नवजात शिशुओं को जन्म के उपरांत ६ महीने तक एकमात्र माँ का दूध मिलने से उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. गोरखपुर के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ के.एन. द्विवेदी के अनुसार: "निमोनिया से ही नहीं बल्कि बहुत सारी बीमारियों से बचाने के लिए स्तनपान जरूरी है। स्तनपान से बच्चों की 'इम्यूनिटी' (प्रतिरोधक क्षमता) अधिक बढ़ती होती है। स्तनपान से निमोनिया होने की सम्भावना कम होती है उस बच्चे की तुलना में जो स्तनपान नहीं कर रहा है। हांलांकि निमोनिया से बचाने के लिए और भी सावधानियां बरतनी चाहिए, जैसे कि ठण्ड से बचाना चाहिए। लेकिन जो बच्चें स्तनपान कर रहे है उनको निमोनिया होने की सम्भावना कम होती हैं क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है।"
पहले की तुलना में स्तनपान के बारे में लोग कहीं अधिक जागरूक हैं. "स्तनपान के बारे में जागरूकता बढ़ गयी है। जो महिलाएं पहली बार माँ बनी हैं वें स्तनपान करने का सही तरीका सीखने के लिये बहुत इच्छुक हैं. इस पर जागरूकता अभियान भी चल रहा है। चिकित्सक भी स्तनपान को काफी बढ़ावा देते हैं. देखा जाए तो स्तनपान पहले की तुलना में बढ़ी है" कहना है डॉ के.एन.द्विवेदी का ।
गोरखपुर की एक बस्ती में रहने वाले श्री प्रदीप श्रीवास्तव बताते हैं कि: "यहां तो माताएं बच्चों को दूध पिलाती हैं, लेकिन कुछ अभी भी नहीं पिलाती है। अब तो कई सारे कार्यक्रम चल रहे है जिसकी वजह से माताएं स्तन पान कराने लगी हैं।"
गोरखपुर की बस्ती में रहने वाली इन्द्रावती बताती हैं कि उनके नाती को निमोनिया हुआ था. उन्होंने बताया कि: "हमारे नाती को निमोनिया हुआ था। बच्चे के गले में परेशानी थी, श्वास फूल रही थी, पेट में भी दर्द था, बुखार भी था। चिकित्सकों ने बताया कि निमोनिया ठण्ड की वजह से हुआ था। इस बच्चे को मां का दूध 5-6 महीने तक पिलाया गया था और अब उसे गाय का दूध पिला रहे हैं।"
समाज में जागरूकता होने के बावजूद भी अनेक समुदाय ऐसे हैं जहां स्तनपान के हितों के बारे में पर्याप्त जागरूकता नहीं पहुंची है. समाज में व्याप्त भ्रांतियां है और ऐसे रीति-रिवाज़ हैं जो बच्चे को एकमात्र स्तनपान से वंचित कर देते हैं। डॉ द्विवेदी का कहना है कि: "स्तनपान न कराने का सबसे बड़ा कारण है अज्ञानता। कुछ परिवारों को नवजात शिशु को स्तनपान कराने के फायदों के बारे में पता ही नहीं है। ज्यादातर लोगों को स्तनपान का महत्व समझाने से समझ में आ जाता है। अधिकतर लोग रुढ़िवादी हो कर और समझ न होने की वजह से, या फिर समाज में कुछ गलतफहमी होने के कारण शिशु को स्तनपान से वंचित रखते हैं।"
जो माताएं बोतल से दूध पिलाती हैं वो ठीक नहीं है। डॉ द्विवेदी के अनुसार: "बोतल से दूध नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि उससे इन्फेक्सन (संक्रमण) होने का खतरा होता है, बोतल से दूध पीने से बच्चे के सांस की नली में दूध जा सकता है। बोतल का दूध पीने वाले बच्चे में सामान्य स्तनपान करने वाले बच्चे से चार से पांच गुना अधिक 'ऐसपिरेशनल निमोनिया' होने का खतरा होता है। बोतल से दूध पीने के दौरान श्वास नली में दूध चला जाता है जिसकी वजह से बच्चे निमोनिया के खतरे में आ जाते हैं।" शिशु को जन्म-उपरांत ६ महीने तक माँ का दूध ही पिलाना चाहिए - इसका लाभ बच्चे को सम्पूर्ण जीवन में मिलता है.
