प्रकाश एवं मन्दाकिनी आमटे ने२००८ का मैग्सेसे पुरस्कार जीता

प्रकाश एवं मन्दाकिनी आमटे ने२००८ का मैग्सेसे पुरस्कार जीता

प्रसिद्द समाज सेवक बाबा आमटे के पुत्र डॉक्टर प्रकाश आमटे एवं उनकी पत्नी मन्दाकिनी आमटे को सन 2008 का मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया।

यह पुरस्कार इस दंपत्ति के द्बारा मडिया गोंड जनजाति के बीच किए गए सराहनीय कार्य के लिए दिया गया. चयन समिति के सदस्यों के अनुसार आमटे दंपत्ति ने गोंडों के बीच शिक्षा एवं अन्य मानवीय कार्यों का प्रसार कर के उन्हें भारत की मुख्य धारा से जोड़ने का साहसिक कार्य किया है।

उनको प्रदान किए गए प्रशंसा पत्र में कहा गया है कि , ‘प्रकाश आमटे का बचपन आनंद वन आश्रम में बीता. यह आश्रम उनके गांधीवादी पिता श्री मुरलीधर देवीदास आमटे ने कोढियों के पुनरुद्धार के लिए महाराष्ट्र में स्थापित किया था। १९७४ में जब प्रकाश अपनी पत्नी के साथ नागपुर में शल्य चिकित्सक थे, तब बाबा आमटे ने उनसे मडिया गोंड जनजाति के बीच काम करने को कहा. प्रकाश एवं मंदाकिनी ने अपने आत्मबल के आधार पर विश्वास की ऊंची छलाँग लगाते हुए शहरी जीवन से नाता तोड़ कर हेमलकसा को अपना नया कार्य क्षेत्र बनाया.’

तम्बाकू महामारी के प्रति संवेदनशील होते विकसित देश

तम्बाकू महामारी के प्रति संवेदनशील होते विकसित देश

अमित द्विवेदी

तम्बाकू महामारी के प्रति संवेदनशील होते विकसित देश । इसमें कोई दो राय नहीं की तम्बाकू विकासशील देशों के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है, और यह चुनौती दिन-प्रतिदिन और भी विकराल रूप लेती जा रही है, क्योंकि पूरे विश्व में प्रत्येक दिन करीब ११ हजार लोग तम्बाकू द्वारा होने वाली मौतों का शिकार हो रहे हैं, जिनमे से ८० प्रतिशत मौत विकाशील देशों में होती .है यदि इसको नही रोका गया तो आगे आने वाले वर्षों में स्थिति अत्यन्त भयावह हो जायेगी।

तम्बाकू द्वारा होने वाली इतनी अधिक मौतों और इसकी गंभीरता को देखते हुए अमेरिका के दो सबसे बड़े धनाढ्य व्यक्तियों बिल गेट्स और माइकल ब्लूमबर्ग ने प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण की दिशा में व्यापक और गंभीर पहल करने के लिए विकासशील देशों को करीब २५००० करोड़ रूपये देने की घोषणा की है जो अत्यन्त ही सराहनीय है। इन पैसों को सबसे ज्यादा चीन, भारत, इंडोनेशिया, रूस, और बांग्लादेश में तम्बाकू नियंत्रण अभियान के लिए लगाया जाएगा, क्योंकि दुनिया में सबसे ज्यादा तम्बाकू का सेवन करने वाले लोग इन्ही देशों में रहते हैं। ये देश जनसँख्या के मामले में भी काफी आगे हैं।

बिल गेट्स और माइकल ब्लूमबर्ग का मानना है की सिगरेट तथा अन्य तम्बाकू उत्पाद पर कर बढ़ा देने से, आसानी से लोगों तक इसकी पहुँच कम कर देने से, फिल्मो में सिगरेट तथा तम्बाकू का प्रयोग रोकने से, तम्बाकू नियंत्रण पर बनी संधियों कोप्रभावकारी तरीके से लागू करने से, विकासशील देशों में तम्बाकू द्वारा फैली महामारी को कम किया जा सकता है. सरकार को तम्बाकू कंपनियों के उत्पादों पर अधिक से अधिक कर लगाना चाहिए, और इस कर के द्वारा प्राप्त आय को तम्बाकू नियंत्रण गतिविधियों में लगाना चाहिए।

भारत में तम्बाकू महामारी का स्वरुप काफी व्यापक है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब २५० मिलियन लोग तम्बाकू के किसी न किसी उत्पाद का सेवन करतें हैं। लगभग ४८ प्रतिशत व्यस्क पुरूष और १४ प्रतिशत व्यस्क महिलाएं तम्बाकू का सेवन करती हैं. आने वाले २० सालों में पूरे विश्व के मुकाबले भारत में सबसे ज्यादा तम्बाकू के द्वारा मौतें होंगी। विश्व में हर साल तम्बाकू द्वारा होने वाली मौतों की संख्या मलेरिया, टी . बी. ; एच.आई .वी द्वारा मरने वाली लोगों की संख्या से कहीं ज्यादा है। कई सारे शोधों के द्वारा यह पता चलता है की विकसित देशों में तम्बाकू और शराब का प्रयोग काफी कम हो गया है, क्योंकि विकसित देश यह अच्छी तरह समझ चुके हैं की इसका प्रयोग न केवल स्वास्थय के लिए बल्कि उनके देश की युवा पीढी और अर्थव्यवस्था के लिए भी काफी नुकसानदायक है। विकासशील देशों को तम्बाकू की गंभीरता को समझना चाहिए और विकसित देशों को इसके नियंत्रण में पर्याप्त सहयोग देना चाहिए .

अमित द्विवेदी
(लेखक, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस के विशेष संवाददाता हैं)

हरदोई के लोगों को ३२ साल से जमीन नहीं मिली है

हरदोई के लोगों को ३२ साल से जमीन नहीं मिली है

२८ जुलाई से १६ लोग विधान सभा लखनऊ के सामने अनशन पर


ग्राम पंचायत जाजपुर, तहसील संडीला, जिला हरदोई के १०७ परिवारों को ३२ साल से जमीन के पट्टे तो मिल गए थे, परन्तु जमीन पर कब्जा अब तक नही मिल पाया है. इस छेत्र के दबदबे वाले परिवार ने इस जमीन पर कब्जा कर रखा है. इन परिवारों से १६ लोग लखनऊ में विधान सभा के सामने २८ जुलाई २००८ से न्याय की मांग करते हुए अनशन पर हैं.

