अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न की घटनाओं के पीड़ित पक्ष को तत्काल सहायता अनुदान राशि प्रदान की जाय

मुख्यालय पुलिस महानिदेशक
.प्र. लखनऊ
दिनांक:१९-०६-२००९
अनुसूचित जाति/जनजाति उत्पीड़न की घटनाओं के पीड़ित पक्ष को तत्काल सहायता अनुदान राशि प्रदान की जाय
पुलिस महानिदेशक


श्री विक्रम सिंह पुलिस महानिदेशक, उ.प्र. ने कहा है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के विरुद्ध घटित उत्पीड़न की घटनाओं की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु कानून के तहत तत्काल से प्रभावी वैधानिक कार्यवाही के जाय और पीड़ित पक्ष को तत्काल सहायता अनुदान राशिः प्रदान की जाय |

पुलिस महानिदेशक, उ.प्र. ने समस्त पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रभारी जनपद/रेलवेज, समस्त परिक्षेत्रीय पुलिस महानिरीक्षक/पुलिस उपमहानिरीक्षक, समस्त पुलिस महानिरीक्षक/ पुलिस उपमहानिरीक्षक रेलवे तथा विशेष जाँच को अपने परिपत्र संख्या ३१/०९ दिनांक १६.०८.०९ के माध्यम से निर्देशित किया है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के विरुद्ध घटित उत्पीड़न की घटनाओं की रोकथाम एवं नियंत्रण हेतु सुविचारित कानून बनाये गए हैं | सामाजिक न्याय के दृष्टिकोण से पीड़ित व्यक्तियों को तत्काल सहायता अनुदान राशिः भी दिए जाने के प्राविधान हैं, परन्तु कतिपय मामलों में पीड़ित व्यक्तियों को अनुमन्य आर्थिक सहायता अनुदान राशिः समय से नहीं मिल पा रही है | इस पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए उन्होंने जनपदीय अधिकारियों को ऐसे मामलों का अनुश्रवण करने व पीड़ित को अनुमन्य आर्थिक सहायता धनराशि समय से उपलब्ध कराने के निर्देश दिये हैं |

श्री विक्रम सिंह ने कहा की आर्थिक सहायता अनुदान राशिः प्राप्त करने वाले पीड़ित पक्ष कतिपय मामलों का आकस्मिक भौतिक सत्यापन भी करा लिया जाये कि पीड़ित व्यक्तियों को अनुमन्य आर्थिक सहायता राशिः समय से वास्तव में प्राप्त हो गयी है या नहीं | यदि किन्ही मामलों में तथ्यों के विपरीत स्थिति पाई जाये तो इस संबंध में नियमानुसार कार्यवाही के जाये और जिला मजिस्ट्रेट से विचार विमर्श कर जनपद स्तरीय समिति की बैठक शीघ्र आयोजित कराकर लंबित मामलों की समीक्षा कर पीड़ित पक्ष को अनुमन्य आर्थिक सहायता शीघ्र उपलब्ध करायी जाये |

पुलिस महानिदेशक ने कहा है कि जनपदीय विशेष जाँच प्रकोष्ठ में सहायता अनुदान वितरण रजिस्टर में निर्णीत मुकदमों के मामलों की प्रविष्टि कहीं कहीं नहीं होती है जिससे यह पता लगाना कठिन हो जाता है कि मा० न्यायालय के निर्णय के उपरांत पीड़ित व्यक्ति को शेष सहायता अनुदान राशिः मिली अथवा नहीं | मा० न्यायालय में लंबित वाद काफी वर्षों बाद निर्णीत होते हैं, अतः ऐसे पीड़ित व्यक्तियों का पता लगाकर नियमानुसार आर्थिक सहायता अनुदान राशिः प्रदत्त करायी जाय | इस सम्बन्ध में आवश्यक है कि सम्बंधित न्यायालयों से अनु०जाति/जनजाति से सम्बंधित निर्णीत वादों का विवरण प्राप्त कर पीड़ित पक्ष को अनुमन्य आर्थिक सहायता राशि तत्काल उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक कार्यवाही की जाये | इस कार्य का पर्यवेक्षण जनपदीय पुलिस अधीक्षक अपने स्तर पर मासिक गोष्ठी के दौरान अवश्य करें तथा प्रकोष्ठ में उपलब्ध आर्थिक सहायता अनुदान रजिस्टर का जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय से प्रति माह मिलान कर अद्यावधिक रखें जिससे वस्तुस्थिति स्पष्ट हो जाये |

पुलिस महानिदेशक ने बताया कि प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति, उसके आश्रित और सहयोगियों को उनके आवास अथवा उनके ठहरने के स्थान से अपराध के अन्वेषण या सुनवाई या विचारण के स्थान तक का परिवहन आदि अन्य सुविधाएँ देने की आवश्यक व्यवस्था जिला मजिस्ट्रेट स्तर से पूर्व में ही की गयी है | इन प्रावधानों का अध्ययन करके अनुमन्य सुविधाएँ पीड़ित पक्ष को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए है | पुलिस महानिदेशक महोदय ने बताया कि उनके जनपदों में भ्रमण करने के उपरांत यह अनुभव हुआ है कि जनपद स्तर पर तैनात अधिकारियों को अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम १९९५ के अनुबंधों की सम्यक जानकारी नहीं है | जिससे शासन स्तर पर अनुमन्य सहायता अनुदान राशि के मामलों की समयबद्ध समीक्षा नहीं हो पा रही है और पीड़ित पक्ष को समय से देय सहायता अनुदान राशि नहीं मिल पा रही है - अतएव अपने अ० शा० परिपत्र संख्या ३१/२००९ दिनांक १६.०६.०९ के माध्यम से जनपदीय अधिकारियों के मार्गदर्शन हेतु पीड़ित पक्ष को अनुमन्य सहायता राशि का विवरण, जो अनु० जाति/ जनजाति (अत्याचार निवारण ) अधिनियम १९९५ के नियम १२(४) में विस्तार से अंकित है, का उद्धरण संलग्न कर प्रेषित किया है, जिससे विभिन्न अपराधों के परिप्रेक्ष्य में शासन द्वारा अनुमन्य न्यूनतम राहत राशि प्रदान किये जाने का प्राविधान है |

पुलिस महानिदेशक श्री विक्रम सिंह ने अपेक्षा की है कि अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियमावली १९९५ के नियम १२(४) के उपबंधों को जनपद में सभी राजपत्रित अधिकारियों एवं थाना प्रभारियों की गोष्ठी कर भली-भांति अवगत करा दिया जाये जिससे पीड़ित पक्ष को अनुमन्य न्यूनतम सहायता राशि समय से प्राप्त हो सके | इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता न की जाये |