हुक्का पीने से भी तम्बाकू जनित कु-प्रभाव होते हैं
अक्सर यह भ्रान्ति लोगों को होती है कि हुक्का पीने से स्वस्थ्य पर कम कु-प्रभाव पड़ते हैं, परन्तु विशेषज्ञों के अनुसार, यह सत्य नहीं है. सिगरेट बीड़ी के मुकाबले लोग हुक्का अक्सर घंटों तक गुड़गुडाते हैं, जिससे तम्बाकू का असर अक्सर ५० सिगरेट के बराबर होने की आशंका रहती है.
ब्रिहन्मुम्बाई मुनिसिपल कारपोरेशन ने मुंबई के हाई कोर्ट में आश्वासन दिया कि मुंबई शहर में जिन होटल आदि में हुक्का पीने की सुविधा उपलब्ध है, उन होटल पर सख्त करवाई होगी.
इन होटल में हुक्का कई फल के स्वाद में उपलब्ध है जिससे कि बच्चों और युवाओं को लगने लगता है कि यह हानिकारक नहीं है - परन्तु हुक्का या तम्बाकू सेवन किसी भी रूप में किया जाए - तम्बाकू जनित कु-प्रभाव शरीर पर पड़ते हैं, जो अक्सर घातक हो सकते हैं.
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तम्बाकूकिल्स समाचार बुलेटिन
सोमवार, ७ जुलाई २००८
अंक ४१४
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इस टीम को भारतीय तम्बाकू नियंत्रण संगठन (इंडियन सोसिएटी अगेन्स्ट स्मोकिंग), आशा परिवार, अभिनाव भारत फाउंडेशन, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस और छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय की तम्बाकू नशा उन्मूलन क्लीनिक का सहयोग प्राप्त है।
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