मग्सय्सय पुरुस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता डॉ संदीप पाण्डेय जो जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय के समन्वयक हैं, उन्होंने इस आन्दोलन को समर्थन देते हुए प्रदेश सरकार से बिना विलंब न्याय की मांग की.

इस ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान advocate नागेश्वर सिंह भी इसी दबदबे वाले परिवार से हैं जिसने इन १०७ लोगों की जमीन पर गैर-कानूनी ढंग से पिछले ३२ सालों से जबरन कब्जा कर रखा है.

जाहिर है कि यह दबदबे वाले परिवार के राजनितिक संबंधों की वजह से लोगों के तमाम प्रतिरोध के बावजूद भी यह परिवार १०७ लोगों की जमीन पर पिछले ३२ सालों से कब्जा रखने में सफल रहा है.

यह दबदबे वाला परिवार, लोगों के खेत से फसल तक जबरदस्ती काटता रहा है.

यहाँ के लेखपाल लोगों की मदद करने की बजाय २००० रुपया रिश्वत मांग रहे हैं.

लखनऊ में विधान सभा के सामने २८ जुलाई से अनशन पर बैठे १६ लोगों को एस.डी.ऍम ने आश्वासन दिया है कि पुलिस कारवाई करेगी और कानूनन हकदारों को जमीन पर कब्जा मिलेगा. परन्तु लोग पिछले ३२ सालों से इतने हताश हैं कि मौखिक आश्वासन से संतुष्ट नही होंगे.

लखनऊ में विधान सभा के सामने अनशन पर बैठे लोगों का नेतृत्व कर रहे हैं राजेश, जिनसे ९७९३२७१९३० पर संपर्क किया जा सकता है.

जी.टी.सी इंडस्ट्रीज ने एक बार फिर अपना नाम बदला: 'गोल्डन टोबक्को'

जी.टी.सी इंडस्ट्रीज ने एक बार फिर अपना नाम बदला: 'गोल्डन टोबक्को'

भारत की चौथी सबसे बड़ी तम्बाकू कंपनी जी.टी.सी इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने एक बार फिर अपना नाम बदला है. यह डालमिया ग्रुप की कंपनी, पहले गोल्डन टोबक्को कंपनी के नाम से जानी जाती थी. डालमिया ग्रुप के कई और व्यापार भी थे, तम्बाकू और गैर तम्बाकू. गैर तम्बाकू और तम्बाकू व्यापार को एक ही कंपनी के तहत लाने की मंशा से, गोल्डन टोबक्को कंपनी का नाम बदल कर, जी.टी.सी इंडस्ट्रीज लिमिटेड कर दिया गया था.

१४ जुलाई २००८ को, जी.टी.सी इंडस्ट्रीज लिमिटेड के शेयर-धारकों की महासभा में यह निर्णय हुआ कि तम्बाकू व्यापार को अलग कंपनी के नाम से पंजीकृत होना चाहिए और गैर तम्बाकू व्यापार को अलग.

महाराष्ट्र के कंपनी रजिस्ट्रार ने इस नाम के बदलाव को पारित कर दिया है और अब जी.टी.सी इंडस्ट्रीज लिमिटेड का नया नाम है - गोल्डन टोबक्को.

गोल्डन टोबक्को, नाम से यह कंपनी सिर्फ़ तम्बाकू व्यापार करेगी.

प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण के स्वप्न को पंजाब पूरा करेगा

प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण के स्वप्न को पंजाब पूरा करेगा

पंजाब सरकार ने प्रदेश स्तर पर जिले-जिले में समिति बनाई है जिससे कि सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३ को पंजाब प्रदेश में लागु किया जा सके.

प्रिंसिपल सचिव (स्वास्थ्य) इस प्रदेश स्तर की समिति के अध्यक्ष होंगे, राष्ट्रीय स्वास्थ्य ग्रामीण योजना के प्रमुख इस समिति के उपाध्यक्ष होंगे, और स्वास्थ्य, पुलिस, पर्यटन, विधि, जन-संपर्क आदि विभागों के निदेशकगण इस समिति के सदस्य होंगे.

यह समिति तम्बाकू विरोधी अधिनियम को लागु करने में सक्रिय भाग लेगी, और अनेकों जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित करेगी.
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तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन
सोमवार, २८ जुलाई २००८
अंक
४३१

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यह तम्बाकू किल्स समाचार बुलेटिन
तम्बाकू किल्स युवा टीम द्वारा आपको प्राप्त हो रही है।

इस टीम को भारतीय तम्बाकू नियंत्रण संगठन (इंडियन सोसिएटी अगेन्स्ट स्मोकिंग), आशा परिवार, अभिनाव भारत फाउंडेशन, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस और छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय की तम्बाकू नशा उन्मूलन क्लीनिक का सहयोग प्राप्त है।
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टीबी या तपेदिक साप्ताहिक समाचार सारांश (२१-२७ जुलाई): अंक ७१

टीबी या तपेदिक साप्ताहिक समाचार सारांश
२१-२७ जुलाई २००८
अंक ७१

पांच मुख्य समाचार:

१. आई.ऍम.अफ के कर्जे से बढ़ रही है टीबी

२. अफ्रीका में टीबी-एच.आई.वी पर पर्याप्त कार्यक्रम नहीं

३. अमरीका जाने वाले लोगों को यदि लेटेंट टीबी है, तो ९ महीने का इलाज पूरा करने पर ही मिलेगा वीसा

४. फुटबाल खिलाडी लुईस फिगो ने टीबी के खिलाफ गोल किया (नयी कॉमिक किताब)

५. यूरोप में विश्व स्वस्थ्य संगठन टीबी के आंकडें इकठ्ठे कर रहा है

समाचार विस्तार से:
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तपेदिक या टीबी का रोग होने का खतरा कई कारणों से बढ़ सकता है, जैसे कि साफ़ पानी और स्वच्छता आदि का न मिल पाना, एच.आई.वी संक्रमण होना. पिछले हफ्ते प्रकाशित शोध रपट के अनुसार, इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (आई.ऍम.अफ) का कर्जा जिन राष्ट्रों ने लिया था, उन राष्ट्रों में टीबी या तपेदिक का अनुपात बढ़ गया - जिन राष्ट्रों ने आई.ऍम.अफ से जितना ज्यादा कर्जा लिया, उतना ज्यादा टीबी या तपेदिक का रोग बढ़ता हुआ पाया गया. यही नहीं, जिन राष्ट्रों ने आई.ऍम.अफ का कर्जा लिया, उन राष्ट्रों में टीबी या तपेदिक का मृत्युदर भी बढ़ गया. एक और महत्त्वपूर्ण बात यह इस शोध में पायी गई की जैसे ही इन देशों ने आई.ऍम.अफ का कर्जा वापस लौटा दिया, टीबी का मृत्युदर और नए टीबी रोगों में गिरावट आ गई.

