विश्व अब स्वाइन फ्लू महामारी के शुरूआती दिनों में
११ जून २००९ को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वाइन फ्लू या इन्फ़्लुएन्ज़ा या एक अत्यन्त संक्रामक किस्म के जुखाम को महामारी घोषित कर दिया।
यह घोषणा इसलिए बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि ४० साल के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किसी बीमारी को महामारी घोषित करते हुए 'एलर्ट ६' स्तर - जो सबसे गम्भीर चेतावनी का स्तर है - दिया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के 'एलर्ट ६' का तात्पर्य यह है कि जिस तरह से स्वाइन फ्लू संक्रामक है और जिस प्रकार से देश-से-देश फैलता जा रहा है यह अत्यन्त खतरनाक हो सकता है जैसे कि चंद महीनों में ही ३० हज़ार लोग इससे संक्रमित हैं, भारत में ही पाँच लोग संक्रमित पाये गए हैं और विश्व में लगभग १४० लोग इसके कारणवश मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं।
इस स्वाइन फ्लू से पहले किसी भी संक्रामक रोग का इतने आरंभ से ही मुयायना नहीं हुआ है। इसलिए इस रोग की रोकधाम मुमकिन है क्योंकि आरंभ से ही इस रोग की जांच, इलाज एवं पर्याप्त रोकधाम के प्रबंध करने की कोशिशें की गयीं हैं।
स्वाइन फ्लू जिस वायरस से होता है वोह अत्यन्त संक्रामक किस्म का है. अभी तक जिन देशों में स्वाइन फ्लू से ग्रसित लोग पाये गए हैं, यह अधिकाँश देश विकसित देश हैं और इनकी स्वास्थ्य प्रणाली काफी मजबूत है - रोगों के नियंत्रण के लिए जांच, इलाज एवं बचाव के प्रबंध अनुकूल हैं। यह इसलिए चिंताजनक बात है क्योंकि अब भारत एवं अन्य विकासशील देशों में भी यह रोग पाया जाने लगा है जहाँ पर स्वास्थ्य प्रणाली इतनी मजबूत नहीं है और इसीलिए इस रोग के नियंत्रण के प्रति सजगता से सक्रिय होना अनिवार्य है।
पहले भी १९१८ में इसी प्रकार का वायरस एच.१.एन.१ ने फ्लू महामारी फैलाई थी। यदि इतिहास में इन्फ़्लुएन्ज़ा महामारी पर नज़र डालें तो अक्सर पहले इसका घातक स्वरुप सामने नहीं आता है, और समय के साथ संक्रमण का फैलाव बढ़ता रहता है और वायरस परिवर्तित हो कर अत्याधिक घातक स्वरुप में फिर पनप उठता है।
इस सम्भावना को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है कि स्वाइन फ्लू की घातकता और संक्रामकता बढ़ या घट जाए - इसीलिए चेतावनी स्वरुप सरकारों से विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुरोध है कि समय रहते रोग नियंत्रण के प्रति चेत जाएँ।
यह एच.१.एन.१ वायरस युवाओं को अधिक संक्रमित करता है। अभी तक जो ३० हज़ार लोग इससे संक्रमित हैं, उनमें से अधिकाँश लोग २५ साल से कम उम्र के हैं।
इन स्वाइन फ्लू से संक्रमित लोगों में लगभग २ प्रतिशत लोगों को जानलेवा नुमोनिया भी हो गया है।
स्वाइन फ्लू से जो करीब १४० मौतें अभी तक हुई हैं उनमें से अधिकाँश लोग ३०-५० साल की उम्र के थे।
स्वाइन फ्लू इस मामले में भी अन्य इन्फ़्लुएन्ज़ा से भिन्न है क्योंकि अन्य इन्फ़्लुएन्ज़ा से अधिकाँश अधिक उम्र के कमजोर लोग ही ग्रसित होते हैं।
उम्मीद है कि समय रहते सरकारें रोग नियंत्रण एवं स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के प्रति सक्रिय होंगी।
बाबी रमाकांत
(लेखक, विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक द्वारा २००८ में पुरुस्कृत हैं। संपर्क ईमेल: bobbyramakant@yahoo.com)