महिलाओं में बढ़ता हुआ तम्बाकू सेवन: अन्तर-राष्ट्रीय महिला दिवस (८ मार्च)१०० साल पहले १९०८ में १५,००० से अधिक महिलाओं ने न्यू यार्क में पुरुषों के समान वेतन पाने के लिए और अपने वोट डालने के अधिकार के लिए एक मार्च निकली थी. महिलाओं द्वारा इतनी भरी संख्या में एकजुट होने को ८ मार्च को दुनिया भर में अन्तर-राष्ट्रीय महिलादिवस मनाया जाता है.
ये निराशाजनक बात है की संस्थाएं और संगठन इतने संकीर्ण हो गए हैं की महिला और पुरूष में असमानता जैसे मुद्दों पर एकजुट नही हो पाते. उदाहरण के तौर पर अन्तर-राष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं में विशेषकर की विकासशील देशों की नाबालिग़ लड़कियों में बढ़ते हुए तम्बाकू सेवन पर चिंता जाहिर करनी अनिवार्य है.
WHO या विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई रिपोर्ट, ग्लोबल तोबक्को एपिदेमिक २००८ (Global Tobacco Epidemic 2008) के अनुसार महिलाओं में तम्बाकू सेवन निरंतर बढ़ता जा रहा है, खासकर की विकासशील देशों में.
फरवरी २००८ में शोध के अनुसार गर्भवती महिलाओं में तम्बाकू सेवन अपेक्षा से कही अधिक पाया गया है. गर्भावस्था में धूम्रपान, चबाने वाली तम्बाकू या परोक्ष रूप से धूम्रपान का अनुपात अपेक्षा से बहुत ज्यादा पाया गया है. ये महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य के लिए चुनौती प्रस्तोत करता है.
भारत में १/३ गर्भवती महिलाएं तम्बाकू का सेवन करती है, ऐसा इस रिपोर्ट में पाया गया. पाकिस्तान में ५०% गर्भवती महिलाएं परोक्ष रूप से धूम्रपान की शिकार हैं.
जो महिलाएं गर्भावस्था में तम्बाकू का सेवन करती हैं, उनमे प्रसव पीड़ा जल्दी हो जाने की, कम वजन के बच्चे होने की और जनम के बाद जल्दी ही बच्चों की मृत्यु हो जाने की सम्भावना बढ़ जाती है.
महिलाओं में पुरुषों से समानता के लिए संघर्ष में उनका स्वतंत्र होना और अपने निर्णय स्वयं लेना लाज़मी है. परन्तु तम्बाकू कंपनियों ने इसी का फैयदा उठाते हुए तम्बाकू सेवन को ‘स्वतंत्र’ ‘सफल’ महिलाओं की छवि से जोड़ दिया, जो ठीक बात नही है क्योकि यदि महिलाएं पुरुषों की तरह तम्बाकू सेवन करेंगी टू पुरुषों की तरह ही तम्बाकू जनित कु-प्रभावों को भी झेलेंगी.
तम्बाकू सेवन को उदासी से भी जोडा गया है और पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दुगनी उदासी होने की सम्भावना होती है.
उच्च-स्तारिये शोध से तमाकू कंपनी ने अपने बाज़ार की नीति नौजवान लड़को और लड़कियों के तमन्नाओं और उठने बैठने के तौर-तरीकों के अनुसार बना ली है. इसी लिए लगभग सभी तम्बाकू के प्रचार नौजवान लड़को लड़कियों को आकर्षित करने के लिए बनाये जाते हैं.
तम्बाकू सेवन से जुड़े हुए विज्ञापन या परोक्ष विज्ञापन जैसे की फिल्मों में तम्बाकू सेवन को प्रदर्शित करना इतियादी, में तम्बाकू सेवन को भ्रामक गुणों से जोडा जाता है जैसे की पतले शरीर से, सफलता से, सम्रधता से, यौनिक आनंद से, और युवा और नवयुवतियाँ इनकी और आकर्षित हो जाते हैं.