ऐसा नहीं है कि आई.ऍम.अफ के कर्जे से देशों का नुक्सान होता है, परन्तु जिन शर्तों को आई.ऍम.अफ कर्जा देने पर रखता है, उनसे कर्जा लेने वाले देश, स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों को कमजोर करने के लिये मजबूर हो जाते हैं.

यदि इन देशों ने आई.ऍम.अफ का कर्जा नहीं लिया होता तो इन देशों में लाखों लोगों को टीबी रोग से और टीबी के कारण मृत्यु से बचाया जा सकता था.

अगले साल (२००९) में अमरीकी संसद को फ़ैसला लेना है कि आई.ऍम.अफ को सोना बेचने की संस्तुति दी जाए या नहीं - आई.ऍम.अफ को सोना इसलिए बेचना है क्योंकि उसके कार्यालय के प्रशासनिक खर्चे नहीं निकल रहे हैं. पहले यह खर्चे गरीब देशों के लौटाये हुए कर्जे से निकलते थे, और अब इन देशों ने कर्जा चुका दिया है. इसलिए अगले साल अमरीकी संसद के पास एक अद्भुत मौका है जहाँ आई.ऍम.अफ की कर्जा देने की नीति को परिवर्तित किया जा सकता है जिससे कर्जा ले रहे देशों को अपने स्वास्थ्य कार्यक्रमों को कमजोर करने पर विवश न होना पड़े.
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संपादक: बाबी रमाकांत
ईमेल: bobbyramakant@yahoo.com
वेब: Tapedik.blogspot.com

६० साल से तमिल नाडू का एक गाँव तम्बाकू-शराब रहित है

६० साल से तमिल नाडू का एक गाँव तम्बाकू-शराब रहित है
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कसंगादु नाम का एक गाँव जो तमिल नाडू प्रदेश में कावेरी नदी पर स्थित है, वोह पिछले ६० साल से तम्बाकू और शराब रहित रहा है क्योंकि २१ जुलाई १९४९ को किसी ने लापरवाही से जलता हुआ सिगार झोपड़-पट्टी में फ़ेंक दिया था और पूरी बस्ती जल कर खाक़ हो गयी थी. इस सदमे के बाद गाँव के निवासियों ने स्वयं निर्णय लिया और सभी गांववासियों ने प्रण लिया कि गाँव में अब कभी भी कोई शराब-तम्बाकू का सेवन नहीं करेगा - आज ६० साल बाद भी लोग इस स्वस्थ्य परम्परा का पालन करते आये हैं, जो नि:संदेह सराहनीय है. यह गाँव, कसंगादु, तमिल नाडू प्रदेश की राजधानी चेन्नई से ३१० किलोमीटर पर स्थित है.

इस गाँव के लोगों का कहना है कि जब इस गाँव के निवासी बाहर पलायन कर के काम आदि की तलाश में गए, तो उनमें से अधिकाँश ने तम्बाकू-शराब आदि व्यसनों का सेवन नहीं किया, और बहुत ही कम लोगों ने ही इस नियम का अनुपालन भंग किया और संभवत: गाँव से बाहर तम्बाकू-शराब आदि का सेवन किया. इन लोगों को, जिन्होंने नशा आरंभ कर दिया हो, उनको नशा-मुक्त हो कर के ही गाँव वापस आने की आजादी है.

जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) के कर्नाटक राज्य समन्वयक ए.डी बाबू की हत्या

जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) के कर्नाटक राज्य समन्वयक ए.डी बाबू की हत्या

वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) के कर्नाटक राज्य समन्वयक ए.डी बाबू की हत्या पर हम सब गहरा शोक व्यक्त करते हैं. ए.डी बाबू, शराब और व्यसनों के ख़िलाफ़ अभियान में सक्रिय भूमिका निभा रहे थे.

भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ और शराब या नशा बंदी के ख़िलाफ़ सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ताओं को दबाने या डराने धमकाने और जान तक से मार देने की कड़ी में यह एक और हादसा है. बेहद खेद का विषय है कि प्रशासन मूक खड़ा तमाशा देख रहा है, और सख्त करवाई करने की बजाय या तो ऐसे हादसों को ढाकने का कार्य कर रहा है या फिर कार्यवाही में ढिलाई दिखाता है.

जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) की वर्धा में हो रही बैठक में सभी उपस्थित लोगों ने अत्यन्त दुःख व्यक्त किया और बाबू के परिवार को सान्तवना दी.

NAPM ने बाबू हत्याकांड में सी.बी.आई जांच की मांग की.

NAPM कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि भारत सरकार को शराब-बंदी कर देना चाहिए, क्योंकि न केवल शराब स्वास्थ्य और समाज के लिए अहितकारी है, बल्कि शराब व्यापार में जिस प्रकार के धूमिल पृष्ठभूमि के लोग लगे हैं, वोह जन-हित के लिए समर्पित कार्यकर्ताओं के लिए जान का खतरा बन जाते हैं


मेधा पाटकर, . चेन्नैः, डी. गब्रिएले, .. सुनीति, आनंद मज्गओंकर, उल्का महाजन, स्वाति देसी, मुक्त श्रीवास्तव, श्रीकंठ, संदीप पाण्डेय

कर्नाटक प्रदेश में जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय (NAPM) कार्यकर्ताओं के फ़ोन नम्बर:
सिस्टर सलिया, ०९९४५७१६०५२;
बालाकृष्णन: ०८०-२३३९२३५४;
डेविड सेल्वेराज, ०९८८०२९०१८१

नोट: .डी बाबू का अन्तिम संस्कार कल होगा

टीबी या तपेदिक साप्ताहिक समाचार सारांश (१४-२० जुलाई २००८): अंक ७०

टीबी या तपेदिक साप्ताहिक समाचार सारांश
१४-२० जुलाई २००८
अंक ७०

पाँच मुख्या समाचार:

