डॉ बिनायक सेन की तुरंत रिहयी की माँग CNDP के राष्ट्रीय अधिवेशन में पारित

डॉ बिनायक सेन की तुरंत रिहयी की माँग CNDP के राष्ट्रीय अधिवेशन में पारित

(ये रेसोलुशन मौलिक रूप से अंग्रेजी में लिखा गया है, नीचे इसकी हिन्दी में अनुवाद करने की कोशिश की है. यदि कोई गलती हुई हो टू कृपया कर के माफ़ कीजिए. मौलिक अंग्रेजी में भी इसको पढ़ने के लिए, यह क्लिक्क कीजिए. Nagpur Declaration या नागपुर देक्लारेशन पढ़ने के लिए यह क्लिक्क कीजिए)

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१-३ फरवरी २००८ के दौरान कोअलिशन फॉर नुक्लेअर दिसर्ममेंट एंड पास (क्न्द्प) या परमाणु निशस्त्रीकरण और शांति के लिए गद्बंधन का राष्ट्रीय अधिवेशन नागपुर में संपन हुआ. क.न.डी.प. ने गहरा रोष, चिंता और खेद व्यक्त किया की डॉ बिनायक सेन को छत्तीसगढ़ में अमंविये और क्रूर कानून के तहत लगातार बंदी बना के रखा गया है.

डॉ सेन, People’s Union for Civil Liberties (PUCL), छत्तीसगढ़ प्रदेश के महा सचिव हैं, और क्न्द्प की स्थापना में उनकी भी केन्द्रीय भूमिका रही है. डॉ सेन ने न केवल एक डॉक्टर के नाते गरीब लोगों की स्वास्थ्य की जरूरतों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दीया बल्कि अन्य सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होने उदाहरानिये समर्पण और लोगों के हित की बाट रखी. मानवधिकारों के डॉ सेन एक बडे समर्थक राहे हैं, और जन-जाती के आर्थिक या सामाजिक शोषण के खिलाफ उनकी आवाज़ बुलंद रही है. अफसरों में व्याप्त भ्रष्टाचार के और धर्म के नाम पर साम्प्रदायिकता फैलाने वालों के खिलाफ भी डॉ सेन की आवाज़ एक सशक्त चुनौती देती रही है. परमाणु निशस्त्रीकरण और विश्व शांति के डॉ सेन नि:संदेह एक सशक्त समर्थक राहे हैं.

डॉ सेन ने प्रसिद्ध च्रिस्तियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर से अपनी डाक्टरी की पढाई १९७४ में पूरी की थी. समाज में उनके महत्वपूर्ण योगदान को ध्यान में रखते हुए उनको पॉल हर्रिसों पुरस्कार से भी २००४ में नवाजा गया. ये डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता, जो क.म.क. वेल्लोर के डॉक्टरों के लिए और छात्रों के लिए एक उदाहरण माना गया, इसको छत्तीसगढ़ प्रदेश की सरकार ने १४ माय २००७ को ये कह के गिरफ्तार कर लिया की डॉ सेन ग़ैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल होते हैं और सामाजिक सुरक्षा को खतरा उत्पन कर राहे है. तब से डॉ सेन बे-बुनियाद इल्जामों के कारन हिरासत में हैं. भारत के लोकतांत्रिक संविधान को नज़रंदाज़ करते हुए, प्रदेश सरकार हर मुमकिन प्रयास कर रही है की डॉ सेन रिहा नह ओं, जिससे की प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार और अन्य जन-विरोधी गतिविधियों से पर्दा न हटे.

ये बडे शरम की बाट है की भारत का एक उदाहरानिये डॉक्टर और सामाजिक कार्यकर्ता महीनों से अकेले जेल में गिरफ्तार राहे और उसको वो अधिकार भी न दिए जाये जो अन्य राजनितिक कैदियों को दिए जाते हैं.

जेल में अन्य कैदियों का इलाज करने से भी डॉ सेन को रोका गया है, जब की जेल में सारे कैदियों के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य व्यवस्था नही है. डॉ सेन को रोज-मर्रा के समाचार से भी वंचित रखा गया है.

परमाणु निशस्त्रीकरण और शांति के लिए गद्बंधन (क.न.डी.प.) के तीसरे राष्ट्रिये अधिवेशन में आज ये रेसोलुशन पारित किया गया जिसमे डॉ बिनायक सेन की तुरंत बिना शर्त रिहाई की माँग की गयी है. ये भी आह्वान किया गया है की हर व्यक्ति और संगठन इसका समर्थन करे जिससे की प्रदेश और राष्ट्रीय सरकारों पर डॉ सेन की रिहाई के लिए दबाव बन सके. यदि अब हम लोग खामोश राहे टू हम भी भारत में लोकतंत्र की धीमे धीमे होती मृत्यु के जिम्मेदार होंगे.

क.न.डी.प. ने इस मौक़े पर डॉ बिनायक सेन और उनकी धरम्पतनी डॉ इलिना सेन के लिए भरसक समर्थन व्यक्त किया. डॉ इलिना सेन भी क.न.डी.प. के राष्ट्रीय समिति की सदस्य हैं.

* शांति मुमकिन है *