तम्बाकू महामारी के प्रति संवेदनशील होते विकसित देश
अमित द्विवेदी
तम्बाकू महामारी के प्रति संवेदनशील होते विकसित देश । इसमें कोई दो राय नहीं की तम्बाकू विकासशील देशों के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है, और यह चुनौती दिन-प्रतिदिन और भी विकराल रूप लेती जा रही है, क्योंकि पूरे विश्व में प्रत्येक दिन करीब ११ हजार लोग तम्बाकू द्वारा होने वाली मौतों का शिकार हो रहे हैं, जिनमे से ८० प्रतिशत मौत विकाशील देशों में होती .है यदि इसको नही रोका गया तो आगे आने वाले वर्षों में स्थिति अत्यन्त भयावह हो जायेगी।
तम्बाकू द्वारा होने वाली इतनी अधिक मौतों और इसकी गंभीरता को देखते हुए अमेरिका के दो सबसे बड़े धनाढ्य व्यक्तियों बिल गेट्स और माइकल ब्लूमबर्ग ने प्रभावकारी तम्बाकू नियंत्रण की दिशा में व्यापक और गंभीर पहल करने के लिए विकासशील देशों को करीब २५००० करोड़ रूपये देने की घोषणा की है जो अत्यन्त ही सराहनीय है। इन पैसों को सबसे ज्यादा चीन, भारत, इंडोनेशिया, रूस, और बांग्लादेश में तम्बाकू नियंत्रण अभियान के लिए लगाया जाएगा, क्योंकि दुनिया में सबसे ज्यादा तम्बाकू का सेवन करने वाले लोग इन्ही देशों में रहते हैं। ये देश जनसँख्या के मामले में भी काफी आगे हैं।
बिल गेट्स और माइकल ब्लूमबर्ग का मानना है की सिगरेट तथा अन्य तम्बाकू उत्पाद पर कर बढ़ा देने से, आसानी से लोगों तक इसकी पहुँच कम कर देने से, फिल्मो में सिगरेट तथा तम्बाकू का प्रयोग रोकने से, तम्बाकू नियंत्रण पर बनी संधियों कोप्रभावकारी तरीके से लागू करने से, विकासशील देशों में तम्बाकू द्वारा फैली महामारी को कम किया जा सकता है. सरकार को तम्बाकू कंपनियों के उत्पादों पर अधिक से अधिक कर लगाना चाहिए, और इस कर के द्वारा प्राप्त आय को तम्बाकू नियंत्रण गतिविधियों में लगाना चाहिए।
भारत में तम्बाकू महामारी का स्वरुप काफी व्यापक है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में करीब २५० मिलियन लोग तम्बाकू के किसी न किसी उत्पाद का सेवन करतें हैं। लगभग ४८ प्रतिशत व्यस्क पुरूष और १४ प्रतिशत व्यस्क महिलाएं तम्बाकू का सेवन करती हैं. आने वाले २० सालों में पूरे विश्व के मुकाबले भारत में सबसे ज्यादा तम्बाकू के द्वारा मौतें होंगी। विश्व में हर साल तम्बाकू द्वारा होने वाली मौतों की संख्या मलेरिया, टी . बी. ; एच.आई .वी द्वारा मरने वाली लोगों की संख्या से कहीं ज्यादा है। कई सारे शोधों के द्वारा यह पता चलता है की विकसित देशों में तम्बाकू और शराब का प्रयोग काफी कम हो गया है, क्योंकि विकसित देश यह अच्छी तरह समझ चुके हैं की इसका प्रयोग न केवल स्वास्थय के लिए बल्कि उनके देश की युवा पीढी और अर्थव्यवस्था के लिए भी काफी नुकसानदायक है। विकासशील देशों को तम्बाकू की गंभीरता को समझना चाहिए और विकसित देशों को इसके नियंत्रण में पर्याप्त सहयोग देना चाहिए .
अमित द्विवेदी
(लेखक, सिटिज़न न्यूज़ सर्विस के विशेष संवाददाता हैं)