१. अमरीकी संसद ने ऐड्स, टीबी और मलेरिया कार्यक्रमों के लिए अमरीकी डालर ४८ बिलियोन के अनुदान को संस्तुति दी

२. कोटरीमोक्साजोल दवा से एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित लोगों का मृत्यु दर कम होता है
३. डायबिटीज़ या मधुमेह होने से टीबी का खतरा बढ़ता है

४. पाकिस्तान में दवा फैक्ट्री के पास रहने वालों में टीबी बढती पायी गई

५. खदानों में कार्यरत मजदूरों में टीबी का अनुपात बहुत अधिक पाया गया: रपट

समाचार विस्तार से:
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१. अमरीकी संसद ने ऐड्स, टीबी और मलेरिया कार्यक्रमों के लिए अमरीकी डालर ४८ बिलियोन के अनुदान को संस्तुति दी
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अमरीकी संसद ने ऐड्स, टीबी और मलेरिया कार्यक्रमों के लिए अमरीकी डालर ४८ बिलियोन का अनुदान मंजूर कर लिया है. यह अनुदान आने वाले ५ सालों में विशेषकर अफ्रीका के देशों को दिया जायेगा, हालाँकि अफ्रीका के अलावा अन्य देशों को भी इस अनुदान का लाभ मिल पायेगा. इसके अलावा अमरीकी डालर २ बिलियोन अम्रीका में रह रहे भारतियों में टीबी, एच.आई.वी, मलेरिया और अन्य रोगों के नियंत्रण में निवेश किया जाएगा.

परन्तु अचम्भे की बात यह है कि विश्व में रोग नियंत्रण के लिए अनुदान देने वाला अम्रीका स्वयं अपने देश के टीबी क्लीनिक को ताला-बंद करने पर विवश है क्योंकि स्वास्थ्य बजट कटौती हो गई है!
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२. कोटरीमोक्साजोल दवा से एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित लोगों का मृत्यु दर कम होता है
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हालाँकि अफ्रीका के देशों में एच.आई.वी और टीबी दोनों से ग्रसित लोगों को कोटरीमोक्साजोल दवा देने से अब शोध में एक-बार-और पाया गया है कि एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित लोगों के मृत्यु दर में कमी आ सकती है - ऐड्स केयर वाच ए.सी.डब्लू) अभियान ने अगस्त २००६ में १६वें अंतर्राष्ट्रीय ऐड्स कांफ्रेंस (टोरंटो, कनाडा) के दौरान एच.आई.वी से ग्रसित लोगों में कोटरीमोक्साजोल दवा के आयु-बढ़ाने वाले प्रभाव की बात रखी थी. यही नहीं, अगस्त २००६ में १६वें अंतर्राष्ट्रीय ऐड्स कांफ्रेंस के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोटरीमोक्साजोल दवा देने के लिए सुझाव-पत्रिका भी जारी की थी. आशा है कि अब एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित लोगों को यह दवा मिल पाएगी और मृत्यु दर कम हो पायेगा। पूरा समाचार पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक कीजिये
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३. डायबिटीज़ या मधुमेह होने से टीबी का खतरा बढ़ता है
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जिन लोगों को डायबिटीज़ या मधुमेह होता है, उनको टीबी या तपेदिक होने की सम्भावना तीन गुणा तक बढ़ सकती है. भारत और चीन में लगभग १० प्रतिशत टीबी के रोगियों को मधुमेह की वजह से टीबी हुई है. पूरा समाचार पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक कीजिये
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४. पाकिस्तान में दवा फैक्ट्री के पास रहने वालों में टीबी बढती पायी गई
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पाकिस्तान में जो लोग दवा फैक्ट्री के नज़दीक रह रहे हैं, उनमें टीबी या तपेदिक का दर तेज़ी से बढ़ रहा है - जो बेहद चिंताजनक है. कई पर्यावरण और स्वास्थ्य कार्यकर्ता इस बात की रपट कर चुके हैं परन्तु दवा कंपनी और सरकार दोनों ही बढ़ते टीबी के दर से बे:ख़बर हैं. ये सर्व-विदित है कि गंदे दूषित पानी आदि से टीबी जैसे संक्रामक रोगों के होने का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है. पूरा समाचार पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक कीजिये
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५. खदानों में कार्यरत मजदूरों में टीबी का अनुपात बहुत अधिक पाया गया: रपट
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ऐड्स & राइट्स अलायंस फॉर सौथेर्न अफ्रीका (ARASA) या दक्षिण अफ्रीका की ऐड्स और मानवाधिकार संगठन ने जुलाई २००८ में खदानों में कार्यरत मजदूरों में बढती टीबी या तपेदिक के विषय पर एक रपट जारी की है. खदानों में कार्यरत मजदूरों में एक लंबे अरसे से अनेकों शोध से यह प्रमाणित हो चुका है कि कई श्वास के रोगों का अनुपात आम जनता के मुकाबले अधिक पाया गया है. सोने की खदानों में तो, अफ्रीकी सरकार के अनुसार, टीबी का दर अत्याधिक है और विश्व स्तर पर सबसे अधिक टीबी के दरों में से एक है! ऐसा इस लिए भी होता है क्योंकि मजदूरों को सिलिका के कण एक लंबे समय तक झेलने पड़ते हैं, जो खतरनाक रोगों को जन्म देते हैं.

पूरा समाचार पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक कीजिये
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संपादक: बाबी रमाकांत
ईमेल: bobbyramakant@yahoo.com

उत्तर प्रदेश के मुख्या सूचना आयुक्त के ख़िलाफ़ राज्यपाल की करवाई को सूचना के अधिकार कार्यकर्ताओं ने समर्थन दिया

उत्तर प्रदेश के मुख्या सूचना आयुक्त के ख़िलाफ़ राज्यपाल की करवाई को सूचना के अधिकार कार्यकर्ताओं ने समर्थन दिया


उत्तर प्रदेश के मुख्या सूचना आयुक्त को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने कार्यालय जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है और उनको सुसपेंड कर दिया गया है।

उत्तर प्रदेश के सूचना के अधिकार पर कार्यरत लोगों का कहना है कि राज्यपाल महोदय का यह फ़ैसला जायज है क्योंकि:
१) सूचना के अधिकार अधिनियम (२००५) को लागु करने में मुख्या सूचना आयुक्त असफल रहे थे
२) इस अधिनियम का हिस्सा - अपील प्रोसीजर रूल को लागु करने में भी मुख्या सूचना आयुक्त असफल रहे थे
३) वोह स्पीकिंग आर्डर नही दिया करते थे

