उत्तर प्रदेश सरकार ने आई.टी.सी कंपनी का लाइसेंस रद्द किया
मायावती की उत्तर प्रदेश सरकार ने आई.टी.सी कंपनी, जो भारत की सबसे बड़ी तम्बाकू कंपनी है, उसका लाइसेंस ३० जून २००८ तक रद्द कर दिया। यह एक और प्रमाण है कि तम्बाकू कम्पनियाँ न केवल तम्बाकू के व्यापार में बल्कि अन्य व्यापार में भी जन-हित को दर-किनार कर राजनितिक और अन्य उचित-अनुचित तरीकों से अपने बाज़ार को बचाती हैं और मात्र मुनाफे के लिए समर्पित रहती हैं।
आई.टी.सी कंपनी अब गेहूं के व्यापार में भी प्रवेश कर चुकी है। प्रदेश सरकार के कैबिनेट ने निर्णय लिया था कि राबी के समय में ३० जून २००८ तक कंपनियों के गेहूं खरीदने पर रोक लगाई जाए. इसके अलावा स्वयं उत्तर प्रदेश सरकार ने २५ मई २००८ को आदेश पारित किया था जिसके अनुसार किसानों से व्यापारियों के गेहूं खरीदने पर कोटा आधारित किया गया था।
इस कैबिनेट निर्णय को दर-किनार कर कि ३० जून २००८ तक कोई व्यापारी गेहूं नही खरीद सकता है, और प्रदेश सरकार के आदेश को नज़रंदाज़ करके कि कोई भी व्यापारी असीमित गेहूं नही खरीद सकता है, आई.टी.सी ने कृषि विभाग/ मंत्रालय से ३० मई २००८ को आदेश निकलवाया कि वह किसानों से सीधा ५ लाख मैट्रिक टन गेहूं खरीद सकती है।
गनीमत है कि मायावती जो उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री हैं, उनकी सरकार ने इस आदेश को खारिज किया और आई.टी.सी के गेहूं खरीदने के लाईसेन्स को ३० जून २००८ तक रद्द कर दिया।
इस गेहूं घोटाले का खुलासा किया है टाइमस ऑफ़ इंडिया अखबार ने - ६ जून २००८ को इस घोटाले का पर्दाफार्श करते हुए टाइमस ऑफ़ इंडिया ने सरकार को कारवाई करने पर विवश कर दिया। शुक्र है इस अखबार का, जो आज भी जनहित की ख़बरों को प्राथमिकता देता है।