तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ६१
मंगलवार, १७ जून २००८
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राजेश कुमार, जो रियाध में कार्यरत थे, १२ मई २००८ को Qatar airways के जहाज से भारत वापस आने को थे, परन्तु हवाई अड्डे पर ही बेहोश हो गए. होश आने पर डाक्टरी परीक्षण से पता चला कि उनको तपेदिक या टीबी है.
हवाई अड्डे पर खलबली मच गयी! पिछले साल ही एक अमरीकी वकील ने ड्रग रेसिस्तंत टीबी होने पर हवाई यात्रा कर के विश्व में सनसनी पैदा कर दी थी. तब से अनेकों ऐसे उदाहरण मिल जायेंगे जहाँ पर किसी को टीबी या तपेदिक निकलने पर बाकि सभी लोगों की, जो उस व्यक्ति के सम्पर्क में आए हों, उनकी टीबी या तपेदिक की जांच होने लगी. शुक्र है कि अधिकांश ऐसे हादसों में किसी को टीबी या तपेदिक नही निकली पर एक भय अवश्य बैठ गया है कि जन परिवाहनों में टीबी या तपेदिक से ग्रसित व्यक्ति के पास बैठने से टीबी या तपेदिक का संक्रमण फ़ैल सकता है. सत्य यह है कि सम्भावना तो संक्रमण फैलने की है परन्तु भारत, चीन, आदि देशों में यह कैसे संभव है कि व्यक्ति अनजान लोगों के एकदम निकट न बैठे? ट्रेन, बस, आदि में किसी को क्या पता कि बगल में बैठे सह-यात्री को कौन से संक्रमण हैं? नि:संदेह यह बात कही जा सकती है कि टीबी या तपेदिक के नियंतरण के लिए यह प्रभावकारी नीति नही है - इससे लोगों में भय उत्पन्न हो जायेगा और संभवत: टीबी होने पर किसी अन्य को बताने में लोग भयभीत होंगे. इससे संक्रमण फैलने की सम्भावना और बढ़ जायेगी.
अमरीका में एक जेल के कैदी को टीबी या तपेदिक का संक्रमण निकलने पर न केवल उस कैदी का इलाज हो रहा है बल्कि सभी अन्य कैदियों की और जेल के कर्मचारियों की जांच भी हो रही है, और जेल पर ताला-बंद!
विश्व में १९वीं सबसे अधिक टीबी या तपेदिक के रोगी बर्मा में हैं. हाल ही में बर्मा में आए नरगिस तूफ़ान के कारणवश विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चिंता व्यक्त की है कि बर्मा में टीबी या तपेदिक के फैलने की सम्भावना बढ़ गयी है, खासकर कि ड्रग रेसिस्तंत टीबी की क्योंकि टीबी से ग्रसित लोगों तक दवाइयाँ नियमित रूप से नहीं पहुच पा रही हैं.
दक्षिण अफ्रीका के एक टीबी अस्पताल से १९ टीबी के मरीज सुरक्षाकर्मियों से हाथापाई कर के भाग गए. यह सभी टीबी के मरीज - ड्रग रेसिस्तंत टीबी - के थे, जिनमें से ३ को एक्स्तेंसिवेली ड्रग रेसिस्तंत टीबी थी और १६ को मल्टी ड्रग रेसिस्तंत टीबी थी. गौर करने का विषय है कि अस्पताल में किस तरह का मौहौल है कि टीबी मरीजों को बिना दवा मर जाना बेहतर समझ में आया है. पिछले साल २००७ में इसी अस्पताल से ड्रग रेसिस्तंत टीबी के रोगी दीवार तोड़ कर भाग गए थे. दक्षिण अफ्रीका की सरकार ने ऐलान किया है कि विशेष कवच पहने हुए स्वास्थ्यकर्मी और पुलिस इन रोगियों को दुबारा पकड़ने के लिए तलाश में लगी हुई है. क्या इसी तरह से हम प्रभावकारी टीबी या तपेदिक नियंतरण करने वाले हैं?
International Union Against Tuberculosis and Lung Disease (IUATLD, The Union), या तपेदिक या टीबी और अन्य फेफड़े की बीमारियों के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन - ने एक रपट जारी की है कि कैसे गैर-संक्रामक रोगों के नियंतरण को प्रभावकारी बनाया जाए - यह रपट खासकर इसलिए महत्व की है क्योकि २१ मई २००८ को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ल्ड हैल्थ स्तातिस्तिक रपट २००८ जारी की थी जिसके अनुसार गैर संक्रामक रोगों का मृत्यु दर संक्रामक रोगों की तुलना में कहीं अधिक है - उदाहरण के तौर पर टीबी, एच.आई.वी, आदि जैसे संक्रामक रोगों से कही अधिक मृत्युदर है गैर-संक्रामक रोगों का जैसे कि ह्रदय रोग, डायबिटीज़, या तम्बाकू-जनित और मोटापा जनित बीमारियाँ. इस वर्ल्ड हैल्थ स्तातिस्तिक रपट २००८ को डाउनलोड करने या पढ़ने के लिए यहाँ पर क्लिक्क कीजिये
यूनियन का कहना है कि गैर संक्रामक रोग जैसे कि डायबिटीज़, उच्च रक्त का दबाव या हाई बी.पी, ऐस्थामा या दमा का रोग, epilepsy या मिर्गी का दौरा आदि के जन-स्वास्थ्य कार्यक्रमों को प्रभावकारी बनाने के लिए टीबी या तपेदिक के कार्यक्रमों से बहुत कुछ सीखने को मिलता है. तपेदिक या टीबी कार्यक्रमों को राजनीतिक समर्थन मिलने से और अत्यन्त सरल टीबी या तपेदिक की जांच, एक ही प्रकार का टीबी या तपेदिक का मान्यता प्राप्त इलाज जिसे डोट्स कहते हैं, नियमित रूप से टीबी या तपेदिक के इलाज के लिए दवाइयों को मुहैया करना और टीबी या तपेदिक के इन कार्यक्रमों का ठीक से मूल्यांकन करना आदि इसको सफल बनाने में कारगर रहे हैं.
यूनियन की इस रपट को डाउनलोड करने या पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक्क कीजिये