४) उनके निर्णय जन-सूचना अधिकारी के प्रति झुके हुए होते थे और अपीलकर्ता पर सख्त हुआ करते थे

५) उन्होंने अधिनियम के तहत सूचना आयुक्त से सम्बंधित जानकारी उपलब्ध कराने से मना कर दिया था

६) जन-सूचना अधिकारीयों से हर्जाना उसूल करने में वोह असफल रहे थे


उत्तर प्रदेश राज्य सूचना के अधिकार अभियान

इज़हार अहमद अंसारी, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता

मुन्ना लाल शुक्ला, कार्यकर्ता

यशवंत राव, कार्यकर्ता

भानु प्रताप द्विवेदी, अद्वोकाते

अरविन्द मूर्ति, कार्यकर्ता

डॉ. नीरज कुमार, आचार्य, लखनऊ विश्वविद्यालय

नागेश्वर प्रसाद, सेवा निवृत्त सरकारी अधिकारी

उषा विश्वकर्मा, कार्यकर्ता

संदीप पाण्डेय, कार्यकर्ता

स.र. दारापुरी, सेवा निवृत्त आई.पी.एस अधिकारी

वेद कुमार

अखिलेश सक्सेना, कार्यकर्ता

सत्य नारायण शुक्ला, सेवा निवृत्त आई.पी.एस अधिकारी

अरुंधती धुरु, कार्यकर्ता

इश्वर चंद्र द्विवेदी, सेवा निवृत्त आई.पी.एस अधिकारी

नवीन तेवरी, उद्योगपति और कार्यकर्ता


अधिक जानकारी के लिए संपर्क कीजिये: इज़हार अहमद अंसारी - 9415763426

परमाणु निशस्त्रीकरण और शान्ति के लिए गठबंधन

परमाणु निशस्त्रीकरण और शान्ति के लिए गठबंधन

भारत-अमरीका परमाणु संधि - एक खतरनाक धोका


विषय पर परिचर्चा का आयोजन कर रही है।

दिनांक: शनिवार, १९ जुलाई २००८

समय: २:३० बजे दोपहर


स्थान: डेपुटी स्पीकर हॉल, कांस्तितुशन क्लब, वीपी हाउस, रफी मार्ग, नई दिल्ली

मुख्या अथिति: महाश्वेता देवी

अध्यक्ष: प्रभाष जोशी

मुख्या वक्तागण:

म. व्. रमण

अचिन विनायक

प्रफुल बिदवई

न डी जयप्रकाश

संदीप पाण्डेय


संपर्क

परमाणु निशस्त्रीकरण और शान्ति के लिए गठबंधन
अ १२४/६ कटवारिया सराय
नई दिल्ली
फ़ोन: ६५६६३९५८ टेल-फैक्स: २६५१७८१४

बनारस के भूजल में परमाणु रेडियो-धर्मिता पायी गयी

बनारस के भूजल में परमाणु रेडियो-धर्मिता पायी गयी

भारत सरकार न केवल भारत-अमरीका परमाणु संधि को बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़ा रही है बल्कि इस तथ्य को भी नकार रही है कि विश्व में परमाणु कचरे को सुरक्षा पूर्वक नष्ट करने का कोई तरीका अभी तक इजात नहीं हुआ है.

भारत में सालों से जादूगोड़ा में परमाणु कचरे को फेंका जाता है - और चूँकि जादूगोड़ा बनारस के नज़दीक ही है, यह हो सकता है कि जादूगोड़ा में परमाणु रेडियो-धर्मी कचरे की वजह से बनारस के भू-जल में रेडियो-धर्मिता आ गयी हो.

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के भूतपूर्व आचार्य जी सी अगर्वाल और आचार्य एस.के अगर्वाल ने शोध किया और पाया कि बनारस के भू-जल में रेडियोधर्मी युरेनिम है.

हालाँकि उत्तर प्रदेश और केंद्रीय भारत सरकार इस रपट से बे-खबर है.

इस शोध में ११ ट्यूब-वेल से सैम्पल लिए गए थे. इस शोध में रेडियोधर्मी
युरेनिम की मात्रा २ - ११ पार्ट पर बिलियोन पाई गयी. युरेनिम की जो मात्रा 'सुरक्षित' मानी गयी है वोह १.५ पार्ट पर बिलियोन है.

शोधकर्ताओं के अनुसार भूजल में अन्य भारी मेटल भी पाए गए जैसे कि च्रोमिम, मग्नेसियम, निक्केल, फेर्रोउस, कोप्पेर, जिंक और लेड.

उत्तर प्रदेश के पोल्लुशन कण्ट्रोल बोर्ड (प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के सदस्य-सचिव सी.एस भट्ट के अनुसार उनके पास ऐसी कोई रपट नहीं आई है कि बनारस के भूजल में रेडियोधर्मी
युरेनिम है, और यदि रेडियोधर्मी युरेनिम हो भी तो उनके पास कोई ऐसी जांच करने के संसाधन नहीं है जिससे यह पता लगाया जा सके।

रेडियोधर्मी
युरेनिम से स्वास्थ्य पर भयंकर कुप्रभाव पड़ सकते हैं जिनमें पार्किन्सन बीमारी और अन्य दिमागी बीमारियाँ प्रमुख हैं, और कैंसर का अनुपात भी बढ़ सकता है।

धूम्रपान-रहित चंडीगढ़ अभियान को लागू करने में ढिलाई

धूम्रपान-रहित चंडीगढ़ अभियान को लागू करने में ढिलाई

पिछले साल १५ जुलाई २००७ को चंडीगढ़ शहर ने भारत के पहला धूम्रपान शहर होने की घोषणा कर के नि:संदेह जन स्वस्थ्य की ओर एक मिसाल पेश की थी. अब एक साल के बाद मीडिया रपट के अनुसार धूम्रपान रहित अभियान को लागू करने में ढिलाई आ रही है.

तम्बाकू विरोधी कार्यकर्ताओं का कहना है कि तम्बाकू उद्योग संभवत: तम्बाकू-विरोधी नीतियों को लागू करने में हस्तछेप कर रहा है.

भारत के स्वस्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ अंबुमणि रामदोस ने भी चंडीगढ़ शहर की इस अनोखी और जन-हितैषी पहल की भूरि-भूरि प्रशंसा की थी.

