"मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, २००९" का विरोध
आज दिनांक १९ सितम्बर २००९ को जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय एवं लोक राजनीति मंच के तत्वावधान में विधान सभा धरना स्थल पर "मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, २००९" के विरोध में धरना आयोजित किया गया. इस धरने में काफी बुद्धिजीवियों एवं गरीब बच्चों ने भाग लिया जिन के हाथों में तख्तियों पर "गरीब ७५% हैं तो आरक्षण २५% ही क्यों", "दोहरी शिक्षा व्यवस्था को समाप्त करो", "शिक्षा का निजीकरण बंद करो", तथा "पड़ोस के विद्यालय की अवधारणा लागू करो" आदि नारे लिखे हुए थे.
धरने के मध्यम से भारत के प्रधान मंत्री श्री मनमोहन सिंह जी को संबोधित ज्ञापन प्रेषित किया गया. उक्त ज्ञापन में "मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, २००९" का विरोध करने के निम्नलिखित कारण बताये गए:
१- यह कानून भारत में भेदभावपूर्ण शिक्षा व्यवस्था, जिसमें अमीरों और गरीबों के बच्चों के लिए दो अलग किस्म की व्यवस्थाएं अस्तित्व में हैं, को बरक़रार रखेगा.
२- यह कानून शिक्षा के निजीकरण के एजेंडे को बढ़ावा देगा
ज्ञापन के मध्यम से निम्नलिखित मांगे उठाई गयीं:
1. वर्तमान कानून को वापस लेकर एक नया कानून लाया जाए जो समान शिक्षा प्रणाली तथा पड़ोस के विद्यालय की अवधारणा को लागू किया जाए।
2. शिक्षा का बजट बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत किया जाए।
3. शिक्षा का निजीकरण रोका जाए। सभी के लिए एक जैसी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सरकारी खर्च पर उपलब्ध होनी चाहिए।
एस.आर.दारापुरी
राज्य समन्वयक, जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय एवं लोक राजनीति मंच
फ़ोन: ९४१५१ ६४८४५