टीबी या तपेदिक साप्ताहिक समाचार सारांश
१४-२० जुलाई २००८
अंक ७०
पाँच मुख्या समाचार:
१. अमरीकी संसद ने ऐड्स, टीबी और मलेरिया कार्यक्रमों के लिए अमरीकी डालर ४८ बिलियोन के अनुदान को संस्तुति दी
२. कोटरीमोक्साजोल दवा से एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित लोगों का मृत्यु दर कम होता है
३. डायबिटीज़ या मधुमेह होने से टीबी का खतरा बढ़ता है
४. पाकिस्तान में दवा फैक्ट्री के पास रहने वालों में टीबी बढती पायी गई
५. खदानों में कार्यरत मजदूरों में टीबी का अनुपात बहुत अधिक पाया गया: रपट
समाचार विस्तार से:
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१. अमरीकी संसद ने ऐड्स, टीबी और मलेरिया कार्यक्रमों के लिए अमरीकी डालर ४८ बिलियोन के अनुदान को संस्तुति दी
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अमरीकी संसद ने ऐड्स, टीबी और मलेरिया कार्यक्रमों के लिए अमरीकी डालर ४८ बिलियोन का अनुदान मंजूर कर लिया है. यह अनुदान आने वाले ५ सालों में विशेषकर अफ्रीका के देशों को दिया जायेगा, हालाँकि अफ्रीका के अलावा अन्य देशों को भी इस अनुदान का लाभ मिल पायेगा. इसके अलावा अमरीकी डालर २ बिलियोन अम्रीका में रह रहे भारतियों में टीबी, एच.आई.वी, मलेरिया और अन्य रोगों के नियंत्रण में निवेश किया जाएगा.
परन्तु अचम्भे की बात यह है कि विश्व में रोग नियंत्रण के लिए अनुदान देने वाला अम्रीका स्वयं अपने देश के टीबी क्लीनिक को ताला-बंद करने पर विवश है क्योंकि स्वास्थ्य बजट कटौती हो गई है!
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२. कोटरीमोक्साजोल दवा से एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित लोगों का मृत्यु दर कम होता है
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हालाँकि अफ्रीका के देशों में एच.आई.वी और टीबी दोनों से ग्रसित लोगों को कोटरीमोक्साजोल दवा देने से अब शोध में एक-बार-और पाया गया है कि एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित लोगों के मृत्यु दर में कमी आ सकती है - ऐड्स केयर वाच ए.सी.डब्लू) अभियान ने अगस्त २००६ में १६वें अंतर्राष्ट्रीय ऐड्स कांफ्रेंस (टोरंटो, कनाडा) के दौरान एच.आई.वी से ग्रसित लोगों में कोटरीमोक्साजोल दवा के आयु-बढ़ाने वाले प्रभाव की बात रखी थी. यही नहीं, अगस्त २००६ में १६वें अंतर्राष्ट्रीय ऐड्स कांफ्रेंस के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोटरीमोक्साजोल दवा देने के लिए सुझाव-पत्रिका भी जारी की थी. आशा है कि अब एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित लोगों को यह दवा मिल पाएगी और मृत्यु दर कम हो पायेगा। पूरा समाचार पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक कीजिये
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३. डायबिटीज़ या मधुमेह होने से टीबी का खतरा बढ़ता है
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जिन लोगों को डायबिटीज़ या मधुमेह होता है, उनको टीबी या तपेदिक होने की सम्भावना तीन गुणा तक बढ़ सकती है. भारत और चीन में लगभग १० प्रतिशत टीबी के रोगियों को मधुमेह की वजह से टीबी हुई है. पूरा समाचार पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक कीजिये
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४. पाकिस्तान में दवा फैक्ट्री के पास रहने वालों में टीबी बढती पायी गई
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पाकिस्तान में जो लोग दवा फैक्ट्री के नज़दीक रह रहे हैं, उनमें टीबी या तपेदिक का दर तेज़ी से बढ़ रहा है - जो बेहद चिंताजनक है. कई पर्यावरण और स्वास्थ्य कार्यकर्ता इस बात की रपट कर चुके हैं परन्तु दवा कंपनी और सरकार दोनों ही बढ़ते टीबी के दर से बे:ख़बर हैं. ये सर्व-विदित है कि गंदे दूषित पानी आदि से टीबी जैसे संक्रामक रोगों के होने का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है. पूरा समाचार पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक कीजिये
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५. खदानों में कार्यरत मजदूरों में टीबी का अनुपात बहुत अधिक पाया गया: रपट
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ऐड्स & राइट्स अलायंस फॉर सौथेर्न अफ्रीका (ARASA) या दक्षिण अफ्रीका की ऐड्स और मानवाधिकार संगठन ने जुलाई २००८ में खदानों में कार्यरत मजदूरों में बढती टीबी या तपेदिक के विषय पर एक रपट जारी की है. खदानों में कार्यरत मजदूरों में एक लंबे अरसे से अनेकों शोध से यह प्रमाणित हो चुका है कि कई श्वास के रोगों का अनुपात आम जनता के मुकाबले अधिक पाया गया है. सोने की खदानों में तो, अफ्रीकी सरकार के अनुसार, टीबी का दर अत्याधिक है और विश्व स्तर पर सबसे अधिक टीबी के दरों में से एक है! ऐसा इस लिए भी होता है क्योंकि मजदूरों को सिलिका के कण एक लंबे समय तक झेलने पड़ते हैं, जो खतरनाक रोगों को जन्म देते हैं.
