भारत सरकार के लिए शाहरुख़ खान की क्रियात्मक स्वतंत्रता प्राथमिकता है या नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन?
भारत के प्रसिद्ध फिल्म-अभिनेता शाहरुख़ खान का कहना है कि उनकी ‘क्रियात्मक स्वतंत्र’ महफूज़ रखने के लिए फिल्मों में तम्बाकू सेवन दिखाए जाने पर प्रतिबंध नही होना चाहिऐ. भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ अंबुमणि रामादोस ने फिल्म-अभिनेताओं से, विशेषकर कि अमिताभ बच्चन और शाहरुख़ खान से ये फिल्मों और सार्वजनिक स्थानों पर तम्बाकू सेवन न करने का अनुरोध किया था.
तम्बाकू से भारत में १० लाख से भी अधिक लोग प्रति वर्ष मृत्यु को प्राप्त होते हैं. ये प्रमाणित हो चुक्का है कि तम्बाकू तमाम जानलेवा बीमारियों का जनक है. ये भी शोध के आधार पर और व्यक्तिगत अनुभव से कहा जा सकता है कि अधिकांश तम्बाकू सेवन १८ साल से कम उमर में ही शुरू होता है.
ये भारत सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है कि बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य और जीवन की रक्षा करे. ये भी ध्यान देना जरुरी है कि तम्बाकू कम्पनियाँ बच्चों और युवाओं को तम्बाकू सेवन शुरू करने के लिए जो भ्रामक तरीकों का इस्तेमाल करती हैं, उसकी आलोचना अक्सर नही होती. जहाँ फिल्मों में तम्बाकू सेवन पर रोक लगना अनिवार्य है, वही तम्बाकू कंपनियों को जिम्मेदार ठहराना भी लाज़मी है.
“बच्चों और युवाओं में तम्बाकू सेवन के दर को कम करने का सबसे आसान तरीका है फिल्मों में तम्बाकू सेवन दिखाए जाने पर रोक लगना” कहना है डॉ रामादोस का.
युवाओं में तम्बाकू सेवन शुरू करने के लिए सबसे प्रभावकारी हैं फिल्मों में तम्बाकू सेवन को महिमामंडित करना या प्रदर्शित करना. ये भारत और अमरीका में होने वाले तमाम शोध से सिद्ध हो चुक्का है.
२००३ में प्रदर्शित ७६% फिल्मों में तम्बाकू सेवन को प्रदर्शित किया गया था और लगभग ५३% बच्चों और युवाओं ने तम्बाकू का सेवन फिल्मों से प्रभावित हो कर किया था. ये शोध विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किया गया था.
२००४-२००५ में ८९% फिल्मों में तम्बाकू सेवन को प्रदर्शित किया गया था. यही नही ४१% फिल्मों में तम्बाकू के ब्रांड्स भी दिखाए गए थे.
गौर हो कि ३१ मई २००३ को The Cigarette and Other Tobacco products Act लागू हो गया था (सिगारेत्ते एवं अन्य तम्बाकू उत्पादन अधिनियम २००३). तम्बाकू के सीधे विज्ञापन पर रोक लग गयी थी, और तम्बाकू कंपनियों के पास अप्रत्यक्ष तरीकों के अलावा अपने उत्पादनों का प्रचार करने का कोई रास्ता नही था.
भारत की फिल्म उद्योग विश्व का सबसे बड़ा फिल्म उद्योग है, जहाँ ९०० फिल्मों से भी अधिक प्रति वर्ष रेलेअसे होती हैं.
डॉ रामादोस का ये भी कहना है कि फिल्म और तम्बाकू उद्योग मिले हुए हैं.
भारत सरकार के लिए फिल्म अभिनेताओं की क्रियात्मक स्वतंत्र अधिक जरुरी है या बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य और जीवन?