धूम्रपानी सावधान हो जाएँ
दो अक्टूबर से सरकारी, गैर सरकारी इमारतों और सार्वजनिक स्थलों पर सिगरेट, बीड़ी सुलगाने वालों की नकेल कसने की केंद्र ने पूरी तैयारी कर ली है। यह सच है कि इसे सख्ती से लागू करना राज्यों के सहयोग पर निर्भर करेगा। केंद्र सरकार इस संबंध में पुलिस अधिकारी, चुनिंदा गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ताओं से लेकर ट्रेन में टिकट चेकरों तक को धूम्रपान नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दो सौ रुपये का जुर्माना करने का अधिकार देने जा रही है। अगर किसी निजी दफ्तर, होटल, डिस्कोथेक, कैंटीन, पब, बार से लेकर सार्वजनिक स्थल में धूम्रपान हुआ तो रोकने की जिम्मेदारी प्रबंधन व 'बास' की होगी। इस जिम्मेदारी से बचना उन्हें महंगा भी पड़ सकता है।
'तंबाकू नियंत्रण कानून और भारत में संबंधित मुद्दों' पर आयोजित दो दिवसीय नेशनल एडवोकेसी वर्कशाप का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. अंबुमणि रामदास ने माना कि यह काम सरकार अकेले नहीं कर सकती है। इसके लिए आम जनता और गैर-सरकारी संगठनों का सक्रिय सहयोग जरूरी है। मालूम हो कि सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान के खिलाफ कानून पहले से ही था। सरकार इसे अमल में नहीं ला पा रही थी। बाद में कुछ बदलाव किए गए। ३० मई को बाकायदा अधिसूचना जारी कर स्पष्ट कर दिया गया कि इस पर सख्ती से अमल २ अक्टूबर से शुरू कर दिया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने चेताया कि तमाम प्रयासों के बावजूद देश में तंबाकू का सेवन बढ़ रहा है। अब कम उम्र के बच्चे भी इसके शिकार होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को यह बात अच्छी तरह समझनी चाहिए कि ४० प्रतिशत बीमारियां केवल तंबाकू के सेवन के कारण होती हैं।
राज्य सरकारें भी २ अक्टूबर से सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान के खिलाफ मुस्तैद हो जाएं। इसके लिए मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों को पत्र लिखा गया है। यही नहीं, तंबाकू पैदा करने वाले किसानों को वैकल्पिक फसल उगाने संबंधी सुझावों पर भी विचार किया जा रहा है। तंबाकू जांच के लिए पहले दो आधुनिक प्रयोगशालाएं दिल्ली और अहमदाबाद में और फिर देश के अन्य हिस्सों में स्थापित की जाएंगी। उन्होंने बताया कि खासकर स्कूलों व वयस्क होते बच्चों को इससे बचाने के लिए प्रत्येक जिले को २२ लाख रुपये दिए जाएंगे। इस पैसे से तंबाकू सेवन के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता पैदा की जाएगी। आज देश में १३-१६ साल की आयु के १३ फीसदी बच्चे तंबाकू का सेवन कर रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्कूलों में किए गए सर्वेक्षणों से यह बात सामने आई है कि यदि बच्चों को सही समय पर धूम्रपान सेवन के दुष्परिणामों से अवगत करा दिया जाए तो अधिकांश बच्चे धूम्रपान छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं उनकी सहायता के लिए धूम्रपान उपचार केंद्र खोलने का फैसला किया गया है। शुरुआत में ऐसे सौ केंद्र मेडिकल कालेजों और जिला अस्पतालों में विशेष रूप से खोले जाएंगे। उसके दो साल के बाद देश भर में विभिन्न स्थानों पर इसी प्रकार के एक हजार केंद्र खोले जाएंगे।