जिला पंचायत मऊ, अध्यक्ष/व अधिकारियों द्वारा ७० लाख की लूट, एफ.आई.आर.दर्ज

जिला पंचायत मऊ, अध्यक्ष/व अधिकारियों द्वारा ७० लाख की लूट, एफ.आई.आर.दर्ज


मऊ: सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना के तहत लाखों के धन की बंदरबाट कर सरकारी धन के दुरूपयोग किये जाने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है | इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति/जनजाति के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों को व्यक्तिगत/सामूहिक लाभार्थ के लिए उपलब्ध करायी गयी २२.५% धनराशि आय लगभग ७५ लाख की फेरा-फेरी की गयी है | इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध धन के तहत अनुसूचित जाति/ जनजाति के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों को ठेला,रिक्शा,सिलाई मशीन, गुमटी, बैंडबाजा, ट्राई साइकिल, गैस, सिलेंडर, गैस चूल्हा, हैण्डपम्प, दुधारू गाय, आवास आदि में खर्च किये जाने थे, उसके स्थान पर टीन शेड लगवाकर उसमें भी भारी धांधली की गयी है | कुल ११३ स्थानों पर टीन शेड लगे हैं जिसमें ३२ जगहों पर नहीं हैं केवल कागज में अंकित हैं | जिसके सम्बन्ध में पूर्व में जानकारी सूचना विधेयक २००५ के तहत जिला विकास अधिकारी मऊ, द्वारा उपलब्ध करायी गयी थी | जिसका अवलोकन करने के साथ, सूचना अधिकार अभियान-मऊ के सदस्य व बोधिसत्व समाज सेवा संस्थान के अध्यक्ष/प्रबंधक श्री जीतेन्द्र कुमार गोयल द्वारा दिनांक ०४.०६.०८ को जिलाधिकारी मऊ, प्रमुख सचिव पंचायत, उ.प्र.शासन व पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार को शिकायती पत्र भेजा था | जिस पर कोई कार्यवाही न होने पर माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका संख्या-६०/२००९ दाखिल किया | जिसमें मा० उच्च न्यायालय ने कहा कि इसमें तो हम भी भयभीत हैं | इसमें प्रथम दृष्टया प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हो क्योंकि यह गम्भीर घोटाला है |

उक्त के क्रम में संस्थान के प्रबंधक/ सदस्यों द्वारा तहसील दिवस में पत्र दिया गया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई | पुनः दिनांक ०२.०६.०९ को प्रमुख सचिव/ तहसील दिवसाधिकारी नगर निकाय के समक्ष मामले को रखा गया जिस अधिकारियों को एफ.आई.आर. दर्ज करने का निर्देश हुआ फिर भी अधिकारियों द्वारा आना-कानी करना पड़ा | पुनः संस्थान द्वारा दबाव बनाने के बाद दिनांक १७.०६.०९ को अंतर्गत धारा २१८,४०९ भारतीय दंड संहिता के तहत जिला पंचायत अध्यक्ष मऊ, श्रीमती अंशा यादव, पूर्व मुख्य विकास अधिकारी, पूर्व परियोजना निदेशक, पूर्व अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत मऊ श्री जगदीश त्रिपाठी एवं अधिशाषी अधिकारी जिला पंचायत मऊ मो.जमाल के विरुद्ध थाना कोतवाली जनपद मऊ, में प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत की गयी |

इससे पूरे जिले के राजनीतिक एवं प्रशासनिक हलको में हड़कंप मचा हुआ है | दर्ज कराये गए मुकदमें में तहरीर के मुताबिक भारत सरकार द्वारा संचालित सम्पूर्ण राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के तहत वर्ष २००६-०७ में लगभग ७० लाख रूपये जिला पंचायत द्वारा खर्च किये गए | योजना के तहत गाइड लाइन के मुताबिक २२.५% धन अनुसूचित जाति/जनजाति के बीपीएल श्रेणी के व्यक्तियों पर खर्च करना था | इसके तहत गरीब व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करने की शासन की मंशा थी | श्री जतेन्द्र कुमार गोयल ने बताया कि गाइड लाइन के प्रस्तर ४.४(७) में स्पष्ट रूप से लिखित है कि योजनान्तर्गत बीपीएल श्रेणी के व्यक्तियों को ठेला, रिक्शा, सिलाई मशीन-----आदि व्यक्तिगत/लाभार्थ देने थे एवं प्रस्तर ६.७.१ के तहत उक्त धन को मंदिर, प्रतिमा, विद्यालय, देवस्थान---------इत्यादि जगहों पर नहीं लगाना है |