पूरा समाचार पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक कीजिये
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संपादक: बाबी रमाकांत
ईमेल: bobbyramakant@yahoo.com
१४-२० जुलाई २००८
अंक ७०
पाँच मुख्या समाचार:
१. अमरीकी संसद ने ऐड्स, टीबी और मलेरिया कार्यक्रमों के लिए अमरीकी डालर ४८ बिलियोन के अनुदान को संस्तुति दी
२. कोटरीमोक्साजोल दवा से एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित लोगों का मृत्यु दर कम होता है
३. डायबिटीज़ या मधुमेह होने से टीबी का खतरा बढ़ता है
४. पाकिस्तान में दवा फैक्ट्री के पास रहने वालों में टीबी बढती पायी गई
५. खदानों में कार्यरत मजदूरों में टीबी का अनुपात बहुत अधिक पाया गया: रपट
समाचार विस्तार से:
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१. अमरीकी संसद ने ऐड्स, टीबी और मलेरिया कार्यक्रमों के लिए अमरीकी डालर ४८ बिलियोन के अनुदान को संस्तुति दी
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अमरीकी संसद ने ऐड्स, टीबी और मलेरिया कार्यक्रमों के लिए अमरीकी डालर ४८ बिलियोन का अनुदान मंजूर कर लिया है. यह अनुदान आने वाले ५ सालों में विशेषकर अफ्रीका के देशों को दिया जायेगा, हालाँकि अफ्रीका के अलावा अन्य देशों को भी इस अनुदान का लाभ मिल पायेगा. इसके अलावा अमरीकी डालर २ बिलियोन अम्रीका में रह रहे भारतियों में टीबी, एच.आई.वी, मलेरिया और अन्य रोगों के नियंत्रण में निवेश किया जाएगा.
परन्तु अचम्भे की बात यह है कि विश्व में रोग नियंत्रण के लिए अनुदान देने वाला अम्रीका स्वयं अपने देश के टीबी क्लीनिक को ताला-बंद करने पर विवश है क्योंकि स्वास्थ्य बजट कटौती हो गई है!
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२. कोटरीमोक्साजोल दवा से एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित लोगों का मृत्यु दर कम होता है
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हालाँकि अफ्रीका के देशों में एच.आई.वी और टीबी दोनों से ग्रसित लोगों को कोटरीमोक्साजोल दवा देने से अब शोध में एक-बार-और पाया गया है कि एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित लोगों के मृत्यु दर में कमी आ सकती है - ऐड्स केयर वाच ए.सी.डब्लू) अभियान ने अगस्त २००६ में १६वें अंतर्राष्ट्रीय ऐड्स कांफ्रेंस (टोरंटो, कनाडा) के दौरान एच.आई.वी से ग्रसित लोगों में कोटरीमोक्साजोल दवा के आयु-बढ़ाने वाले प्रभाव की बात रखी थी. यही नहीं, अगस्त २००६ में १६वें अंतर्राष्ट्रीय ऐड्स कांफ्रेंस के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोटरीमोक्साजोल दवा देने के लिए सुझाव-पत्रिका भी जारी की थी. आशा है कि अब एच.आई.वी और टीबी से ग्रसित लोगों को यह दवा मिल पाएगी और मृत्यु दर कम हो पायेगा। पूरा समाचार पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक कीजिये
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३. डायबिटीज़ या मधुमेह होने से टीबी का खतरा बढ़ता है
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जिन लोगों को डायबिटीज़ या मधुमेह होता है, उनको टीबी या तपेदिक होने की सम्भावना तीन गुणा तक बढ़ सकती है. भारत और चीन में लगभग १० प्रतिशत टीबी के रोगियों को मधुमेह की वजह से टीबी हुई है. पूरा समाचार पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक कीजिये
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४. पाकिस्तान में दवा फैक्ट्री के पास रहने वालों में टीबी बढती पायी गई
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पाकिस्तान में जो लोग दवा फैक्ट्री के नज़दीक रह रहे हैं, उनमें टीबी या तपेदिक का दर तेज़ी से बढ़ रहा है - जो बेहद चिंताजनक है. कई पर्यावरण और स्वास्थ्य कार्यकर्ता इस बात की रपट कर चुके हैं परन्तु दवा कंपनी और सरकार दोनों ही बढ़ते टीबी के दर से बे:ख़बर हैं. ये सर्व-विदित है कि गंदे दूषित पानी आदि से टीबी जैसे संक्रामक रोगों के होने का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है. पूरा समाचार पढ़ने के लिए, यहाँ पर क्लिक कीजिये
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५. खदानों में कार्यरत मजदूरों में टीबी का अनुपात बहुत अधिक पाया गया: रपट
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ऐड्स & राइट्स अलायंस फॉर सौथेर्न अफ्रीका (ARASA) या दक्षिण अफ्रीका की ऐड्स और मानवाधिकार संगठन ने जुलाई २००८ में खदानों में कार्यरत मजदूरों में बढती टीबी या तपेदिक के विषय पर एक रपट जारी की है. खदानों में कार्यरत मजदूरों में एक लंबे अरसे से अनेकों शोध से यह प्रमाणित हो चुका है कि कई श्वास के रोगों का अनुपात आम जनता के मुकाबले अधिक पाया गया है. सोने की खदानों में तो, अफ्रीकी सरकार के अनुसार, टीबी का दर अत्याधिक है और विश्व स्तर पर सबसे अधिक टीबी के दरों में से एक है! ऐसा इस लिए भी होता है क्योंकि मजदूरों को सिलिका के कण एक लंबे समय तक झेलने पड़ते हैं, जो खतरनाक रोगों को जन्म देते हैं.
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संपादक: बाबी रमाकांत
ईमेल: bobbyramakant@yahoo.com