहत तम्बाकू के पैकेटों पर एक धुंधले मानव फेफड़े की तस्वीर पैकेट के करीब ४०% हिस्से पर बनी होनी चाहिए उसके साथ ही स्थानीय भाषा में यह भी लिखा होना चाहिय की तम्बाकू घातक और जानलेवा है। इस वैधानिक चेतावनी की स्वीकृति भारत के विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों द्वारा संयुक्त रूप से की गयी है जिनके नाम हैं: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, वाणिज्य उद्योग मंत्रालय तथा सांस्कृतिक और शहरी विकास मंत्रालय।

इन समस्त मंत्रलयों द्वारा तम्बाकू कंपनियों को तीन महीने के वक्त दिया गया है इन चेतावनियो को तम्बाकू उत्पादनों के पैकटों पर पूरी तरह से लागू करने हेतु। वास्तव में इस तरह की चेतावनी पिछले साल वर्ष २००७ में ही भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दी जा चुकी है किन्तु उसके पश्चात इसको करीब चार -बार स्थगित किया जा चुका है। क्या इस बार इस प्रकार की चेतावनी पूरी तरह से प्रभावी हो पाएगी यह कहना शायद थोडा मुश्किल है। भारत सरकार द्वारा मंत्रालयों के इस समूह की स्थापना वर्ष २००७ में तम्बाकू उत्पादों पर लिखी जाने वाली वैधानिक चेतावनियों पर व्यापक निगरानी रखने के लिये की गई थी।

इसके गठन के पश्चात् समूह द्वारा यह निर्णय लिया गया की फ़रवरी २००८ से तम्बाकू उत्पादों पर मानव की खोपडी और क्रास के आकर को दर्शाता हुआ मानव की हड्डी बनी होने के स्थान पर सिर्फ़ बिच्छू की तस्बीर बने होगें। इसके पीछे मंत्रालय का तर्क यह था की भारत में कराये गए विभिन्न सर्वेक्षणों से यह पता चलता है की भारत को तम्बाकू पैकटों पर वैधानिक चेतावनी पर ज्यादा ध्यान देने की अपेक्षा तम्बाकू नियंत्रण अभियान को मजबूत बनाया जाए।

सिगरेट तथा अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३ प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण के लिए बनी विश्वव्यापी संधी, फ्रेमवर्क कन्वेंशन आन टोबैको कंट्रोल-२००४ जिस पर भारत ने भी दस्तखत किया हुआ है। इस संधि के अनुसार तम्बाकू उत्पादों के पैकेटों के मुख पृष्ठ और पीछे के भाग के करीब ५०% हिस्से पर तम्बाकू की वैधानिक चेतावनी लिखी होनी चाहिए। यदि यह चेतावनी ५०% हिस्से पर नहीं है तो पैकेट के ४०% भाग पर तो होनी ही चाहिए । विश्व के कई देशों कनाडा, थाईलैंड और आस्ट्रेलिया ने अपने यहाँ के तम्बाकू उत्पादों के पैकटों पर करीब ४०% से ६०% तक के हिस्से पर वैधानिक चेतावनी लिखवाई है।

तम्बाकू पर लिखी वैधानिक चेतावनी न केवल महत्वपूर्ण सुचना प्रदान करती है साथ ही साथ यह लोगों को तम्बाकू का सेवन करने के लिए भी रोकती है। इस चेतावनी का काफ़ी व्यापक और प्रभावकारी असर बच्चों पर पडेगा जो तम्बाकू कंपनियों के सबसे बड़े ग्राहक हैं। तम्बाकू के ऊपर लिखी वैधानिक चेतावनी का अन्य दृष्टी से लाभ यह हो सकता है की इसका समस्त खर्चा तम्बाकू कंपनियों द्वारा उठाया जायेगा जो अपने आप में प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण का हिस्सा बन सकता है।

यह सत्य है की सिर्फ़ तम्बाकू के पैकेटों पर वैधानिक चेतावनी लिख देने से ही लोगों को तम्बाकू का सेवन करने से नहीं रोका जा सकता है, इसके लिए सरकार को तम्बाकू उत्पादनों पर ज्यादा से ज्यादा मात्र में कर भी बढ़ाना चाहिए। अब देखना यह है की क्या सरकार अपने निर्णय को नवम्बर २००८ से प्रभावी कर पायेगी या फिर हर बार की तरह इस बार भी इसको कुछ दिनों के लिए और हटा दिया जायेगा।

अमित द्विवेदी

लेखक सिटिज़न न्यूज़ सर्विस में विशेष संवाददाता हैं।

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