तम्बाकू एक प्रकार का विषैला पदार्थ है तथा इससे कई प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं. परन्तु भारत वर्ष में कई ऐसे लोग हैं जो इन बीमारियों का पता होने पर पर भी तम्बाकू का सेवन करते रहते हैं. सरकार द्वारा "सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३" बनाया गया जिसके अंतर्गत १८ साल से कम उम्र के बच्चों द्वारा तम्बाकू बेचना और खरीदना दोनों ही दंडनीय अपराध हैं, परन्तु कई लोग इस कानून का खुलेआम मजाक उड़ाते हैं, और १८ वर्ष से कम आयु के बच्चे को तम्बाकू खरीदते और बेचते हुए अक्सर देखा जा सकता है. इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा यह क़ानून भी लागू किया गया है कि खैनी, गुटखा या सिगरेट जैसे तम्बाकू उत्पाद को स्कूल, कालेज या किसी अन्य शिक्षण संस्थान के सामने या उसके सौ गज की दूरी में बेचना भी कानूनन अपराध है. परन्तु लखनऊ जैसे शहर में पाया गया है कि इस क़ानून का खुले आम उल्लंघन किया जा रहा है, तथा स्कूल /कालेज के आस पास में सिगरेट, गुटखा एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं. जिस प्रकार १८ साल से कम आयु के बच्चों को तम्बाकू उत्पाद बेचना अपराध है, ठीक उसी प्रकार इस उम्र के बच्चों से तम्बाकू बिकवाना भी अपराध है. बच्चों की जगह स्कूल में होना चाहिए, जिसके लिए हमारी सरकार ने सर्वशिक्षा अभियान चलाया है, न कि तम्बाकू सिगरेट की दुकानों में. तो सरकार द्वारा चलाये इस अभियान में सभी नागरिक सहयोग करें और अपने बच्चों को तम्बाकू से दूर रखते हुए उन्हें स्कूल भेजें, ताकि आगे चल कर वे एक समझदार और ज़िम्मेदार नागरिक बन सकें.
(प्रस्तुत लेखक सी.एन.एस. द्वारा आयोजित छः दिवशीय "अधिकार व दायित्व " शिविर में प्रशिक्षित एक प्रशिक्षार्थी जतिन अरोड़ा द्वारा लिखा गया हैं)
(प्रस्तुत लेखक सी.एन.एस. द्वारा आयोजित छः दिवशीय "अधिकार व दायित्व " शिविर में प्रशिक्षित एक प्रशिक्षार्थी जतिन अरोड़ा द्वारा लिखा गया हैं)