आईसीडीबी पुरस्कार लेने आल इंडिया रेडियो से अर्चना प्रसाद न्यूयार्क जायेगी
लखनऊ, 25.9.09। आल इण्डिया रेडियों लखनऊ को विषेष बच्चों के संग विषेष कार्यक्रम के अन्र्तगत ‘‘बच्चों की आवाज सुने’’ के लिये इन्टरनेषनल चिल्ड्रिन डे आफ ब्राडकास्टिंग "आईसीडीबी" का छेत्रीय (रीजनल) पुरस्कार दिया गया है। इसमें बेघर, लाचार, मजबूर, बेबस, लावारिस और कूड़ा-कचरा जमा करने बाले बच्चों के जीवन पर आधारित बेहतरीन प्रसारण के लिये रेडियों या दूरदर्शन के कार्यक्रमों को चुनाकर पुरस्कृत किया जाता है।
अन्तरराप्ट्रीय बाल प्रसारण दिवस एक मार्च पर आल इण्डिया रेडियों लखनऊ और यूनीसेफ के विषेष सहयोग से बच्चों के विशेष रेडियों कार्यक्रम को प्रतियोगिता में भेजा गया था। इस कार्यक्रम के सुन्दर प्रस्तुतीकरण की प्रशंसा में उसे पुरस्कार से नवाजा गया है।
अंतर्राष्ट्रीय बाल प्रसारण दिवस पर आईसीडीबी हर साल रेडियों और दूरदर्शन पर बच्चों के कार्यक्रमों के प्रति युवाओं का रूझान बढ़ाने के लिये यह पुरस्कार देता है। इस साल आईसीडीबी 2009 का विषय था "बच्चों के लिये एकजुट हो, उनको बच्चों में तबदील करें"। यह पुरस्कार बच्चों की सोच, विचार, विश्वास, निडरता और उनके सपनों के सफल प्रस्तुतीकरण को दिया जाता है।
आल इण्डिया रेडियों लखनऊ ने यह पुरस्कार अपने कार्यक्रम ‘‘किड्स टयून इन टू अस’’ के लिये जीता है। इस कार्यक्रम की मुख्य निर्देशिका अर्चना प्रसाद और कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती नूतन वषिष्ट ने बताया कि "वे बहुत खुश है और अपनी प्रसन्नता शब्दों में बयान नहीं कर सकती है। इस कार्यक्रम में भाग लेने वालों बच्चों के नाम हैः- हिना गुप्ता, गौरी शुक्ला, नव्या मिश्रा, सुप्रिया, अमन, अंशुमान, आयुष्मान, हर्ष, माल्या मिश्रा, रिया श्रीवास्तव, प्रखर, मुदित, प्रान्जल और आकाष राज चैहानइन। इन पुरस्कार के विजेताओं के नामों की घोषणा 10 नवम्बर 2009 को न्यूयार्क में की जायेगी। पुरस्कार को लेने के लिये आल इण्डिया रेडियों लखनऊ की प्रतिनिधि के रुप में कार्यक्रम की मुख्य निर्देशिका अर्चना प्रसाद न्यूयार्क जायेगी। कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती नूतन वषिष्ट ने बताया कि आकाशवाणी लखनऊ रविवार को बच्चों पर आधारित दो घन्टे का कार्यक्रम प्रसारित करता है। पुरस्कृत कार्यक्रम को काटछांट कर आधे घन्टे का बनाकर भेजा गया था। यूनीसेफ बच्चों के अच्छे कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने के लिये हर साल रेडियों और दूरदर्शन को पुरस्कृत करता है। पिछले 19 सालों में यह पहला मौका है जब किसी रेडियों या दूरदर्षन के किसी कार्यक्रम को पुरस्कार दिया गया है। हां ! यह अलग बात है कि आज तक किसी रेडियों या दूरदर्शन ने इसमें भाग ही नहीं लिया था। यूनीसेफ के अगस्टीन वेलियथ के प्रयासों से आल इण्डिया रेडियों लखनऊ को यह सम्मान मिलना संभव हो पाया है।
यूनीसेफ और मीडिया नेस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आज यहां यू0पी0 प्रेस क्लब में ‘चिल्ड्रन आवर’ में यूनीसेफ के बाल विषेपज्ञ अगस्टीन वेलियथ ने कहा कि अगले साल जनवरी 2010 में बच्चों के कार्यक्रमों को फिर पुरस्कृत किया जायेगा और इस बार कार्यक्रम का विषय होगा "सारे बच्चों के लिये सारे कार्यक्रम"। इस बार लखनऊ ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश के रेडियों और दूरदर्शन से बच्चों पर आधारित कार्यक्रमों को एकत्र करके फिर स्क्रटनी करके उनको प्रतियोगिता में भेजा जायेगा।
इस अवसर पर यूनीसेफ के बाल विषेपज्ञ अगस्टीन वेलियथ ने कहा कि मीडिया ने अपनी लेखनी के माध्यम से हमेषा बच्चों और महिलाओं के कल्याण के लिये काम किया है। इस अवसर पर मीडिया नेस्ट की महामंत्री और वरिष्ठ पत्रकार कुलसुम तल्हा ने कहा कि बच्चों की प्रगति, प्रोत्साहन, सुधार और उनको अधिकार दिलाने के लिए पत्रकारों ने सदैव एकजुटता दिखाई है। ‘चिल्ड्रन आवर’ अपनी तरह का एक निराला कार्यक्रम है जिसको यूनीसेफ के सहयोग से एक विख्यात पत्रकार संगठन मीडिया नेस्ट आयोजित करता है जिसमें बच्चों और महिलाओं के उत्थान के लिये काम किया जाता है। इस कार्यक्रम में बच्चों और महिलाओं की समस्याओं को उठाया जाता है और उसके समाधान के उपाय खोजे जाते है।
भारत के अलावा बांग्लादेश को ‘‘वायस आफ चिल्ड्रिन’’ कीनिया को ‘‘ एंजिलस केफ’’, सूरीनाम को टेन मिनिुटन जुग्ड जनर्लस’, टागो को ‘‘ए नास ला प्लेनेट’’, यूक्रेन को ‘‘ बिग सीक्रेट’’, ब्राजील को ‘‘सिंटोजएस क्रेनक्रेस ना रेडियो जस्ट्सि’’, जर्मनी को ‘‘ किड्स फार जर्मनी मीट किड्स फाम बालकन्स’’, घाना को जेम्स आफ अपर टाइम’’, मलेशिया को ‘‘ टयून इनटॅ किड्स इऔर दक्षिण अफ्रीका को ‘‘ जिस्ज चिल्डिन रेडियों प्रोजेक्त’’ पुरस्कार दिया गया है।