जितेन्द्र द्विवेदी - सी०एन०एस०
(लेखक, ऑनलाइन पोर्टल सी.एन.एस. www.citizen-news.org के लिये लिखते हैं)
पहले की तुलना में स्तनपान के बारे में लोग कहीं अधिक जागरूक हैं. "स्तनपान के बारे में जागरूकता बढ़ गयी है। जो महिलाएं पहली बार माँ बनी हैं वें स्तनपान करने का सही तरीका सीखने के लिये बहुत इच्छुक हैं. इस पर जागरूकता अभियान भी चल रहा है। चिकित्सक भी स्तनपान को काफी बढ़ावा देते हैं. देखा जाए तो स्तनपान पहले की तुलना में बढ़ी है" कहना है डॉ के.एन.द्विवेदी का ।
गोरखपुर की एक बस्ती में रहने वाले श्री प्रदीप श्रीवास्तव बताते हैं कि: "यहां तो माताएं बच्चों को दूध पिलाती हैं, लेकिन कुछ अभी भी नहीं पिलाती है। अब तो कई सारे कार्यक्रम चल रहे है जिसकी वजह से माताएं स्तन पान कराने लगी हैं।"
गोरखपुर की बस्ती में रहने वाली इन्द्रावती बताती हैं कि उनके नाती को निमोनिया हुआ था. उन्होंने बताया कि: "हमारे नाती को निमोनिया हुआ था। बच्चे के गले में परेशानी थी, श्वास फूल रही थी, पेट में भी दर्द था, बुखार भी था। चिकित्सकों ने बताया कि निमोनिया ठण्ड की वजह से हुआ था। इस बच्चे को मां का दूध 5-6 महीने तक पिलाया गया था और अब उसे गाय का दूध पिला रहे हैं।"
समाज में जागरूकता होने के बावजूद भी अनेक समुदाय ऐसे हैं जहां स्तनपान के हितों के बारे में पर्याप्त जागरूकता नहीं पहुंची है. समाज में व्याप्त भ्रांतियां है और ऐसे रीति-रिवाज़ हैं जो बच्चे को एकमात्र स्तनपान से वंचित कर देते हैं। डॉ द्विवेदी का कहना है कि: "स्तनपान न कराने का सबसे बड़ा कारण है अज्ञानता। कुछ परिवारों को नवजात शिशु को स्तनपान कराने के फायदों के बारे में पता ही नहीं है। ज्यादातर लोगों को स्तनपान का महत्व समझाने से समझ में आ जाता है। अधिकतर लोग रुढ़िवादी हो कर और समझ न होने की वजह से, या फिर समाज में कुछ गलतफहमी होने के कारण शिशु को स्तनपान से वंचित रखते हैं।"
जो माताएं बोतल से दूध पिलाती हैं वो ठीक नहीं है। डॉ द्विवेदी के अनुसार: "बोतल से दूध नहीं पिलाना चाहिए क्योंकि उससे इन्फेक्सन (संक्रमण) होने का खतरा होता है, बोतल से दूध पीने से बच्चे के सांस की नली में दूध जा सकता है। बोतल का दूध पीने वाले बच्चे में सामान्य स्तनपान करने वाले बच्चे से चार से पांच गुना अधिक 'ऐसपिरेशनल निमोनिया' होने का खतरा होता है। बोतल से दूध पीने के दौरान श्वास नली में दूध चला जाता है जिसकी वजह से बच्चे निमोनिया के खतरे में आ जाते हैं।" शिशु को जन्म-उपरांत ६ महीने तक माँ का दूध ही पिलाना चाहिए - इसका लाभ बच्चे को सम्पूर्ण जीवन में मिलता है.
जितेन्द्र द्विवेदी - सी०एन०एस०
(लेखक, ऑनलाइन पोर्टल सी.एन.एस. www.citizen-news.org के लिये लिखते हैं)