तम्बाकू एक धीमा जहर है. यह एक ऐसा पदार्थ है जो समाज को कीड़े की तरह खाए जा रहा है. और लोग लगातार मृत्यु की आगोश में जा रहे है. तम्बाकू का सेवन करने वालो की मृत्युदर प्रतिवर्ष बढती जा रही है. इसका एकमात्र कारण सरकार द्वारा तम्बाकू उत्पादों की रोकथाम न करवा पाना है.
आखिर सरकार आम आदमी की जिंदगी से क्यों खिलवाड़ कर रही है. आखिर इतनी कठिन और दर्दनाक स्थिति से तम्बाकू सेवनकर्ता गुज़र रहे है, उसके लिए सरकार ढिलाई क्यों बरत रही है? तम्बाकू व उससे बने उत्पाद हमारे जीवन के लिए बहुत घातक है और साथ साथ हमारे पर्यावरण व हमारे साथ रहने वालो के लिए भी घातक है. इसके संदर्भ में छत्रपति शाहू जी महराज चिकित्सा विश्व विद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष डाक्टर रमाकांत का कहना है "प्रत्यक्ष धूम्रपान की अपेक्षा अप्रत्यक्ष धूम्रपान व्यक्ति के लिए अधिक हानिकारक होता है."
अभी हाल ही में हुए टोबाको अडल्ट सर्वे २०१० में यह साबित हो चुका है कि पहले की अपेक्षा तम्बाकू उत्पादों के सेवन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है और सबसे खास बात यह है कि इनमे युवाओं की संख्या का प्रतिशत सबसे अधिक है. यही कारण है कि हम तम्बाकू उत्पादों द्वारा होने वाली मृत्युदर पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं.
तम्बाकू द्वारा होने वाले नुकसान - तम्बाकू हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक है. इसके हानिकारक प्रभाव को बताते हुए वर्ष २००५ में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पुरस्कृत डा रमाकांत का कहना है कि "तम्बाकू के सेवन से दूरगामी परिणाम बहुत ही जानलेवा होते है. इसके सेवन से मुह की मांसपेशियाँ सिकुड़ने लगती है, दांत सड़ने लगते हैं और इससे गले, जीभ, मुंह, फेफड़े आदि के कैंसर होने की संभावना ८० फीसदी बढ़ जाती है, यहाँ तक की इसके सेवन से शरीर के किसी अंग पर इसका हानिकारक प्रभाव हो सकता है."
सरकार द्वारा तम्बाकू उत्पाद रोकने के लिए जो नियम बनाए गए हैं वे भी इसको रोकने के लिए कारगर नहीं साबित हो पा रहे हैं. सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३ के सेक्शन ६(अ) के अंतर्गत "कोई भी अवयस्क (१८ से कम उम्र के बालक) को तम्बाकू उत्पाद बेचने व खरीदने पर प्रतिबन्ध है. इसके साथ ही संदेह होने पर कि खरीददार नाबालिग नहीं है दुकानदार ग्राहक से १८ वर्ष की उम्र होने का उपयुक्त साक्ष्य देने का भी अनुरोध कर सकता है."
परन्तु आजकल धड़ल्ले से खुलेआम बालक को, जो स्कूल में पढने वाले गावों में खेलने वाले आराम से दूकान पर तम्बाकू उत्पाद खरीदते व कश लगाते हुए देखे जा सकता है जिनके हाथ में किताबें और कलम होनी चाहिए वह मौत का सामान लिए बेच रहे हैं, और परिवार के लोग इसे व्यवसाय मानकर बच्चे का तम्बाकू उत्पाद की दूकान पर बैठना एक सराहनीय कदम मानते हैं. यह सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन नहीं है तो क्या है ? क्या इसको रोकने में सरकार अपने आप को असहज महसूस कर रही है?
अतः यह स्पष्ट है की तम्बाकू का सेवन हमारे व हमारे जीवन के लिए बहुत ही घातक होता है खासकर युवाओं के लिए जो अपने आप को युवावस्था में संभाल नहीं पाते हैं और चोरी छिपे उसका प्रयोग प्रारम्भ कर देते हैं. अतः इसके लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं..
१- यदि आप धूम्रपान के आदी हैं तो आप उसको धीरे- धीरे कम करने का प्रयास करें और फिर छोड़ दें.
