बच्चों में निमोनिया से बचाव के लिए पोषण और स्वच्छता जरूरी

किसी भी व्यक्ति को जीवित रहने हेतु पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है।  कोई भी व्यक्ति अगर चुस्त व तंदुरूस्त रहना चाहता है तो उसे अपने शिशुओं को भी सही मात्रा में स्वच्छ व पौष्टिक आहार देना चाहिए।  अगर भोजन स्वच्छ व पौष्टिक न हो तो फायदा न करके नुकसान पहुँचाता है और शारीरिक क्षमता को भी कम करता है, फलस्वरूप कई खतरनाक बीमारियां हो जाती हैं।  जिसमें से निमोनिया प्रमुख है।

 12 नवम्बर को मनाये जाने वाले विश्व निमोनिया दिवस के सन्दर्भ में वात्सल्य क्लीनिक के सुप्रसिद्ध बाल-रोग विषेषज्ञ डा. संतोष राय ने हमें बताया कि बच्चों को अच्छा पोषण देना अति आवश्यक है क्योंकि एक अच्छे पोषण में कई तरह के एण्टीबाडीज, विटामिन जैसे विटामिन-‘सी’ होती है जो एक ‘एण्टीआक्सीडेन्ट’ की तरह काम करती है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है, जो बच्चों को जल्दी-जल्दी बीमार होने से बचाती है। कुपोषण से शिकार बच्चों को उन बच्चों की तुलना में संक्रमण अधिक होता है, जो स्वच्छ व पौष्टिक आहार लेते हैं।

डा. संतोष राय ‘जंक फूड’ को आज के परिवेश में खतरनाक मानते हैं, स्वच्छता की भूमिका को अति आवश्यक मानते हुए डा. राय बताते हैं कि पेट की बीमारी ही नहीं ‘वाइरल निमोनिया’ भी स्वच्छ न होने से हो सकता है, जिसमें माता पिता या घर के अन्य सदस्यों का हाथों, बर्तन, दूध की बोतल आदि का साफ न रखना सामान्यतः पाया गया है।

बच्चे के लिए मॉं का दूध ही सर्वोत्तम
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‘होप मदर एण्ड चाइलड केयर सेण्टर’ के बाल-रोग विशेषज्ञ डा. अजय कुमार का कहना है कि बच्चे को 6 महीने के बाद स्तनपान पर ही न रखकर ठोस व संतुलित आहार देना चाहिए जिसका महंगा होना जरूरी नहीं। यहाँ पर भी डा. अजय कुमार ‘फास्ट फूड’, ‘जंक फूड’ का जिक्र करते हुए इसको बच्चों को न देने की सलाह देते हैं एवं विशेष बात का जिक्र करते हुए वह कहते हैं कि बच्चे के लिए माँ का दूध ही सर्वोत्तम है न कि गाय, भैंस या डिब्बे का।  क्योंकि गाय या भैंस का दूध गाय या भैंस के बच्चे के लिए सर्वोत्तम हो सकता है, मनुष्य के बच्चे के लिए नहीं।  स्वच्छता पर उनका भी एक ही मत है कि स्वच्छ शरीर ही बच्चे को निमोनिया व अन्य रोगों से बचाता है।

यश अस्पताल की प्रख्यात स्त्री रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञा डा. ऋतु गर्ग भी मानती हैं कि अच्छे आहार का महंगा होना कोई जरूरी नहीं है, पर उनका पौष्टिक होना अति आवश्यक है।  हाथों के धोने के विषय में उनका कहना है कि आमतौर पर मातायें बच्चों को खिलाने, दूध पिलाने से पहले हाथों को नहीं धोती हैं जो बच्चे को संक्रमित कर सकता है और उससे निमोनिया व अन्य कई बीमारियों के होने का खतरा रहता है।

‘होप मदर एण्ड चाइलड केयर सेण्टर’ की स्त्री रोग विशेषज्ञा (गोल्ड मेडिलिस्ट) डा. निधि जौहरी कहती हैं कि अच्छा पोषण तो महत्वपूर्ण है ही पर उसका स्वच्छ होना भी उतना ही जरूरी है।  अक्सर घर में माताओं को पूर्ण ज्ञान न होने की वजह से भी बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।  उनका मानना है कि महंगे खाने की ना तो बच्चों को न ही बड़ों को आवश्यकता है।  मौसम के फल व सब्जी से अच्छा पोषण कोई दूसरा नहीं है। कई बार मरीज उन्हें ‘प्रोटीन ड्रिंक’ नुस्खे में लिखने के लिए कहते हैं, पर वे मौसमी फल व सब्जी को ही प्राथमिकता देती हैं।

स्वच्छता पर वे कहती हैं कि सारे रोग स्वच्छता की कमी से ही शुरू होते हैं।  वे अपने अस्पताल में आने वाली माताओं को स्वच्छता, खास तौर पर हाथों को और बच्चों की दूध की बोतल, निप्पल आदि को कैसे साफ रखें, का विशेष ज्ञान देती हैं।  परन्तु ऐसा भी पाया गया है कि पूर्ण ज्ञान व स्वच्छता के बावजूद भी निमोनिया रोग बच्चे को हो सकता है, जैसे कि आशीष निगम एवं संगीता निगम के शिशु को जन्म से 5 महीने के भीतर ही निमोनिया हो गया था।

अतः प्रकृति व स्वच्छता से जितने करीब रहेंगे, उतने ही स्वस्थ जीवन का निर्माण कर सकेंगे।

नीरज मैनाली - सी0एन0एस0
(लेखक, ऑनलाइन पोर्टल सी.एन.एस. www.citizen-news.org के लिये लिखते हैं)