जन-आन्दोलनों ने सांप्रदायिक शक्तियों के हमले का बहिष्कार किया जिन राजनितिक पार्टियों ने CPI-M के कार्यालयों पर हमला किया है उनके खिलाफ सख्त करवाई हो
९ मार्च २००८ को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सिस्ट) या CPI-M के कार्यालयों पर हुए हमले पर संघर्ष २००७ से जुडे हुए जन आन्दोलनों और लोगों ने घोर आपत्ति और खेद व्यक्त किया है.
संघर्ष २००७ के तहत जो जन-
आन्दोलन एकजुट हुए हैं,
उनमे प्रमुख हैं: national alliance of people’s movements (NAPM)
या जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय और national forum of forest peoples and forest dwellers (NFFPFW)
या जंगल में रहने वाले लोगों का राष्ट्रीय फोरम.
हमे ये जान कर आश्चर्य होता है की ये हमला भारत जैसे लोकतंत्र राष्ट्र की राजनितिक पार्टियों द्वारा पूर्व-नियोजित ढंग से किया गया था, वो भी इन राजनीति पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं की निगरानी में.
ये भी चौकाने वाला तथ्य है की CPI-M के कार्यालयों पर हमला दिन-दहाड़े किया गया जब कार्यालय के भीतर राष्ट्रीय कमिटी की बैठक चल रही थी.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और RSS द्वारा हिंसा का प्रयोग कर के अन्य राजनितिक प्रतिद्वंदियों को डराने के इस प्रयास का हम लोग खंडन करते हैं.
किसी भी राजनितिक पार्टी द्वारा हिंसा के प्रयोग करने का हम सदैव खंडन करते आए हैं और चुनाव आयोग से गुजारिश है की जो राजनितिक पार्टियाँ हिंसा और खुले-आम हत्या में शरीक होती हैं, उनके खिलाफ करवाई की जाए.
हम इस बात को भी जोर दे रहे हैं की जो राजनितिक पार्टियाँ शासन काल में हैं, उनके द्वारा पैसे, राजनितिक दबाव या हिंसा का प्रयोग करके अन्य राजनितिक प्रतिद्वंदियों को दबाने का प्रयास अत्यन्त खेदजनक है.
हमारी मांग है की भारतीय जनता पार्टी (
बीजेपी)
और उसके अन्य सहयोगी संगठन जैसे की राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ (RSS)
तुरंत CPI-M
के कार्यालयों पर हमले बंद करे.
हमारी मांग है की केंद्रीय सरकार और प्रदेश सरकारें (दिल्ली, उतराखंड, आंध्र प्रदेश आदि की) बीजेपी और RSS के हमला करने वालों पर सख्त कानूनी करवाई करे जिन्होंने भारत के लोकतांत्रिक व्यवस्था को ललकारने का प्रयास किया है.
हमारी मांग है की केरला प्रदेश सरकार उन राजनितिक कार्यकर्ताओं के विरुद्ध और पार्टियों के विरुद्ध कारवाई करे जिन्होंने थालास्सेर्री (कन्नूरे जिले में) में हिंसा और राजनितिक हत्याओं में भाग लिया है.
हमारी उम्मीद है कि सब प्रदेश सरकारें और राजनितिक पार्टियाँ पुनः शान्ति व्यवस्था कायम करने के लिए हर सम्भव प्रयास करेंगी.
हर राजनितिक शक्तियों से अनुरोध है कि संयम और विवेक से काम ले और लोकतांत्रिक ढांचे मे रह के विरोध, प्रदर्शन, असहमति और वैचारिक मुद्दों पर चर्चा को जगह दे.
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