मौसम के करवट बदलते ही बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। सबसे ज्यादा असर देखने को मिलता है, बच्चों पर। वजह, बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की अपेक्षा कम होती है। निमोनिया एक ऐसा रोग है जो छोटे बच्चों में प्रायः देखने को मिलता है। लाखों बच्चे इस रोग का शिकार होते हैं। पूरी दुनिया में 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 16 लाख बच्चे इस खतरनाक बीमारी से मरते हैं। अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाये तो इस रोग पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
‘होप मदर एण्ड चाइलड केयर सेण्टर’ के बाल-रोग विशेषज्ञ डा0 अजय कुमार के अनुसार शिशु के जन्म के पहले घण्टे से ही एकमात्र स्तनपान कराना चाहिए जो शिशु को निमोनिया के साथ-साथ कई अन्य बीमारियों से भी बचाता है। मगर आज के समाज में इसको लेकर माताओं में कई भ्रांतियां हैं जैसे कम दूध होना, जबकि शुरुआत में कम दूध आना एक आम बात है जिसे कोलस्ट्रम कहते हैं जो कि एक चिपचिपा पदार्थ होता है, लेकिन अगर स्तनपान कराया जाये तो कुछ ही समय में यह तेजी से बढ़ने लगता है, जिसे अक्सर मातायें समझती हैं कि यह दूध नहीं है, परन्तु ऐसा नहीं है।
कोलस्ट्रम बच्चे में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसी ‘होप मदर एण्ड चाइलड केयर सेण्टर’ की स्त्री रोग विशेषज्ञा डा0 निधि जौहरी का भी यही मानना है कि स्तनपान पूर्ण रुप से सुरक्षित एवं स्वच्छ तरीका है। उनका यह भी कहना है कि आज की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में कई मातायें स्तनपान से कतराती हैं, जैसे कि वे कहती हैं कि दूध नहीं हो रहा है, कमर में तकलीफ है, काम पर जल्दी जाना पड़ता है इत्यादि। डा0 निधि जौहरी का भी यही कहना है कोई भी दूध जो हम शरीर से बाहर से पिलाते हैं उसको संक्रमण रहित करना बहुत मुश्किल हो जाता है, जो निमोनिया का एक बड़ा कारण है।
यश अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञा डा0 ऋतु गर्ग भी अपने यहॉ आने वाली माताओं को स्तनपान की सलाह देती हैं। मगर कई बार मातायें स्तनपान कराने में असमर्थ होती हैं तो वे उन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित लेकटोजेन नं0-1 या 2 की सलाह देती हैं, साथ-साथ यह भी सलाह देती हैं कि दूध की बोतल, कटोरी-चम्मच का पूर्ण रुप से संक्रमण रहित होना बहुत जरुरी है। 5 महीने के बाद वे दाल, चावल का पानी व फलों के रस पिलाने पर भी जोर देती हैं।
वात्सल्य क्लीनिक के सुप्रसिद्ध बाल-रोग विशेषज्ञ डा0 संतोष राय का कहना है कि एकमात्र स्तनपान का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। यह नवजात शिशु में कई एण्टीबॉडीज की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है जो किसी भी फार्मूला दूध से नहीं मिल सकती है। डा0 संतोष राय का मानना है कि बोतल से दूध पिलाने में शिशु की साँस की नली और फेफड़े में कई विकार पैदा हो सकते हैं, जिसमें से निमोनिया प्रमुख है। डा0 संतोष राय कहते हैं कि ऊपर के दूध से हम शिशु के अन्दर संक्रमण के कई रास्ते खोल देते हैं। सभी विशेषज्ञों की यही राय बनती है कि एकमात्र स्तनपान से अधिक सुरक्षित कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
नीरज मैनाली - सी0एन0एस0
(लेखक, ऑनलाइन पोर्टल सी.एन.एस. www.citizen-news.org के लिये लिखते हैं)
‘होप मदर एण्ड चाइलड केयर सेण्टर’ के बाल-रोग विशेषज्ञ डा0 अजय कुमार के अनुसार शिशु के जन्म के पहले घण्टे से ही एकमात्र स्तनपान कराना चाहिए जो शिशु को निमोनिया के साथ-साथ कई अन्य बीमारियों से भी बचाता है। मगर आज के समाज में इसको लेकर माताओं में कई भ्रांतियां हैं जैसे कम दूध होना, जबकि शुरुआत में कम दूध आना एक आम बात है जिसे कोलस्ट्रम कहते हैं जो कि एक चिपचिपा पदार्थ होता है, लेकिन अगर स्तनपान कराया जाये तो कुछ ही समय में यह तेजी से बढ़ने लगता है, जिसे अक्सर मातायें समझती हैं कि यह दूध नहीं है, परन्तु ऐसा नहीं है।
कोलस्ट्रम बच्चे में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। इसी ‘होप मदर एण्ड चाइलड केयर सेण्टर’ की स्त्री रोग विशेषज्ञा डा0 निधि जौहरी का भी यही मानना है कि स्तनपान पूर्ण रुप से सुरक्षित एवं स्वच्छ तरीका है। उनका यह भी कहना है कि आज की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में कई मातायें स्तनपान से कतराती हैं, जैसे कि वे कहती हैं कि दूध नहीं हो रहा है, कमर में तकलीफ है, काम पर जल्दी जाना पड़ता है इत्यादि। डा0 निधि जौहरी का भी यही कहना है कोई भी दूध जो हम शरीर से बाहर से पिलाते हैं उसको संक्रमण रहित करना बहुत मुश्किल हो जाता है, जो निमोनिया का एक बड़ा कारण है।
यश अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञा डा0 ऋतु गर्ग भी अपने यहॉ आने वाली माताओं को स्तनपान की सलाह देती हैं। मगर कई बार मातायें स्तनपान कराने में असमर्थ होती हैं तो वे उन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित लेकटोजेन नं0-1 या 2 की सलाह देती हैं, साथ-साथ यह भी सलाह देती हैं कि दूध की बोतल, कटोरी-चम्मच का पूर्ण रुप से संक्रमण रहित होना बहुत जरुरी है। 5 महीने के बाद वे दाल, चावल का पानी व फलों के रस पिलाने पर भी जोर देती हैं।
वात्सल्य क्लीनिक के सुप्रसिद्ध बाल-रोग विशेषज्ञ डा0 संतोष राय का कहना है कि एकमात्र स्तनपान का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। यह नवजात शिशु में कई एण्टीबॉडीज की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है जो किसी भी फार्मूला दूध से नहीं मिल सकती है। डा0 संतोष राय का मानना है कि बोतल से दूध पिलाने में शिशु की साँस की नली और फेफड़े में कई विकार पैदा हो सकते हैं, जिसमें से निमोनिया प्रमुख है। डा0 संतोष राय कहते हैं कि ऊपर के दूध से हम शिशु के अन्दर संक्रमण के कई रास्ते खोल देते हैं। सभी विशेषज्ञों की यही राय बनती है कि एकमात्र स्तनपान से अधिक सुरक्षित कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
नीरज मैनाली - सी0एन0एस0
(लेखक, ऑनलाइन पोर्टल सी.एन.एस. www.citizen-news.org के लिये लिखते हैं)