उत्तर प्रदेश के लोगों को नहीं मिला स्वास्थ्य का अधिकार

उत्तर प्रदेश के लोगों को नहीं मिला स्वास्थ्य का अधिकार

स्वास्थ्य पर हर नागरिक का मूल अधिकार है, चाहे वोह गरीब हो या अमीर, और किसी भी धर्म आदि में विश्वास रखता हो, कहना है लखनऊ से लोक सभा प्रत्याशी एस.आर.दारापुरी का जो लोक राजनीति मंच से आगामी लोक सभा चुनाव लड़ रहे हैं.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-३ के आंकड़ें बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की आबादी का तीन-चौथाई भाग ग्रामीण छेत्रों में रहता है. ग्रामीण छेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएँ अत्यंत असंतोषजनक हैं, कहना है दारापुरी का. ग्रामीण छेत्रों में और शहरों की झुग्गी-झोपड़ियों में व्याप्त स्थिति वहाँ के रहने वाले लोगों के लिये संक्रामक रोगों और अन्य मृत्यों के कारणों का खतरा बढ़ा देती है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य
सर्वेक्षण-३ के अनुसार उत्तर प्रदेश में मात्र २९ प्रति शत लोग पक्के घरों में रहते हैं और ६७ प्रतिशत लोगों के पास शौचालय नहीं है. ग्रामीण छेत्रों में स्थिति और भी संगीन है जहां ८४ प्रतिशत लोगों को शौचालय नहीं प्राप्त है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य
सर्वेक्षण-३ के अनुसार सिर्फ ९ प्रतिशत लोगों को ही पाइप द्वारा पानी घरों में मिलता है. लोगों की पहुँच से बाहर होता हुआ सुरक्षित पीने के पानी की वजह से नि:संदेह ही पानी से फैलने वाली बीमारियों का दर बढ़ रहा है.

महिलाओं की स्थिति अधिक चिंताजनक है क्योंकि सामाजिक, आर्थिक और यौनिक रूप से उनके शोषण होने का खतरा अधिक रहता है, जिससे उनको संक्रामक रोग और अन्य स्वास्थ्य से सम्बंधित स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें अनचाहे गर्भ भी शामिल है. उत्तर प्रदेश में १६ साल पर औसतन महिलाओं की शादी हो जाती है. कानूनन रूप से महिलाओं की शादी १८ साल से पहले नहीं हो सकती है परन्तु उत्तर प्रदेश में आधे से अधिक महिलाओं की शादी १८ साल से पहले हो जाती है, जिसका प्रभाव महिलाओं और उनके बच्चों पर पड़ता है. यह कोई ताज्जुब की बात नहीं है कि प्रसव पीड़ा में महिलाओं का और जन्म से ६ महीने से पहले नवजात शिशुओं का मृत्यु दर उत्तर प्रदेश में इतना अधिक है.

कुपोषण से भी लोग, विशेष तौर पर ५ साल से कम उम्र के बच्चे, मौत का शिकार होते हैं, हर इस मौत से बचाव मुमकिन है, मानना है दारापुरी का और इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की है।

गुणात्मक दृष्टि से उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवा मिलना हर नागरिक का, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों का, मूल अधिकार है जो सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए. जिन मौहौल में उत्तर प्रदेश में लोग रहते हैं, उनसे उनको रोग ग्रस्त होने का खतरा नहीं होना चाहिए, कहना है दारापुरी का.

अधिक जानकारी के लिये संपर्क करें: डॉ संदीप पाण्डेय, सदस्य, राष्ट्रीय अध्यक्षीय मंडल, लोक राजनीति मंच - २३४७३६५ एवं बाबी रमाकांत ९८३९० ७३३५५