परन्तु चंडीगढ़ शहर का प्रशासन इस नीति को कडाई से लागु नहीं कर रहा है, विशेषकर पुलिस, स्वास्थ्य अधिकारी और अन्य प्रशासनिक अधिकारीगण.

उदाहरण के तौर पर पिछले साल धूम्रपान प्रतिबन्ध के उलंघन करने वाले मात्रा १,८६० केस पंजीकृत हुए जिनमें से अधिकाँश १५ जुलाई २००७ को धूम्रपान रहित शहर की घोषणा के बाद के महीनों में ही पंजीकृत हुए थे.

"तम्बाकू उद्योग भारत में धूम्रपान रहित शहर के उदाहरानीय प्रयास को विफल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है - जिससे कि अन्य शहर भी कहीं धूम्रपान रहित बनने का स्वप्न न देखने लगें" कहना है हेमंत गोस्वामी का, जिनके प्रयासों की वजह से चंडीगढ़ 'धूम्रपान रहित शहर बना था.

"यह साफ़ ज़ाहिर है कि तम्बाकू कंपनियों के कारोबार पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है" कहना है हेमंत गोस्वामी का.

टीबी या तपेदिक साप्ताहिक समाचार सारांश (७-१३ जुलाई २००८)

टीबी या तपेदिक साप्ताहिक समाचार सारांश
७-१३ जुलाई २००८
अंक ६८

पाँच मुख्य समाचार:

१. अफ्रीका के ४ देशों में ड्रग-रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक की नयी जाँच उप्लब्ध होगी

२. टीबी या तपेदिक वैक्सीन पर ३ WHO बैठकों के निष्कर्ष उपलब्ध

३. टीबी महामारी का पूर्वानुमान पहले २ टीबी रोगी से हो सकता है: शोध

४. गैर जी-८ देशों से अधिकाँश ऐड्स कार्यक्रमों के लिये आता है अनुदान

५. जिम्बाब्वे में एच.आई.वी से ग्रसित रोगियों को सक्रिय टीबी रोग से बचाव के लिये इसोनिअजिद दवा मिलेगी

पाँचों समाचार विस्तार से:
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. अफ्रीका के ४ देशों में ड्रग-रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक की नयी जाँच उपलब्ध होगी

संयुक्त राष्ट्र ने अफ्रीका के चार देशों में मल्टी ड्रग रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक के लिये नयी जांच की प्रयोगशालाएँ लगाने का निर्णय लिया है - यह चार अफ्रीका के देश हैं: लिसोथो, आइवरी कोस्ट, कॉंगो और इथियोपिया.

मल्टी ड्रग रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक की जांच के नतीजे औसतन २-३ महीने में मिल पाते थे. आकड़ों के मुताबिक मात्र २ प्रतिशत मल्टी ड्रग रेसितंत टीबी या तपेदिक के रोगियों की सही समय से जाँच हो पाती है और उसके उपरान्त ही उपयुक्त इलाज मुमकिन है. बाकि के ९८ प्रतिशत रोगी बिना इलाज या जाँच के मृत्यु से जूझ रहे होते हैं. ऐसे में खासकर कि यदि रोगी को एच.आई.वी या अन्य ऐसा रोग हो जो शरीर की प्रतिरोधक छमता कम करता हो, तो स्थिति और भी बिगड़ जाती है.

अब इस नयी जांच से, मल्टी ड्रग रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक के रोगियों को नतीजे २ दिन में मिल जायेंगे, न कि २-३ महीने में! ये नि:संदेह बहुमूल्य उपलब्धि है.

जिन लोगों को एच.आई.वी संक्रमण है, उनको टीबी होने का खतरा दस गुणा अधिक होता है, और मल्टी ड्रग रेसिस्तंत टीबी होने का खतरा भी बढ़ जाता है, चूँकि उनके शरीर की प्रतिरोधक छमता सूक्ष्म होती है.

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२. टीबी या तपेदिक वैक्सीन पर ३ WHO बैठकों के निष्कर्ष उप्लब्ध

विश्व स्वस्थ्य संगठन (WHO) के initiative फॉर वैक्सीन रिसर्च, या वैक्सीन शोध के लिये कार्यक्रम ने हाल ही में तीन बैठकों का आयोजन किया जिससे कि टीबी वैक्सीन शोध को मजबूत किया जा सके.

इन तीन बैठकों के निष्कर्ष अब उपलब्ध हैं, जिनको पढ़ने के लिये या डाऊनलोड करने के लिये, यहाँ पर क्लिक कीजिये

टीबी वैक्सीन, जिसको बी.सी.जी या बसिल्ले काल्मेत्ते गुएरिन भी कहा जाता है, लगभग ८० प्रतिशत लोगों में १५ साल तक असरदायक रहती है. परन्तु जिन बच्चों में एच.आई.वी संक्रमण है, उनमें इसका असर नुकसानदायक भी हो सकता है, ऐसा शोध में ज्ञात हुआ है (इस शोध की रपट पढ़ने के लिये यहाँ पर क्लिक कीजिये)

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३. टीबी महामारी का पूर्वानुमान पहले २ टीबी रोगी से हो सकता है: शोध

टीबी महामारी का पूर्वानुमान पहले २ टीबी रोगी के अध्य्यन से हो सकता है, ऐसा एक डच शोध से पता चला है. बड़े स्तर पर टीबी महामारी फैलने का पूर्वानुमान होने की सम्भावना ५६ प्रतिशत है यदि पहले २ टीबी रोगी:
- ३ महीने के अंतराल में ही टीबी से ग्रसित हुए हों
- दोनों टीबी रोगी शहर के निवासी हों
- इनमें से एक, या दोनों ही, अफ्रीका के नागरिक हों

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४. गैर जी-८ देशों से अधिकाँश ऐड्स कार्यक्रमों के लिये आता है अनुदान

हाल ही में होक्कैदो, जापान में संपन्न हुए 'जी-८ समिट' या आठ विकसित देशों के समूह की बैठक में UNAIDS और कैसर फॅमिली फाउंडेशन ने एक रपट जारी की जिसके अनुसार ऐड्स कार्यक्रमों के लिये अमरीकी डालर १८.१ बिलिओन जो व्यय आता है, उसका सिर्फ़ अमरीकी डालर ४.५ बिलिओन इन आठ देशों से आता है जो जी-८ के सदस्य हैं.

