तपेदिक के नियंत्रण के लिए एकीकृत प्रयास आवश्यक हैं
२४ मार्च, विश्व तपेदिक दिवस के सन्दर्भ में ‘हमें तपेदिक को रोकना ही होगा. और यह तभी सम्भव है जब सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ता, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय भागीदार और सम्प्रदाय एक साथ मिल कर इसके लिए प्रयत्न करें।’
यह संदेश है डॉक्टर सामली प्लिआन्गबान्गचान्ग का, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण- पूर्व एशिया के क्षेत्रीय निदेशक हैं। डॉक्टर सामली ब्राज़ील की राजधानी में हो रहे तीसरे ‘स्टाप टी.बी. पार्टनर्स फॉरम’ के तीन दिवसीय (२३ मार्च से२५ मार्च) सम्मलेन के अवसर पर बोल रहे थे।
एकजुट प्रयास का यह नारा वास्तव में सामयिक है। वर्तमान समय में जहाँ एक और तपेदिक के रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी ओर सारा विश्व आर्थिक मंदी के दौर से गुज़र रहा है। दक्षिण पूर्व एशिया के २० लाख तपेदिक मरीजों में से ८७% का सफल इलाज प्रति वर्ष किया जा रहा है। परन्तु इसके साथ ही ‘बहु औषधि प्रतिरोधक टी.बी.( एम.डी.आर.टी.बी.) एवं टी.बी. – एच. आई. वी. सह संक्रमण का प्रकोप भी बढ़ रहा है। आर्थिक तंगी के कारण और भी मुसीबत है। उदहारण के लिए ‘ ग्लोबल फंड फॉर एड्स, टी बी एंड मलेरिया’ ( जी ऍफ़ ए टी एम) का २००९ -२०१० का बजट ८ अरब डॉलर से घटा कर ५ अरब डॉलर कर दिया गया है। अर्थात ३ अरब डॉलर की कटौती। जो देश इस कोष में धन देने को प्रतिज्ञा बद्ध हैं, वे भी अपने वायदे से मुकर रहे हैं। इसके बजाय यह पैसा बैंकों को दिया जा रहा है, जो अपने कर्मचारियों को इसे बोनस के रूप में दे रहे हैं। इससे यह तो स्पष्ट ही है कि तपेदिक का इलाज अधिकतर राष्ट्रों के लिए विकास- प्राथमिकता नहीं है। ऐसी स्थिति में सभी पणधारियों (स्टेक होल्डर्स ) को समान साझेदारी निभानी होगी।
दक्षिण पूर्व एशिया में, प्रति वर्ष ३६ लाख एच. आई. वी. के साथ जी रहे व्यक्तियों में से करीब एक प्रतिशत में तपेदिक होने की संभावना होती है। अत: यह आवश्यक है कि एच. आई.वी./ऐड्स और टी बी नियंत्रक कार्यक्रमों का लाभ सभी टी बी रोगियों को मिले। तपेदिक से सम्बंधित सारे उचित परामर्श, उपचार, परिचार एवं ए.आर.टी ( एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी ) उन्हें उपलब्ध होने आवश्यक हैं।
दक्षिण पूर्व एशिया में डाट्स कार्यक्रम के सफल परिपालन के कारण ‘औषधि प्रतिरोधक टी बी' का प्रतिशत ३% मात्र है। परन्तु यह भी एक बड़ी संख्या है। बहु औषधि प्रतिरोधक टी बी के मरीजों की संख्या में प्रति वर्ष १५०,००० की बढ़ोतरी हो रही है। डॉक्टर सामली के अनुसार इसका एक मुख्य कारण है ‘राष्ट्रीय कार्यक्रमों के बाहर, टी बी की दवाओं का व्यापक अनियंत्रित सेवन।’ यह वास्तव में चिंता का विषय है।
टी.बी निवारण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी राष्ट्रों को अपनी स्वास्थ्य सेवाओं का बजट बढ़ाना होगा, ताकी सभी टी बी रोगियों को समान रूप से नि:शुल्क एवं उत्तम उपचार उपलब्ध हो सके। यह भी आवश्यक है कि सभी निजी एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएँ तपेदिक उपचार के अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन करें। टी बी औषधियों के अनियंत्रित इस्तेमाल को तत्काल बंद करने की दिशा में भी कदम उठाने होंगें। वरना औषधि प्रतिरोधक टी. बी. मरीजों की संख्या में वृद्धि तो होगी ही, उनके इलाज में बेशुमार पैसे खर्च होने के बाद भी उनका सफल उपचार होना कठिन हो जायेगा।