डॉ मीरा आघी को अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण पुरुस्कार
प्रख्यात तम्बाकू नियंत्रण कार्यकर्ता और संयुक्त राष्ट्र की परामर्शकर्ता डॉ मीरा आघी को महिलाओं में तम्बाकू नियंत्रण के कार्य हेतु अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार से सम्मानित किया गया.
महिलाओं में तम्बाकू नियंत्रण कार्य हेतु समर्पित अंतर्राष्ट्रीय संगठन [International Network of Women AgainstTobacco (INWAT)] ने चौदहवें अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकूनियंत्रण अधिवेशन के अवसर पर डॉ मीरा आघी को इस पुरुस्कार से सम्मानित किया.
तम्बाकू नियंत्रण पर कार्य कर रहे लोगों के लिए, विशेषकर कि महिलाओं के लिए, ६५ वर्षीया डॉ मीरा आघी नि:संदेह प्रेरणा स्त्रोत हैं. पिछले ३० सालों से तम्बाकू नियंत्रण पर कर्मठता से कार्यरत डॉ आघी ने महिलाओं में प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है.
प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि महिलाएं आगे आयें और तम्बाकू नियंत्रण और जन-स्वास्थ्य अभियान को नेतृत्व प्रदान करें. इसके लिए संस्थानों में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता है, कहना है डॉ मीरा आघी का.
"तम्बाकू नियंत्रण से जुड़े हुए विशेष पहलुओं पर महिलाओं में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है" कहना है डॉ मीरा आघी का. "महिलाओं को स्वास्थ्य मुद्दों पर सक्रिय होने के लिए जानकारी और प्रेरणा की जरुरत है" कहा डॉ आघी ने.
अमरीका में शिकागो स्थित लोयोला विश्वविद्यालय से पी.एच.डी प्राप्त डॉ मीरा आघी, ऐड्स, नशीली दवाओं और युवाओं से जुड़े हुए मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र की परामर्शकर्ता रही हैं.
"में बहुत चिंतित हूँ कि भांति-भांति प्रकार के तम्बाकू विज्ञापनों की वजह से और तम्बाकू सेवन को फैशन आदि से जुड़े होने के भ्रम की वजह से युवाओं में तम्बाकू सेवन बढ़ रहा है. इसको रोकना होगा" कहना है डॉ आघी का.
३० साल पहले डॉ मीरा आघी एक जागरूकता बढ़ाने के लिए चल-चित्र के निर्माण से सम्बंधित थीं. इस चल-चित्र बनाने के दौरान ही डॉ आघी को तम्बाकू के घातक स्वरुप से परिचय हुआ और विश्व स्तर पर हो रहे तम्बाकू नियंत्रण से जुड़े हुए कार्य के बारे में भी जानकारी मिली. भारत में बढ़ते हुए तम्बाकू सेवन के बारे में डॉ आघी चिंतित हुईं और ३० सालों में भरसक प्रयास करती रही कि प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण का स्वप्न साकार हो सके.
चौदहवें अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण अधिवेशन के दैनिक समाचार पत्र में छपे लेख के अनुसार १९८० के दशक में डॉ मीरा आघी ने एक भारतीय तम्बाकू कंपनी को ललकारा और उसके ख़िलाफ़ सक्रिय अभियान छेड़ दिया था क्योंकि वोह कंपनी महिलाओं में सिगरेट को बढ़ावा देने की योजना बना रही थी.