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५. जिम्बाब्वे में एच.आई.वी से ग्रसित रोगियों को सक्रिय टीबी रोग से बचाने के लिये इसोनिअजिद दवा उपलब्ध होगी

जिम्बाब्वे में जो लोग एच.आई.वी से ग्रसित हैं और जिनको सक्रिय टीबी रोग नही है परन्तु लेटेंट टीबी है यानि कि टीबी बक्टेरिया तो है परन्तु सक्रिय टीबी या तपेदिक रोग नही हुआ है, ऐसे लोगों को अब इसोनिअजिद दवा मिलेगी जिससे सक्रिय टीबी रोग होने की सम्भावना नगण्य हो जाए.

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टीबी या तपेदिक समाचार सारांश, बाबी रमाकान्त द्वारा संपादित किया गया है। ईमेल: bobbyramakant@yahoo.com, वेबसाइट: http://tapedik.blogspot.com

आमिर खान ने अपना वादा तोड़ा

आमिर खान ने अपना वादा तोड़ा

फिल्म अभिनेता आमिर खान ने पिछले महीने अपने ब्लॉग (www.aamirkhan.com) पर वादा किया था कि वोह स्वयं निर्मित फिल्म 'जाने तू ... या जाने न' की वजह से बहुत चिंतित हैं, और इस तनाव के कारण उन्होंने दुबारा धूम्रपान और तम्बाकू सेवन करना आरंभ कर दिया है, इस शर्त पर कि फिल्म रिलीस होने क बाद वोह धूम्रपान बंद कर देंगे.

'जाने तू ... या जाने न' फिल्म रिलीस हो गयी और बॉक्स-ऑफिस पर सफल भी रही है. परन्तु आमिर खान की सिगरेट धुआं उड़ा रही है - उनको सार्वजनिक रूप से सिगरेट पीते देखा गया.

साफ़ जाहिर है और सर्वविदित भी कि तम्बाकू सेवन त्यागना आसान नहीं और असंभव भी नहीं - आमिर खान को तम्बाकू सेवन को त्याग कर एक आदर्श सामने प्रस्तुत करना चाहिए.

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तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन
गुरूवार, १० जुलाई २००८
अंक
४१७

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तपेदिक या टीबी समाचार सारांश: ७ जुलाई २००८: अंक ६७

तपेदिक या टीबी समाचार सारांश
अंक ६७
सोमवार, ७ जुलाई २००८
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संयुक्त राष्ट्र ने अफ्रीका के चार देशों में मल्टी ड्रग रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक के लिए नई जांच की प्रयोगशालाएं लगाने का निर्णय लिया है - यह चार अफ्रीका के देश हैं: लिसोथो, आइवरी कोअस्त, कोंगो और इथियोपिया.

मल्टी ड्रग रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक की जांच के नतीजे औसतन २-३ महीने में मिल पाते थे. आकड़ों के मुताबिक मात्र २७ प्रतिशत मल्टी ड्रग रेसितंत टीबी या तपेदिक के रोगियों की सही समय से जांच हो पाती है और उपयुक्त इलाज भी. बाकि के ९८ प्रतिशत रोगी बिना इलाज या जांच के मृत्यु से जूझ रहे होते हैं. ऐसे में खासकर कि यदि रोगी को एच.आई.वी या अन्य ऐसा रोग हो जो शरीर की प्रतिरोधक छमता कम करता हो, तो स्थिति और भी बिगड़ जाती है.

अब इस नई जांच से, मल्टी ड्रग रेसिस्तंत टीबी या तपेदिक के रोगियों को नतीजे २७ दिन में मिल जायेंगे, न कि २७-३ महीने में! ये नि:संदेह बहुमूल्य उपलब्धी है.

जिन लोगों को एच.आई.वी संक्रमण है, उनको टीबी होने का खतरा दस गुणा अधिक होता है, और मल्टी ड्रग रेसिस्तंत टीबी होने का खतरा भी बढ़ जाता है, चूँकि उनके शरीर की प्रतिरोधक छमता सूक्ष्म होती है.

हुक्का पीने से भी तम्बाकू जनित कु-प्रभाव होते हैं

हुक्का पीने से भी तम्बाकू जनित कु-प्रभाव होते हैं

अक्सर यह भ्रान्ति लोगों को होती है कि हुक्का पीने से स्वस्थ्य पर कम कु-प्रभाव पड़ते हैं, परन्तु विशेषज्ञों के अनुसार, यह सत्य नहीं है. सिगरेट बीड़ी के मुकाबले लोग हुक्का अक्सर घंटों तक गुड़गुडाते हैं, जिससे तम्बाकू का असर अक्सर ५० सिगरेट के बराबर होने की आशंका रहती है.

ब्रिहन्मुम्बाई मुनिसिपल कारपोरेशन ने मुंबई के हाई कोर्ट में आश्वासन दिया कि मुंबई शहर में जिन होटल आदि में हुक्का पीने की सुविधा उपलब्ध है, उन होटल पर सख्त करवाई होगी.

इन होटल में हुक्का कई फल के स्वाद में उपलब्ध है जिससे कि बच्चों और युवाओं को लगने लगता है कि यह हानिकारक नहीं है - परन्तु हुक्का या तम्बाकू सेवन किसी भी रूप में किया जाए - तम्बाकू जनित कु-प्रभाव शरीर पर पड़ते हैं, जो अक्सर घातक हो सकते हैं.

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तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन
सोमवार, ७ जुलाई २००८
अंक
४१४

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भारत और ऊर्जा सुरक्षा

भारत और ऊर्जा सुरक्षा
डॉ राहुल पाण्डेय

किसी भी देश क लिए ऊर्जा सुरक्षा के मायने यह हैं कि वर्त्तमान और भविष्य की ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति इस तरीके से हो कि सभी लोग - सभी लोग - ऊर्जा से लाभान्वित हो सकें, पर्यावरण पर कोई कु-प्रभाव न पड़े, और यह तरीका स्थायी हो, न कि लघुकालीन.

इस तरह की ऊर्जा नीति अनेकों वैकल्पिक ऊर्जा का मिश्रण हो सकती है जैसे कि, सूर्य ऊर्जा, पवन ऊर्जा, छोटे पानी के बाँध आदि, गोबर गैस इत्यादि.

चूँकि इन वैकल्पिक ऊर्जा के संसाधनों की कीमत दुनिया भर में तेज़ी से कम हो रही है, और क्योंकि भारत में इसके लिए संसाधन उपलब्ध हैं, और यह वैकल्पिक ऊर्जा के तरीके 'ग्राम स्वराज्य' या स्थानीय स्तर पर स्वावलंबन के सपने से भी अनुकूल हैं, इनको भारत को अपनाने के लिए पुन: विचार करना चाहिए.