२- कभी भी बच्चों के सामने धूम्रपान या गुटखा का सेवन न करें क्योंकि आपको देखकर वह भी इस लत के शिकार हो सकते हैं.
३- युवाओं को तम्बाकू उत्पाद से दूर रखें.
४- ग्राहक यदि नाबालिग है तो दूकानदार तम्बाकू व उससे बने उत्पाद कतई न दें.
५- समय- समय पर इससे होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में युवाओं को बताएं जिससे वह अगर चोरी छिपे सेवन कर रहें हो तो इसके दुष्प्रभावों का चिंतन कर इस लत से दूर हो जाएँ.
६- समय- समय पर आयोजित की जाने वाली तम्बाकू निषेध की गोष्ठियों में अवश्य भाग लें जिससे उन मुद्दों पर आपकी समझ बढ़ेगी व आप भी किसी को अच्छी तरह से इसकी हानियाँ बता पायेंगे.
अतः आपसे सादर अनुरोध है की युवाओं को तम्बाकू उत्पादों से दूर रखें क्योंकि हमारे देश का भार इन्ही युवा कन्धों पर है और जिनको कमजोर न बनाकर सशक्त और मजबूत बनाना है तथा विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर आप सभी यह संकल्प लें कि न तो तम्बाकू का सेवन करेंगे और जो कर रहे हैं उन्हें इसके दुष्प्रभाव की जानकारी देते हुए छुडवाने का प्रयास करेंगे तथा छुडवाने में पूरा सहयोग करते हुए इस मुहिम को जारी रखेंगे और सब मिलकर कहेंगे "जिन्दगी चुनो, तम्बाकू नहीं"
(प्रस्तुत लेखक सी.एन.एस. द्वारा आयोजित छः दिवशीय "अधिकार व दायित्व " शिविर में प्रशिक्षित एक प्रशिक्षार्थी आनंद पाठक द्वारा लिखा गया हैं)
आखिर सरकार आम आदमी की जिंदगी से क्यों खिलवाड़ कर रही है. आखिर इतनी कठिन और दर्दनाक स्थिति से तम्बाकू सेवनकर्ता गुज़र रहे है, उसके लिए सरकार ढिलाई क्यों बरत रही है? तम्बाकू व उससे बने उत्पाद हमारे जीवन के लिए बहुत घातक है और साथ साथ हमारे पर्यावरण व हमारे साथ रहने वालो के लिए भी घातक है. इसके संदर्भ में छत्रपति शाहू जी महराज चिकित्सा विश्व विद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष डाक्टर रमाकांत का कहना है "प्रत्यक्ष धूम्रपान की अपेक्षा अप्रत्यक्ष धूम्रपान व्यक्ति के लिए अधिक हानिकारक होता है."
अभी हाल ही में हुए टोबाको अडल्ट सर्वे २०१० में यह साबित हो चुका है कि पहले की अपेक्षा तम्बाकू उत्पादों के सेवन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है और सबसे खास बात यह है कि इनमे युवाओं की संख्या का प्रतिशत सबसे अधिक है. यही कारण है कि हम तम्बाकू उत्पादों द्वारा होने वाली मृत्युदर पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं.
तम्बाकू द्वारा होने वाले नुकसान - तम्बाकू हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक है. इसके हानिकारक प्रभाव को बताते हुए वर्ष २००५ में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पुरस्कृत डा रमाकांत का कहना है कि "तम्बाकू के सेवन से दूरगामी परिणाम बहुत ही जानलेवा होते है. इसके सेवन से मुह की मांसपेशियाँ सिकुड़ने लगती है, दांत सड़ने लगते हैं और इससे गले, जीभ, मुंह, फेफड़े आदि के कैंसर होने की संभावना ८० फीसदी बढ़ जाती है, यहाँ तक की इसके सेवन से शरीर के किसी अंग पर इसका हानिकारक प्रभाव हो सकता है."
