तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ६२
सोमवार, २३ जून २००८
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तपेदिक या टीबी के प्रभावकारी इलाज उपलब्ध होने के बावजूद रोजाना ४,००० से अधिक लोग तपेदिक या टीबी की वजह से मृत्यु के शिकार होते हैं. टीबी या तपेदिक से एक भी व्यक्ति की मृत्यु नही होनी चाहिए क्योंकि इलाज मुमकिन है, कहना है संयुक्त राष्ट्र की महा सचिव बन-की-मून का. बन-की-मून ने यह भी कहा कि नई टीबी की जाँच और दवाइयों के लिए शोध पर पर्याप्त आर्थिक निवेश नही किया गया है. बन-की-मून का यह भी कहना है कि एच.आई.वी से ग्रसित लोगों में टीबी या तपेदिक की जाँच और इलाज करने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है, जिसके लिए पर्याप्त आर्थिक निवेश भी उपलब्ध कराना चाहिए.
दीज्हेर्लो नामक पेड़ से निकलने वाले एक द्रव्य को यूक्रेन में हो रह एक शोध के तहत टीबी और एच.आई.वी दोनों से ग्रसित व्यक्तियों में इस्तेमाल किया गया. इस शोध से यह स्थापित हुआ कि इसके प्रयोग से न केवल एच.आई.वी और टीबी दोनों से ग्रसित लोगों के शरीर की प्रतिरोधक छमता बढ़ जाती है, बल्कि शरीर का वाइरल लोड भी कम हो जाता है. यह प्रारम्भिक शोध है, और इस पर अधिक गहनता से शोध होने की आवश्यकता है. दीज्हेर्लो चूँकि एक पेड़ से निकलने वाला पदार्थ है, इसको यूक्रेन में सैंकड़ों सालों से लोग इस्तेमाल कर रहे हैं, और इसका शरीर पर कोई भी कु-प्रभाव ज्ञात नही है. सम्भावना है कि अधिक शोध से यह स्थापित हो पायेगा कि इसका एच.आई.वी से ग्रसित लोगों की प्रतिरोधक छमता बढ़ाने में कितना योगदान है.
टीबी और अन्य संक्रामक रोगों से बचाव के लिए अत्यन्त सरल तरीकों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए. हाल ही में एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि यदि टीबी या तपेदिक का इलाज न हो तो ३० - ५० प्रतिशत मृत्यु की सम्भावना रहती है. इसी उद्बोधन में उन्होंने कहा कि कीटनाशक और मच्छर मारने की दवाइयों का इस्तेमाल करने से और भोजन से पहले हाथ धोने से अनेकों संक्रामक रोगों से बचाव मुमकिन है.
पिछले हफ्ते शुक्रवार, २० जून २००८ को, थाईलैंड के टीबी अस्पताल में जाना हुआ. वहाँ पर भी संक्रामक रोगों से बचाव के लिए कुछ निर्देश लिखे हुए थे जिनमें सबको मास्क पहनना चाहिए, खिड़की-दरवाजे खुले रखना चाहिए जिससे की वायु आर-पार जा सके, खाँसते वक्त मुंह पर हाथ रखना चाहिए, और भोजन के वक्त परोसने के लिए चमचे का इस्तेमाल करना चाहिए (यानि कि अपनी चम्मच का भोजन परोसने के लिए प्रयोग नही करना चाहिए), प्रमुख निर्देश थे.
स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में जहाँ भांति भांति प्रकार के रोगियों का आवागमन होता है, वहाँ पर विशेष तौर पर संक्रामक रोगों के नियंत्रण के लिए प्रावधान होने चाहिए और उनपर अमल भी होना चाहिए.