योजना आयोग का ‘ मिड टर्म ’ मूल्यांकन
लखनऊ,17 सितम्बर। योजना आयोग ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में महिलाओं, बच्चों, अल्पसंख्यकों, स्वास्थ्य तथा एड्स/एच आई वी आदि योजनाओं का लाभ लाभार्थियों तक पहुंचाने, लाभार्थियों की योजनाओं तक पहुंच और इन योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिये जमीनी स्तर पर आंकलन शुरू कर दिया है। इसके लिए योजना आयोग द्वारा स्वयं सेवी संगठनों के सहयोग से क्षेत्रीय, प्रदेशीय और राष्ट्रीय स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इसी सन्दर्भ में आज यहां पथ, नावो और विहाई ने एक कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से दो दर्जन प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें स्वयं सेवी संगठनों के अलावा हिन्दु, मुस्लिम, सिख, इसाई आ साथ ही दि समुदाय के लोगों ने भाग लिया। इन कार्यशालाओं में यूनीसेफ विशेषरूप से सहयोग दे रहा है। इस अवसर पर पथ की अध्यक्षा डॉ. मंजू अग्रवाल ने बताया कि योजना आयोग अपनी ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजनाओं का ‘ मिड टर्म ’ मूल्यांकन कर रहा है। इसमें स्वयं सेवी संगठन विभिन्न समुदाय के लाभार्थियों की आवाज को योजना आयोग तक पहुंचायेगा। ये एनजीओ आयोग को बतायेगे कि सरकारी योजनाओं की वस्तुस्थित क्या है, क्या यह योजनाएं लाभार्थियों तक पहुंच रही है, उसकी गुणवत्ता क्या है और उसमें समुदाय की भागीदारी कितनी है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि सरकार समुदाय के लोगो की आवाज को महत्व दे रही है साथ ही स्वयं सेवी संगठनों को भी अपने साथ जोड़ने महत्व दे रही है और सरकार ने उनको अपने साथ जोड़ने का काम किया है। अब स्वयं सेवी संगठनों ने भी बीड़ा उठाया है कि वह सरकार के इस जनहित के कार्यों में पूरी तरह से सहयोग करेंगे। उन्होंने उम्मीद जतायी - इस तरह की कार्यशालाओं से सरकार को एक दृप्टिकोण मिलेगा और सरकार को इन योजनाओं को और अच्छी तरह क्रियान्वयन करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला राज्य स्तर पर हो रही है। इसमें समुदाय की भागीदारी, उसकी योजनाओं तक पहुंच, योजनाओं की गुणवत्ता, वस्तुस्थित और जमीनी हकीकत की रिर्पोट तैयार करके उसकी सिफारिश को रीजन स्तर पर भेजा जायेगा और वहां से राष्ट्रीय स्तर पर एकत्र करके योजना आयोग तक पहुंचेगी। इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन हर प्रदेश में हो रहे है। उत्तर प्रदेश, पंजाब,हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उतराखण्ड और हरियाण उत्तरी क्षेत्र में आते है और इस क्षेत्र की कार्यशाला 23 व 24 सितम्बर को चंड़ीगढ़ में होगी।
यू पी वालिटरी हेल्थ एसोसिएशन के एक प्रतिनिधि ने बताया कि योजना आयोग चाहता है कि जो योजनायें क्रियांवित हो रही है उनका लाभ लाभर्थियों को कितना पहुंच रहा है और उसकी क्या स्थिति है। उन्होंने बताया कि हरियाण, दिल्ली हिमाचल में इस प्रकार की कार्यशालाओ का आयोजन किया जा रहा है। 21 अगस्त 09 को वालिटरी हेल्थ एसोसिएशन आफ इंडिया की दिल्ली में राष्ट्रीय स्तरीय बैठक हुई थी जिसमें कार्यशाल के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया। यह उद्देश्य है- ग्यारहवी पंचवर्शीय योजना के अन्र्तगत सामुदायिक स्वास्थ्य, बाल एवं महिला तथा अल्पसंख्यक कार्यक्रम सम्बन्धी मुद्दों पर चर्चा, राष्ट्र स्तरीय योजनाओं के विभिन्न मुद्दों पर सामुदायिक सदस्यों की जानकारी, योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक पहुचं रहा है कि नहीं, अल्पसंख्यकों को योजनाओं का कितना लाभ मिल रहा है और केन्द्रीय सरकारी कार्यक्रमो में सामुदायिक स्तर पर सहभागिता। उन्होंने बताया कि योजना आयोग यह जानना चाहता है कि उनकी योजनाओं- जननी सुरक्षा योजना, परिवार नियोजन, गा्रमीण स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस, सुरक्षित प्रसव, सुरक्षित गर्भपात, बाल स्वास्थ्य, आशा,की भूमिका, स्तनपान की जानकारी टीकाकरण, ;छह जानलेवा बीमारियां- गलाघेटू, काली खांसी, टिटनेस, खसरा, पोलियो और क्षय रोगद्धै से कितने बच्चें लाभार्थियों हो रहे है और विभिन्न समुदायों की कितनी पहुंच इन योजनाओं तक है। स्वास्थ्य सेवाओ की देखभाल कितनी कारगर है, उनको क्या-क्या सरकारी सुविधाएं मिल रही है और अल्पसंख्यकों की सरकारी योजनाओं तक कितनी पहुंच है।