नरेगा (NREGA) में ही अनियमितताओं की जांच शुरू

नरेगा (NREGA) में ही अनियमितताओं की जांच शुरू

बराण्डा ग्राम पंचायत में नरेगा (NREGA) के कामों में हो रही अनियमितताओं के खिलाफ वहां के मजदूरों के संघर्ष को कानपुर जिलाधिकारी ने गम्भीरता से लेते हुए, कानपुर नगर के बिल्हौर ब्लाक के बराण्डा ग्राम पंचायत के ऊपर जांच का आदेश करते हुए, कानपुर नगर के जिला मत्स्य अधिकारी राजेश कुमार सिंह को जांच सौंप कर 3 दिनों के भीतर रिर्पोट प्रस्तुत करने को कहा।

दिनांक 27 अगस्त 2009 को जांच अधिकारी राजेश कुमार सिंह ने करीब 12 बजे दिन में बराण्डा ग्राम पंचायत में पहुंच कर जांच शुरू कर दी। जांच के दौरान सैकड़ो की संख्या में ग्राम वासी और नरेगा (NREGA) मजदूरों के साथ आशा परिवार बिल्हौर के के0 के0 कटियार, मेवाराम, रमाकान्त, महेश चन्द्र धीरज और शंकर सिंह वहां मौजूद थे।

जांच के दौरान जांच अधिकारी ने ग्राम पंचायत सचिव महेन्द्र कुमार गौतम से कार्यवाही रजिस्टर मांगा। सचिव ने जब रजिस्टर उपलब्ध कराई तो उस रजिस्टर में कोई कार्यवाही दर्ज नहीं थी, और कार्यवाही रजिस्टर पूरी खाली थी। उसके बाद जांच अधिकारी ने कार्य प्रस्ताव रजिस्टर देखा वो भी पूरी तरह खाली थी और कार्य प्रस्ताव रजिस्टर में कोई भी कार्य का प्रस्ताव दर्ज नहीं था जबकि इस ग्राम पंचायत में अब तक नरेगा (NREGA) के तहत 5 कार्य पूरे किये जा चुके है। जांच अधिकारी द्वार जांच में ये भी पाया गया कि अभी तक किसी भी काम की एम0 बी0 (Measurement Book) नहीं बनी है। खुली बैठक का रजिस्टर देखने पर पता चला कि ये रजिस्टर भी पूरी खाली है। मस्टर रोल समरी रजिस्टर जांच अधिकारी द्वारा मांगने पर सचिव ने बताया कि अभी तक बना नहीं है।

गांव में 384 बी0पी0एल0 (BPL) कार्ड धारक मगर जाब कार्ड सिर्फ 189

जांच अधिकारी ने ग्राम पंचायत सचिव से जब ये सवाल पूछा कि अब तक कुल कितने जाब कार्ड बने है। सचिव ने बताया 189 जाब कार्ड बने है। जांच अधिकारी ने पूछा कि इस गांव में कुल कितने बी0पी0एल0 (BPL) कार्ड धारक र्है। सचिव ने बताया 384 बी0पी0एल0 (BPL) कार्ड धारक र्है। जांच अधिकारी ने इस बात पर फटकार लगाते हुए बहुत नाराजगी दिखाई कि जिस गांव में 384 बी0पी0एल0 (BPL) कार्ड धारक र्है वहां अब तक सिर्फ 189 जाब कार्ड बने है। मस्टर रोल मांगने पर सचिव ने बताया कि अभी मस्टर रोल नहीं है डाटा फिडिंग के लिए गया हुआ है किसी भी काम का मस्टर रोल दिखाने में सचिव असमर्थ रहे। एकाउन्ट खोलने के बाबत जांच अधिकारी द्वारा सवाल पूछने पर बताया कि अभी तक सिर्फ 100 खातों के ही एकाउन्ट खुल पाये है। नरेगा (NREGA) का परिवार रजिस्टर के बारे में जब जांच अधिकारी ने जानना चाहा तो सचिव ने बताया कि अभी तक नरेगा परिवार रजिस्टर नहीं बना हैं।

मजदूरों के साथ जांच अधिकारी ने बैठक कर उनकी समस्याओं के बारे में जानना चाहा। मजदूरों ने बताया कि जाब कार्ड बने एक साल हो गया मगर अभी तक उनके हाथों में जाब कार्ड नहीं मिला है सभी जाब कार्ड प्रधान के पास रहता है। सचिव ने करीब 70 जाब कार्ड जो अपने पास रखे थे दिये । जांच अधिकारी ने सचिव को जमकर फटकार लगाई अब तक जाब कार्ड मजदूरों को न सौंपे जाने के बाबत, सचिव ने कहा कि अभी तक हस्ताक्षर नहीं हो पाये है। मैं कल तक करा के सबको सौप दूंगा। 22 लोगों ने लिखित शिकायत कि नवम्बर 2008 से दिस्मबर 2008 तक नरेगा (NREGA) में करीब 97 मजदूरों ने 35 दिन मकनपुर रोड से जूनियर प्राइमरी सम्पर्क मार्ग तक जो काम किया है उसका आज तक भुगतान नहीं हुआ है। जांच अधिकारी द्वारा पूछने पर ग्राम सचिव ने ये माना कि इस काम का अभी तक कोई भुगतान नहीं हुआ र्है। सचिव ने कहा कि जल्द ही करा दूंगा मेरी तो बस कुछ ही महीने पहले यहां पर पोस्टिंग हुई है।

लोगों ने ये भी शिकायत की कि काम मांगने पर ग्राम पंचायत सचिव काम नहीं देते है। जांच अधिकारी ने जब सचिव से ये पूछा कि रोजगार मांग फार्म कहा है तब सचिव बगले झांकते हुए बोला कि अभी तक ब्लाक से लाये नहीं हैं। 10 लोगो ने लिखित शिकायत किया कि हम लोगो से नरेगा (NREGA) के तहत जनवरी 2009 में कार्य कराया गया, मगर आज से दो दिन पहले घर आकर प्रधान पति अशोक कटियार ये कह कर हम लोगों को नगद भुगतान किया कि वो कार्य मैने व्यक्तिगत कराया है।

जांच अधिकारी द्वारा ये सवाल पूछने पर कि महिलाओं को कितने जाब कार्ड बने है। ग्राम सचिव ने बताया कि अभी तक एक भी महिला का जाब कार्ड नहीं बना है। जांच अधिकारी राजेश कुमार सिंह ने ग्राम सचिव महैन्द्र कुमार गौतम को डांट लगाते हुए कहा कि कल 28 अगस्त शाम तक सारे रिकार्ड लेकर हमारे ऑफिस में आकर मिलो और जो भी रजिस्टर पूरा नहीं है वो सभी लेकर आना। इसके बाद जांच अधिकारी ने आज की अपनी जांच प्रक्रिया को बन्द करके कानपुर रवाना हो गये। इसके बाद शंकर सिंह ने सभी मजदूरों के साथ बैठकर आगे की संघर्ष की भावी रणनीति पर चर्चा की और उसकी योजना बनाई।

लेखक: महेश एवं शंकर सिंह
"आशा परिवार" एवं "अपनाघर", कानपुर