बजट के लिए इच्छा सूची: हाशिये पर लोगों के हितों की संग्रक्षा करें, अगले पे कमीशन में किसानों, मजदूरों और कारीगरों के हितों को ध्यान दे

बजट के लिए इच्छा सूची: हाशिये पर लोगों के हितों की संग्रक्षा करें, अगले पे कमीशन में किसानों, मजदूरों औरकारीगरों के हितों को ध्यान दें

संदीप पाण्डेय

(ये लेख मौलिक रूप से अरुणोदय प्रकाश द्वारा अंग्रेज़ी में लिखा गया है, जो यहाँ पढ़ा जा सकता है: http://www.livemint.com/2008/02/27141514/Budget-Wishlist--Safeguard-in.html . इसका अनुवाद करने का प्रयास किया गया है. त्रुटियों के लिए छमा करें)

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अधिकांश जनता जो ‘असल’ भारत में रहती है उसके मुद्दों को केन्द्र में रख कर ही आर्थिक एंड सामाजिक नीतियाँ बनाई जानी चाहिए, ऐसा हमारा मानना है – संदीप पाण्डेय

चांद सुझाव:

- अगले पे कमीशन में किसानों, मजदूरों और कारीगरों को शामिल किया जाए

- ये सुनिश्चित किया जाए की सबको रोज़गार मिले और गुणात्मक दृष्टि से उच्च-स्वास्थ्य सेवा का लाभ भी प्राप्त हो

- ठीक से जांच करने के बाद गरीबों का उधार या लोन माफ़ किया जाना चाहिए और उनके उत्पादनों को, विशेषकर की अर्थ-व्यवस्था के मूल उत्पादनों को पर्याप्त दाम मिलना चाहिए.

- सबको सामाजिक सुरक्षा का लाभ मिलना चाहिए, न की सिर्फ़ चांद लोगों को

- मानव के वजूद के लिए जो काम जितना आवश्यक है, उस हिसाब से उसका दाम तय होना चाहिए. उदाहरण के तौर पर किसानों को सबसे अधिक दाम मिलना चाहिए. इसी तरह किसानों के उत्पादनों को भी अधिक मूल्य मिलना चाहिए क्योकि उनके उत्पादन मनुष्य के वजूद के लिए अति-आवश्यक हैं.

- ऐसी निति बनाई जानी चाहिए की किसानों को जमीन पर अधिकार मिल सके एंड ग्रामीण छेत्रों में गरीब लोगों को सहायता मिले जिससे की कृषि-केंद्रीय अर्थ-व्यवस्था का विकास हो

- स्थायी उर्जा के संसाधन के लिए ‘फोस्सिल’ उर्जा के स्रोत एवं परमाणु उर्जा के स्रोत से हट कर वकाल्पिक उर्जा के संसाधनों को अपनाया जाए

- सैन्य बजट को घटाया जाए, परमाणु शास्त्रों को खत्म किया जाए

- चुनाव में प्रतिभागियों के प्रचार के लिए आर्थिक सहायता का प्रावधान हो जिससे की राजनितिक पार्टियाँ भ्रष्टाचार, काले धन और कमीशन से प्राप्त पैसे पर चुनाव लड़ने के लिए न विवश रहे

- एक राजनितिक निर्णय से सर्विस या बुसिनेस में नौकरी करने वालों की कमाई में और मूल आवश्यकताओं को पुरा करने में लगे मजदूर वर्ग की कमाई में जो जबरदस्त अन्तर है उसको कम किया जाए

- National Rural Employment Guarantee Scheme (NREGS) राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना को सरकार पर कानूनन बाध्य होना चाहिए की जो देड़ी रकम इस योजना में देने की गुअरंती दी जा रही है, वो साल के अंत में अपनेआप लोगों के अकाउंट में भेज दी जाए. अन्य नौकरियों की तरह ये देड़ी रकम का डर भी साल के अंत में बढाया जाना चाहिए.


यदि में फाइनेंस मिनिस्टर होता: (संदीप पाण्डेय)

में लोगों की कमाई में बराबरी लाने का प्रयास करूँगा, सबको उच्च-गुणात्मक रूप से स्वास्थ्य सेवा प्राप्त हो ऐसा प्रयास करूँगा, वैकल्पिक उर्जा के स्रोत को बढावा दूंगा, बड़े उद्योग की तुलना में लघु स्तर पर उद्योग को बढावा दूँगा, और निजी वहां के बजाये जन-परिवहन व्यवस्था को सशक्त करूँगा.

भारत को महात्मा गाँधी की बात मान लेनी चाहिए थी और ग्राम स्वराज्य के आदर्श को अपनाना चाहिए था. हमारी विकास की निति गड़बड़ है और गरीब और अमीर में अन्तर को और अधिक बढ़ा रही है.

अमीरों के लिए तकनीकी और गुणात्मक दृष्टि से बढ़िया उत्पादन कम मूल्य में उपलब्ध हो और गरीबों के लिए मचिनों पर प्रतिबन्ध लगाया जाए जिससे की रोज़गार गुअरंती योजना का लाभ उनको मिल सके. ये शहरी और ग्रामीण छेत्रों में सो अन्तर है, उसमे भी देखने को मिलता है.

संदीप पाण्डेय, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता हैं और रामों मग्सय्सय पुरुस्कार २००२ से सम्मानित भी. ये लेख हिंदुस्तान तिमेस के अरुणोदय प्रकाश ने अंग्रेज़ी में मूल रूप से लिखा है, जो यह पढ़ा जा सकता है: http://www.livemint.com/2008/02/27141514/Budget-Wishlist--Safeguard-in.html . इसका अनुवाद करने का प्रयास किया गया है. त्रुटियों के लिए छमा करें)