टीबी या तपेदिक साप्ताहिक समाचार सारांश (२१-२७ जुलाई): अंक ७१

टीबी या तपेदिक साप्ताहिक समाचार सारांश
२१-२७ जुलाई २००८
अंक ७१

पांच मुख्य समाचार:

१. आई.ऍम.अफ के कर्जे से बढ़ रही है टीबी

२. अफ्रीका में टीबी-एच.आई.वी पर पर्याप्त कार्यक्रम नहीं

३. अमरीका जाने वाले लोगों को यदि लेटेंट टीबी है, तो ९ महीने का इलाज पूरा करने पर ही मिलेगा वीसा

४. फुटबाल खिलाडी लुईस फिगो ने टीबी के खिलाफ गोल किया (नयी कॉमिक किताब)

५. यूरोप में विश्व स्वस्थ्य संगठन टीबी के आंकडें इकठ्ठे कर रहा है

समाचार विस्तार से:
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तपेदिक या टीबी का रोग होने का खतरा कई कारणों से बढ़ सकता है, जैसे कि साफ़ पानी और स्वच्छता आदि का न मिल पाना, एच.आई.वी संक्रमण होना. पिछले हफ्ते प्रकाशित शोध रपट के अनुसार, इंटरनेशनल मोनेटरी फंड (आई.ऍम.अफ) का कर्जा जिन राष्ट्रों ने लिया था, उन राष्ट्रों में टीबी या तपेदिक का अनुपात बढ़ गया - जिन राष्ट्रों ने आई.ऍम.अफ से जितना ज्यादा कर्जा लिया, उतना ज्यादा टीबी या तपेदिक का रोग बढ़ता हुआ पाया गया. यही नहीं, जिन राष्ट्रों ने आई.ऍम.अफ का कर्जा लिया, उन राष्ट्रों में टीबी या तपेदिक का मृत्युदर भी बढ़ गया. एक और महत्त्वपूर्ण बात यह इस शोध में पायी गई की जैसे ही इन देशों ने आई.ऍम.अफ का कर्जा वापस लौटा दिया, टीबी का मृत्युदर और नए टीबी रोगों में गिरावट आ गई.

ऐसा नहीं है कि आई.ऍम.अफ के कर्जे से देशों का नुक्सान होता है, परन्तु जिन शर्तों को आई.ऍम.अफ कर्जा देने पर रखता है, उनसे कर्जा लेने वाले देश, स्वास्थ्य और शिक्षा कार्यक्रमों को कमजोर करने के लिये मजबूर हो जाते हैं.

यदि इन देशों ने आई.ऍम.अफ का कर्जा नहीं लिया होता तो इन देशों में लाखों लोगों को टीबी रोग से और टीबी के कारण मृत्यु से बचाया जा सकता था.

अगले साल (२००९) में अमरीकी संसद को फ़ैसला लेना है कि आई.ऍम.अफ को सोना बेचने की संस्तुति दी जाए या नहीं - आई.ऍम.अफ को सोना इसलिए बेचना है क्योंकि उसके कार्यालय के प्रशासनिक खर्चे नहीं निकल रहे हैं. पहले यह खर्चे गरीब देशों के लौटाये हुए कर्जे से निकलते थे, और अब इन देशों ने कर्जा चुका दिया है. इसलिए अगले साल अमरीकी संसद के पास एक अद्भुत मौका है जहाँ आई.ऍम.अफ की कर्जा देने की नीति को परिवर्तित किया जा सकता है जिससे कर्जा ले रहे देशों को अपने स्वास्थ्य कार्यक्रमों को कमजोर करने पर विवश न होना पड़े.
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संपादक: बाबी रमाकांत
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