जिसके लिए भारत सरकार द्वारा पत्रांक ६१०/२४-०७-०६ एवं प्रमुख सचिव के.के.सिंह द्वारा पत्रांक संख्या २६३६/३८-४-२००८ दि० १७/१०/०६ के माध्यम से पूरे प्रदेश में स्पष्ट आदेश दिए गए थे कि गाइड लाइन के प्रस्तर ४.४(७) के अतिरिक्त धन खर्च नहीं किये जायेंगें और इसके अतिरिक्त खर्च करने पर दंड के भागी होंगें | जिसके क्रम में पूर्व मुख्य विकास अधिकारी मऊ के पत्रांक २८४४/एसजीआरवाई/२००६-०७ दि० १७-११-०६ के माध्यम से जिला पंचायत मऊ को लिखित आदेश दिया गया था | बावजूद गाइड लाइन से अलग हटकर कार्य कराया गया है और धन का बन्दरबाट करते हुए नाम मात्र के टीन शेड लगवाये गए हैं | प्राप्त सूचना विधेयक २००५ के तहत सूचना का अवलोकन करने के बाद कुल ११३ जगहों में ४६ जगह देवस्थान, मंदिर, स्कूल, कॉलेज, महाविद्यालय, प्रतिमा, पार्क, निजी प्रयोग एवं जिला पंचायत सदस्यों द्वारा अपना गेस्ट रूम/बैठक कक्ष वर्कशाप एवं गाड़ियों के रखने के प्रयोग हेतु बनाया गया है | जिलापंचायत सदस्यों द्वारा खुल्लम-खुल्ला उलंघन किया गया है | संस्था द्वारा सर्वे में पाया गया कि ४० देवस्थान इत्यादि एवं ३२ जगहों पर काम ही नहीं हुआ है | केवल कागज़ में दिखाया गया है और एक टीन शेड की लागत ८८,५०० रु० दिखाकर भुगतान किया गया |

उक्त प्रकरण सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना धन के बंदरबाट का मामला काफी दिनों से चर्चाओं में था लेकिन अभी तक इसके विरुद्ध किसी ने आवाज नहीं उठाई थी | संस्था के अध्यक्ष जीतेन्द्र कुमार गोयल ने वर्ष २००८ में जिलाधिकारी को इस सम्बन्ध में पत्र देकर जाँच की मांग की थी | लेट-लतीफ होने के बाद मामला हाई कोर्ट में चला गया और २१-०४-०९ को फिर जिलाधिकारी व अन्य को पत्रक सौंपा | २ जून को मामले को तहसील दिवस में आला अफसरों के सामने रखा और अंततः आला अफसरों के निर्देश पर शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराने का निर्देश हुआ | इस प्रकार यह प्रकरण लगभग एक वर्ष से उठ रहा था लेकिन राजनीतिक कारणों के चलते अभी तक इस पर पर्दा डाला जा रहा था |

मुकदमा पंजीकृत होने के बाद मामलों में लीपा-पोती करने पर विवेचक से भरोसा उठते देख श्री गोयल ने दिनांक २०.०६.०९ के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री महोदया से स्वतंत्र जाँच सीबीसीआईडी से कराने की मांग करते रजिस्ट्री/फैक्स के माध्यम से पत्र भेजा है |


लेखक : अरविन्द मूर्ति , जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय, सूचना अधिकार अभियान से जुड़े हैं , जमीनी संघर्षों में भागीदारी के साथ सच्ची मुच्ची मासिक पत्रिका के संपादक भी हैं | ईमेल: arvind@gmail.com