नियमित दवा के खुराक से पोलियो से बचा जा सकता है

नियमित दवा लेने से पोलियो से बचा जा सकता है

विकास की समग्र अवधारणा में बच्चे सर्वोच्च प्राथमिकता हैं, भविष्य का समाज कैसा होगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि वर्तमान में बच्चों की स्थिति क्या है। कई सारे अनुसन्धान यह प्रमाणित करते हैं कि बच्चे जल्द ही बिमारियों का शिकार हो जाते हैं एवं जानकारी की कमी, जिम्मेदारियों का निर्वहन समय पर न होने से बड़ी संख्या में शारीरिक अक्षमता के रूप में मानव दिख रहा है और इसके बुनियादी कारणों को देखें तो देश में तीन चौथाई से ज्यादा बीमारियाँ असुरक्षित पेयजल एवं ख़राब पर्यावरण है। पोलियो किसी भी समुदाय, धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक समूह के बच्चे को हो सकता है। पोलियो किसी भी बच्चे को हो सकता है यदि उसके आस-पास कोई ऐसा बच्चा है जिसको की पोलियो है। पोलियो की बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए यह जरूरी है कि पोलियो की खुराक पूरी तरह से ली जाए। कई बार ऐसा देखा गया है कि जन - समुदाय को सही जानकारी न होने के कारण वह पोलियो की खुराक को पूरी तरह से नहीं लेते हैं।

पोलियो का पुरा नाम 'पोलियो मेलाईटिस' है। यह एक संक्रामक रोग है। पोलियो कोई नए बीमारी नही है यह प्राचीन काल में भी लोगों को हुआ करती थी। पोलियो एक रोगी से दूसरों के शरीर में फैलने वाला विशेषकर मल व मूत्र के संपर्क द्वारा इसके विषाणु बच्चे के शरीर के मूत्र के रास्ते से प्रवेश कर जाते हैं और फिर आंत में प्रवेश कर जाते हैं। जिन स्थानों पर गंदगी रहती है वहां पर पोलियो के विषाणु के फैलने का ज्यादा खतरा है।

इस बीमारी को फैलने में गंदगी पर बैठने वाली मक्खियाँ सहायक होती हैं। पोलियो विषाणु विद्यमान रहने और फैलने की संभावना वहां कम होती है जहाँ तापमान ४० डिग्री सेल्सियस से कम होता है और वहां पर जहाँ कम आद्रता और कम नमी हो। इससे हम आंकलन कर सकते हैं कि वर्ष भर उत्तर प्रदेश का तापमान इसके मध्य रहता है। शुरुआती दौर में पोलियो के सन्दर्भ में बच्चों को सरदी लग जाने के लक्षण दिखायी देते हैं। पोलियो वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित है जो भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में करोड़ों बच्चों को दी गई है। अब तक इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ा है। पोलियो दवा की हर खुराक बच्चे में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। बार-बार खुराक देने से पोलियो के विषाणु समाप्त हो जाते हैं।

पिछले साल भारत में पोलियो से करीब २०३ लोग ग्रसित थे किंतु इस साल यह संख्या घटकर सिर्फ़ ४० रह गयी है। पोलियो के कुछ नए रोगी हॉल ही में उत्तर प्रदेश में पाए गए हैं। कोई बच्चा तब तक पोलियो से सुरक्षित नहीं है, जब तक की पोलियो का एक भी विषाणु जीवित है। पोलियो के विषाणु अब तक उत्तर प्रदेश सहित भारत के कई राज्यों में फैल रहे हैं। बार-बार पोलियो उन्मूलन अभियान से हमारी सरकार तथा अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं बहुत सारा पैसा खर्च कर रही हैं, साथ ही साथ मानव संसाधन के रूप में विभिन्न विभागों, गैर सरकारी संगठनों और स्वयंसेविओं का एक बहुत बड़ा जत्था पोलियो उन्मूलन अभियान में लगे हुए हैं। आख़िर कब तक हम अर्थ एवं संसाधनों को बर्बाद करते रहेंगे।

तो आइये, हम अपनी जिम्मेदारी समझ कर पोलियो उन्मूलन अभियान का हिस्सा बनें। जब तक हमारा समाज, हमारा प्रदेश, हमारा राष्ट्र पोलियो मुक्त नहीं हो जाता, तब तक हमें पोलियो को मिटाने का अभियान निरंतर जारी रखना होगा।

अमित द्विवेदी

लेखक सिटिज़न न्यूज़ सर्विस से जुड़े हैं।