डॉ अगरवाल का 'गंगा-भागीरथी बचाओ' अभियान और आमरण अनशन दिल्ली में जारी

डॉ अगरवाल का 'गंगा-भागीरथी बचाओ' अभियान और आमरण अनशन दिल्ली में जारी

आई.आई.टी कानपुर के सेवानिवृत आचार्य (प्रोफेसर) डॉ जी.डी अगर्वाल, जो ७६ वर्ष के हैं, १३ जून २००८ से उत्तराखंड में गंगा/ भागीरथी के ऊपर प्रदेश सरकार और केंद्रीय सरकार द्वारा नियोजित कई बड़े बाँध और पानी से उर्जा बनाने के प्रोजेक्ट के विरोध में आमरण-अनशन पर हैं. पहाड़ों से रास्ता काट कर गंगा के रुख को बदलने की भी सरकारी योजना है, जिससे न केवल प्रकृति के नष्ट होने का खतरा है बल्कि जो प्राकृतिक रूप से जीव और पेड़ आदि जो गंगा पर निर्भर हैं, उनके भी नष्ट होने का खतरा है. उसके बाद जो लोग इन प्रोजेक्ट से विस्थापित होंगे, और जिन लोगों की ज़िन्दगी और जीविका भी गंगा पर निर्भर है जो कुंठित होगी, उनके बारे में भी सरकारी नीति होनी चाहिए.

डॉ अगरवाल को योग गुरु रामदेव ने भी समर्थन दिया और गंगा रक्षा मंच की स्थापना की. पिछले हफ्ते उत्तराखंड के मुख्या मंत्री खंडूरी ने कहा कि वोह प्रदेश सरकार द्वारा नियोजित बाँध के प्रोजेक्ट को दर-किनार करने को तैयार हैं यदि प्रदेश की बिजली की आवश्यकता केन्द्र पूरी कर दे, परन्तु नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन का प्रोजेक्ट जो केंद्रीय सरकार द्वारा संचालित है, उसके बारे में वोह कोई निर्णय या हस्तछेप नही कर सकते.

इस घोषणा के बाद ही जिन लोगों के हित इस प्रोजेक्ट पर निर्भर हैं, जिनमें राजनीतिज्ञ और ठेकेदार दोनों शामिल हैं, उन्होंने डॉ अगर्वाल के शान्ति और अहिंसक अनशन को भंग करने का प्रयास किया.

अब डॉ अगर्वाल और अन्य सामाजिक कार्यकर्ता दिल्ली पहुँच रहे हैं, जहाँ पर विरोध जारी रहेगा और केंद्रीय सरकार पर भी जोर बन पायेगा की नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन के प्रोजेक्ट को वोह लोगों के हित में रद्द करे.

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