युवा वर्ग का धूम्रपान में संलिप्त होना: हमारे देश का भविष्य और समाज की आन-बान-शान समझे जाने वाले युवा वर्ग धूम्रपान व तम्बाकू सेवन में सबसे आगे हैं जैसा की सर्वे द्वारा स्पष्ट है. युवा जो कि अशिक्षित होने के कारण या फिर फैशन, शौक या अपने आप को आधुनिक दर्शाने के लिए सिगरेट या तम्बाकू का सेवन आरम्भ कर देते हैं. और यह उम्र १३ से १८ वर्ष के बीच की होती है. क्योंकि ज्यादातर लोग युवावस्था में ही धूम्रपान करना प्रारंभ करते हैं. युवाओं द्वारा खुलेआम सिगरेट के कश सार्वजनिक स्थान पर लगाए जा रहे हैं जिससे वहां उपस्थित सभी लोगो को नुकसान हो रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी खड़ी है.
सरकार द्वारा तम्बाकू उत्पाद रोकने के लिए जो नियम बनाए गए हैं वे भी इसको रोकने के लिए कारगर नहीं साबित हो पा रहे हैं. सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद अधिनियम २००३ के सेक्शन ६(अ) के अंतर्गत "कोई भी अवयस्क (१८ से कम उम्र के बालक) को तम्बाकू उत्पाद बेचने व खरीदने पर प्रतिबन्ध है. इसके साथ ही संदेह होने पर कि खरीददार नाबालिग नहीं है दुकानदार ग्राहक से १८ वर्ष की उम्र होने का उपयुक्त साक्ष्य देने का भी अनुरोध कर सकता है."
परन्तु आजकल धड़ल्ले से खुलेआम बालक को, जो स्कूल में पढने वाले गावों में खेलने वाले आराम से दूकान पर तम्बाकू उत्पाद खरीदते व कश लगाते हुए देखे जा सकता है जिनके हाथ में किताबें और कलम होनी चाहिए वह मौत का सामान लिए बेच रहे हैं, और परिवार के लोग इसे व्यवसाय मानकर बच्चे का तम्बाकू उत्पाद की दूकान पर बैठना एक सराहनीय कदम मानते हैं. यह सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन नहीं है तो क्या है ? क्या इसको रोकने में सरकार अपने आप को असहज महसूस कर रही है?
अतः यह स्पष्ट है की तम्बाकू का सेवन हमारे व हमारे जीवन के लिए बहुत ही घातक होता है खासकर युवाओं के लिए जो अपने आप को युवावस्था में संभाल नहीं पाते हैं और चोरी छिपे उसका प्रयोग प्रारम्भ कर देते हैं. अतः इसके लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं..
१- यदि आप धूम्रपान के आदी हैं तो आप उसको धीरे- धीरे कम करने का प्रयास करें और फिर छोड़ दें.
२- कभी भी बच्चों के सामने धूम्रपान या गुटखा का सेवन न करें क्योंकि आपको देखकर वह भी इस लत के शिकार हो सकते हैं.
३- युवाओं को तम्बाकू उत्पाद से दूर रखें.
४- ग्राहक यदि नाबालिग है तो दूकानदार तम्बाकू व उससे बने उत्पाद कतई न दें.
५- समय- समय पर इससे होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में युवाओं को बताएं जिससे वह अगर चोरी छिपे सेवन कर रहें हो तो इसके दुष्प्रभावों का चिंतन कर इस लत से दूर हो जाएँ.
६- समय- समय पर आयोजित की जाने वाली तम्बाकू निषेध की गोष्ठियों में अवश्य भाग लें जिससे उन मुद्दों पर आपकी समझ बढ़ेगी व आप भी किसी को अच्छी तरह से इसकी हानियाँ बता पायेंगे.
अतः आपसे सादर अनुरोध है की युवाओं को तम्बाकू उत्पादों से दूर रखें क्योंकि हमारे देश का भार इन्ही युवा कन्धों पर है और जिनको कमजोर न बनाकर सशक्त और मजबूत बनाना है तथा विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर आप सभी यह संकल्प लें कि न तो तम्बाकू का सेवन करेंगे और जो कर रहे हैं उन्हें इसके दुष्प्रभाव की जानकारी देते हुए छुडवाने का प्रयास करेंगे तथा छुडवाने में पूरा सहयोग करते हुए इस मुहिम को जारी रखेंगे और सब मिलकर कहेंगे "जिन्दगी चुनो, तम्बाकू नहीं"
(प्रस्तुत लेखक सी.एन.एस. द्वारा आयोजित छः दिवशीय "अधिकार व दायित्व " शिविर में प्रशिक्षित एक प्रशिक्षार्थी आनंद पाठक द्वारा लिखा गया हैं)