भारतीय संविधान में है ग्राम स्वराज्य

उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं लोक राजनीति मंच के प्रदेश अध्यक्षीय मंडल में सदस्य रवि किरण जैन ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है - और साथ में दुनिया का एक ऐसा देश है जहां पर सबसे अधिक गरीब और कुपोषित लोग हैंकैसे प्रजातंत्र को भागीदारी वाली प्रजातंत्र में परिवर्तित किया जाए, यह एक बड़ा सवाल है

अधिवक्ता जैन लखनऊ में हो रहे पंचायती राज सम्मेलन में व्याख्यान दे रहे थे। पंचायती राज सम्मेलन को लोक राजनीति मंच ने आयोजित किया था जिसमें दो दर्जन से अधिक जन-प्रतिनिधि एवं सौ से अधिक राजनीतिक कार्यकर्ता आये थे।

अधिवक्ता जैन ने कहा कि भारतीय संविधान का आर्टिकल २४३ : कहता है कि "संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी राज्य का विधान मंडल, विधि द्वारा पंचायतों को ऐसी शक्ति एवं प्राधिकार प्रदान कर सकेगा जो उन्हें स्वायत्त शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने में समर्थ बनाने के लिये आवश्यक हो और ऐसी विधि से पंचायतों को उपयुक्त स्तर पर, ऐसी शर्तों के अधीन रखते हुए, जो उसमें निर्दिष्ट की जाएँ, निम्नलिखित के सम्बन्ध में शक्तियां और उत्तरदायित्व न्याय्गत करने के लिये उपबंध किये जा सकेंगे, अर्थात:
- आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिये योजनायें तैयार करना
- आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय ऐसी स्कीमों को, जो उन्हें सौपी जाएँ, जिनके अंतर्गत वो स्कीमें भी हैं, जो ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध विषयों के सम्बन्ध में है, कार्यान्वित करना।"

रवि किरण जैन ने कहा कि नगर पालिका और पंचायत दोनों को यह शक्तियां दी गयी हैं कि गाँव और शहर का विकास कितना और कैसा होना चाहिए यह वहाँ के निवासी तय करेंगे

आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के बिना कोई भी योजना तय करना आखिर कहा तक सही है?

बाबी रमाकांत - सी.एन.एस.