अप्रवासीय भारतियों को सूचना का अधिकार मिलने में हुई कठिनाई
अप्रवासीय भारतियों को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मिलने में बहुत समस्या हो रही है. कोम्मोडोर लोकेश के बत्रा (सेवा निवृत) ने अमरीका में भारतीय मिशन को सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सूचना मिलने में होने वाली कठिनाइयों से अवगत कराया.
"सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत रुपया १० का भुगतान करने का कोई सरल उपाय नहीं है, जो अपने आप में ही एक बड़ी समस्या है" कहना है लोकेश बत्रा का.
भारतीय दूतावास की वेबसाइट के अनुसार, वोह लोग सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांग सकते हैं जिनके पास भारत की नागरिकता है (पासपोर्ट के उपयुक्त पृष्ठों की कॉपी संग्लिग्न करें) और जो रुपया १० के बराबर भुगतान अमरीकी डालर में चेक या डिमांड ड्राफ्ट के जरिये करें.
"परन्तु यह भुगतान इनको सीधे सम्बंधित अधिकारी को करना पड़ता है जिसकी प्रक्रिया स्पष्ट नहीं है" कहना है सूचना के अधिकार कार्यकर्ता लोकेश बत्रा का.
"विदेशों से, १० रुपया के भुगतान की प्रक्रिया काफ़ी जटिल है क्योंकि केन्द्र सरकार, प्रदेश सरकार और अन्य सरकारी संस्थानों आदि जैसे की कोर्ट द्वारा कथित भुगतान करने के तरीके भिन्न हैं. उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश में लोगों को राजस्व स्टांप लगाना पड़ता है यदि प्रदेश सूचना आयुक्त के निर्देश की कॉपी चाहिए. यह कैसे मुमकिन है कि अमरीका से कोई भारत तक मात्र राजस्व स्टांप लेने के लिए जाए?" बत्रा ने कहा.
सरकारी आंकड़ों के हिसाब से, अमरीका के वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास ने सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सन २००७ में २७ और २००८ में ४४ अर्जियां पायी थीं.
दूतावास ने ३३ सूचना मांगने वालों को यह भी सुझाव दिया कि अपनी अर्जियां सीधे सम्बंधित जन सूचना अधिकारियों को ही दे क्योंकि उनका मिशन की करवाई से कोई भी जुडाव नहीं है.
इन मुद्दों के बारे में जब मुख्य सूचना आयुक्त शैलेश गाँधी से पुछा गया तो उन्होंने कहा कि "मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. मुझे इस सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी चाहिए उसके बाद ही मैं इस पर टिपण्णी कर सकूँगा. परन्तु ऐसा लगता है कि अप्रवासीय भारतीय सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सूचना प्राप्त करने में मुश्किल का सामना कर रहे होंगे."