जो पारम्परिक ऊर्जा के संसाधन हैं जैसे कि परमाणु या बड़े बाँध के जरिये ऊर्जा बनाना, यह दुनिया भर में हर जगह असफल हो रहे हैं, क्योंकि इन पारम्परिक तरीकों से ऊर्जा बनाने में काफी खर्च आता है और लंबे समय तक के लिए स्थानीय लोगों पर और पर्यावरण पर भीषण कु-प्रभाव पड़ता है.

जब तक वैकल्पिक ऊर्जा बनाने के लिए पर्याप्त इंतजाम नही बन जाता तब तक के लिए कोयले और नैचुरल गैस आदि से ऊर्जा बनाने का काम चलाया जाना श्रेयस्कर रहेगा.

न केवल वैकल्पिक ऊर्जा बनाने के लिए पर्याप्त इंतजाम करना होगा, बल्कि सांस्थानिक परिवर्तन भी करना होगा जिससे कि लोगों के लिए स्थायी और स्थानीय ऊर्जा के संसाधनों से स्थानीय ऊर्जा की जरुरत पूरी हो सके.

जब से लोगों को विश्व-स्तर पर यह समझ में आ रहा है कि तेल तीव्रता से समाप्त हो रहा है, ऊर्जा का मुद्दा नीति-चर्चाओं में प्रमुख जगह लिए हुए है.

डॉ राहुल पाण्डेय

(लेखक भारतीय तकनीकि संस्थान (आई.आई.टी) मुंबई और भारतीय प्रबंधन संस्थान के भूतपूर्व आचार्य हैं. ईमेल: rahulanjula@gmail.com)

निमंत्रण: भारत-अम्रीका परमाणु संधि पर परिचर्चा

निमंत्रण: भारत-अम्रीका परमाणु संधि पर परिचर्चा

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय

तिथि: शनिवार, ५ जुलाई २००८
स्थान: गाँधी स्वाध्याय कक्षा, गाँधी भवन, लखनऊ

समय: 5 बजे दोपहर

मुद्दा: भारत-अम्रीका परमाणु संधि से सम्बंधित मुद्दों पर परिचर्चा

संदीप पांडे
जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय

फ़ोन: 0522 2347365, M: 9936116907 (अनुराग तिवारी)
ईमेल: ashaashram@yahoo.com

निमंत्रण: उत्तर प्रदेश में सूचना के अधिकार पर बैठक

निमंत्रण: उत्तर प्रदेश में सूचना के अधिकार पर बैठक

जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय

तिथि: शनिवार, ५ जुलाई २००८
स्थान: गाँधी स्वाध्याय कक्षा, गाँधी भवन, लखनऊ

समय: ४ बजे दोपहर

मुद्दा: उत्तर प्रदेश में सूचना के अधिकार अभियान पर चर्चा, और उत्तर प्रदेश के मुख्या सूचना आयुक्त के ख़िलाफ़ हस्ताक्षार अभियान आरंभ करने पर विचार (इज़हार अहमद द्वारा प्रस्तावित)

संदीप पांडे
फ़ोन: 0522 2347365, M: 9936116907 (अनुराग तिवारी)

ईमेल: ashaashram@yahoo.com

जापान टोबक्को इंटरनेशनल (जे.टी.आई) कंपनी भारत में अपनी सिगरेट बेचने के लिए आतुर

जापान टोबक्को इंटरनेशनल (जे.टी.आई) कंपनी भारत में अपनी सिगरेट बेचने के लिए आतुर

विश्व की तीसरी सबसे बड़ी तम्बाकू कंपनी, जापान टोबक्को इंटरनेशनल (जे.टी.आई), अब भारत में अपनी सिगरेट ब्रांड बेचने के लिए भारत सरकार से विदेशी सीधे निवेश के लिए बात चीत प्रारम्भ कर रही है.

जे.टी.आई ने जब आर.जे रेय्नोल्ड कंपनी खरीद ली थी, तब चूँकि आर.जे रेय्नोल्ड कंपनी का ५०:५० प्रतिशत का दिल्ली-स्थित मोदी कंपनी से व्यापारिक समझौता था, इसलिए जे.टी.आई को भारत में मोदी कंपनी के साथ ५० प्रतिशत की भागीदारी मिल गई थी.

आब, विदेशी सीधे निवेश या फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट के माध्यम से, जे.टी.आई ने भारत सरकार के फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड को यह अर्जी दी है कि उसका शेयर ५० प्रतिशत से बढ़ा कर ७४ प्रतिशत कर दिया जाए.

इसके पहले भारत में फिलिप मोरिस, ब्रिटिश अमेरिकन टोबक्को और रोथ्मांस आदि को भारत सरकार ने देश में इनकी फैक्ट्री स्थापित कर के सिगरेट बेचने की अनुमति नही दी थी. हालाँकि १९९७ में फिलिप मोरिस को खाद्य उत्पादन बेचने की अनुमति मिल गई थी (परन्तु सिगरेट फैक्ट्री लगाने की अनुमति रद्द कर दी गई थी)।
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तम्बाकूकिल्स
समाचार बुलेटिन
शुक्रवार, ४ जुलाई २००८
अंक
४१२

तम्बाकू नियंत्रण पर अंग्रेज़ी और हिन्दी भाषा में नियमित समाचार और लेख पढ़ने के लिए, यहाँ क्लिक्क करें

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रिहा होने के बाद भी भारतीय कैदी वापस पाकिस्तान जेल में कैद

रिहा होने के बाद भी भारतीय कैदी वापस पाकिस्तान जेल में कैद
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बडे शर्म की बात है कि १० साल तक पाकिस्तान की जेल में कैद रहने के बाद, जब राम प्रकाश जेल से रिहा हुआ, तो वागह बॉर्डर पर तैनात अधिकारीयों ने कागज़ आदि में कमी होने के कारणवश उसको बॉर्डर पार करने से रोक दिया. नतीजा: राम प्रकाश पुन: मजबूरन पाकिस्तान के कोट लखपत जेल में कैद है.

भारतीय हाई कमिश्नर जो इस्लामाबाद में आसीन हैं, उन्होंने समय पर राम प्रकाश के उपयुक्त कागज़ आदि नहीं भेजे थे जिसके कारणवश राम प्रकाश बॉर्डर न पार कर सका.

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