अनीता श्रीवास्तव, लोक राजनीति मंच की ओर से आगामी विधान सभा चुनाव में वाराणसी (उत्तरी) क्षेत्र से प्रत्याशी हैं।
१९९८ में जब सर्व शिक्षा अभियान आया था तब अनीता सबसे कम आयु की व्यक्ति थीं जो ‘मास्टर ट्रेनर’ के रूप में प्रशिक्षण प्रदान कर रही थीं. जब अनीता हाई-स्कूल में थीं तब से ही उन्होंने अपने आस-पास की लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया और फिर औपचारिक स्कूल में भर्ती होने के लिये प्रेरित किया. काशी विद्यापीठ में आने पर अनीता राजनीतिक शास्त्र की भी विद्यार्थी रहीं और वो अखिल भारतीय छात्र संगठन (‘आइसा’) से जुड़ी रहीं. अनीता की रुचि खेल में विशेष रही और वो राष्ट्रीय स्तर की ‘जुडो’ की चौम्पियन रही हैं. काशी विद्यापीठ में उन्होंने देखा कि लड़कियां अक्सर शिक्षकों तक से झिझकती थीं. हालॅंाकि उनके साथ तो पारिवारिक और सामाजिक दोनों का समर्थन रहा परन्तु अनेक लड़कियों को जिन्हें पारिवारिक या सामाजिक सहयोग नहीं मिलता, उनके अन्दर जो प्रतिभाएं हैं वो दबी रह जाती हैं. अनीता को भी जब कोरिया देश में अपनी खेल प्रतिभा दिखने का अवसर मिला तब उनके संयुक्त परिवार ने जाने नहीं दिया. अनीता ने तब जुझारू विद्यार्थी संगठन बनाया.
अनीता ने शिक्षा के बाद ग्रामीण क्षेत्र में महिला मुद्दों पर काम करते वक्त जुझारू महिला संगठन बनाया और २००६ में, सब को मिला कर ‘प्रगतिशील जन संगठन’ की नींव पड़ी. हाल ही में अनीता ने युवा केंद्र के राष्ट्रीय सेवा कार्यक्रम में ३ साल तक भाग लिया और २०१० में उन्हें आयुक्त द्वारा ‘सर्वश्रेष्ठ युवा कार्यकर्ता’ पुरुस्कार, प्रशस्ति पत्र और रुपया १०,००० का इनाम मिला.
अनीता का कहना है कि २०१० में हम सभी को लग रहा था कि चुनाव में अच्छे लोगों को भी आगे आना चाहिए. इसीलिए सबकी सर्वसम्मिति से २०१० में हमने पंचायत चुनाव में ४ महिला और १ पुरुष प्रत्याशी खड़े किये, जिनमें से जिला बी.डी.सी., जिला पंचायत और प्रधानी के चुनाव शामिल थे. इनमें से हमारे संगठन से एक महिला और एक पुरुष प्रधान बने, और जिला बी.डी.सी. चुनाव में हमारी प्रत्याशी ४५ वोट से दूसरे नंबर पर रही और जिला पंचायत चुनाव में हमारी प्रत्याशी ५५ वोट से दूसरे नंबर पर रही. जब विधान सभा चुनाव आया तो हमने अपने साथियों के साथ कई दौर बैठकें कीं और निर्णय लिया कि हमें अपने विचारों के साथ समझौता नहीं करना चाहिए और सभी प्रगतिशील जनवादी संगठनों को एकजुट करके एक साझा प्रयास और साझी सोच के साथ हम सब को विधान सभा चुनाव में आना चाहिए.
अनीता का कहना है कि वर्तमान में व्याप्त भ्रष्टाचार का विरोध करने का आगामी चुनाव एक सशक्त तरीका है और हमसब को लगा कि इसी तरह से हम राजनीति में भी हस्तक्षेप करें और अपने विचारों और सिद्धान्तों को जनता के बीच में ले जाएँ.
अनीता के अनुसार उनकी महिला मुद्दों के प्रति विशेष प्रतिबद्धता है. अनीता का कहना है कि हमसब ने देखा कि कैसे महिला आरक्षण के मुद्दे पर राजनीतिक दल कतरा रहे हैं. हमारा सवाल है कि ४ मुख्यधारा की पार्टियों को, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, और समाजवादी पार्टी, को पार्टी के भीतर ५० प्रतिशत महिला आरक्षण देने से कौन रोक रहा है? न सही ५० प्रतिशत पर महिला प्रतिभागिता बढ़ाने के लिए कुछ तो नीति तय करें. यदि दलित पार्टी है तो दलित महिलाओं को ही आरक्षण दें, अल्प-संख्यक पार्टी है तो अल्प-संख्यक महिलाओं को आरक्षण दे, पिछड़े लोगों की पार्टी है तो पिछड़ी महिलाओं को आरक्षण दे, अगर सवर्ण पार्टी है तो सवर्ण महिलाओं को आरक्षण दे, पर यह कहीं भी देखने को नहीं मिल रहा है.
महिलाओं की भागीदारी को आखिर कैसे बढ़ाया जाए यह संगीन सवाल है. अनीता का कहना है कि उनकायह भी मानना है कि पंचायत में भी महिला और पुरुष दोनों की भागीदारी होनी चाहिए. उनका यह भी मानना है कि हर शैक्षिक संस्थान में यौन उत्पीड़न समिति होनी चाहिए जिसका प्रभावकारी क्रियान्वन भी हो. महिला हिंसा कानून को महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय से बाहर निकाल कर कानून मंत्रालय में लाना चाहिए और महिलाओं की भागीदारी से ही इस कानून को सशक्त रूप से लागू करना चाहिए.
- सी.एन.एस.