तम्बाकू कंपनी का प्रकाशन, तोबक्को रिपोर्टर, के अनुसार (१९९८): “पेर कापिता तम्बाकू का सेवन बढ़ रहा है – क्योकि महिलाओं ने तम्बाकू के सेवन को स्वीकार लिया है और सामाजिक स्वीकृति भी मिल रही है, और तम्बाकू बाज़ार बढ़ रहा है”
ये पतली सिगारेत्ते जिनपर ‘स्लिम’ या ‘लाइट’ आदि लिखा हुआ होता है, वो खासकर की महिलाओं को ध्यान में रख कर बाज़ार मी उतारी जाती हैं.
महिलाओं और पुरुषों में अनेकों एक से तम्बाकू जनित कु-प्रभाव होते हैं जैसे की फेफडे का कैंसर, उपरी खाने की नाली का कैंसर, अनेकों और कैंसर, हृदय रोग, च्रोनिक ब्रोंचितिस, और एम्फ्य्सेमा.
पुरुषों में तम्बाकू से उनकी यौनिक शक्ति कम होती है और उनमें नपुंसकता होने का खतरा भी बढ़ जाता है.
महिलाओं में तम्बाकू सेवन से ह्रदय रोग होने का खतरा पुरुषों की तुलना में अधिक बढ़ जाता है खासकर की जब वे गर्भ निरोधक गोलियां ले रही हों, बच्चे न होने की सम्भावना भी बढ़ जाती है, सर्विक्स का कैंसर, आदि का खतरा भी बढ़ जाता है. गर्भस्थ शिशु को भी इसके कु-प्रभाव झेलने पड़ते हैं, जो अक्सर घटक हो सकते हैं.
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को परोक्ष धूम्रपान कही अधिक झेलना पड़ता है, जो अनेकों जानलेवा बीमारियों की सम्भावना बढ़ा देता है.
फेफडे के कैंसर से मृत्यु डर Europe में महिलाओं में तीन गुना अधिक पाया गया है पुरुषों की तुलना में जो धूम्रपान करते हैं.
भारत में थे Cigarette and Other Tobacco Products Act (2003) या सिगारेत्ते एवं अन्य तम्बाकू उत्पादन अधिनियम २००३ और अन्तर-राष्ट्रीय तम्बाकू नियांतरण के लिए संधि (Framework Convention on Tobacco Control, FCTC) दोनों ने जन-स्वास्थ्य के लिए और महिलाओं में तम्बाकू सेवन के डर को कम करने के लिए अनेको प्रावधान प्रस्तावित किए हैं जैसे की: तम्बाकू विज्ञापन पर बंदी लग्न, नाबालिग़ युवाओं को या नवयुवतियों को तम्बाकू नही मिले और विक्रय स्थानों पर इस पर रोक लगे, तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो वाली प्रभावकारी चेतावनी लगे और तम्बाकू उत्पादनों पर भ्रामक शब्दों जैसे की ‘लाइट’ ‘मिल्ड’ ‘स्लिम आदि के इस्तेमाल पर भी रोक लगे.
परन्तु इन प्रावधानों को लागु करना एक बड़ी चुनौतीपूर्ण कार्य है.
हाल ही में भारत में जो मंत्रियों का समूह बना था जो तम्बाकू उत्पादनों पर फोटो वाली चेतावनी पर विचार कर रहा था, उसने निराशाजनक निर्णय लिया है की फोटो वाली चेतावनी का अकार ५०% से घटा कर ३०-४०% कर दिया जाए, और जिन फोटो के इस्तेमाल करने के लिए रजामंदी दी है वो फोटो प्रभावकारी नही हैं.
उम्मीद है की इस वर्ष अन्तर-राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष में महिलाएं एवं पुरूष एक जुट हो कर जन-स्वास्थ्य के लिए नज़र-अंदाज़ किए हुए प्रावधानों को लागु करने में सफल होंगे.