धूम्रपान एक अभिशाप

जैसा कि हम सभी जानते हैं  धूम्रपान  स्वास्थ्य  के लिए हानिकारक है. इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होती है और यह चेतावनी सभी तम्बाकू उत्पादों पर अनिवार्य रूप से लिखी होती है, और लगभग सभी को यह पता भी है. परन्तु लोग फिर भी इसका सेवन बड़े ही चाव से करते हैं.
 
ऐसी ही एक कहानी है  विशम्भर नाथ नामक व्यक्ति की. इनके तीन लड़के थे. विशम्भर नाथ बहुत ही परिश्रमी थे और अपने लड़कों के पालन पोषण का पूरा ध्यान रखता थे. परन्तु विशम्भर नाथ की सबसे बड़ी कमी थी उनकी धूम्रपान की आदत. चूँकि विशम्भर नाथ के लड़के पढ़े लिखे थे इसलिए उन्हें पता था कि धूम्रपान, सेहत के लिए ठीक नहीं है लेकिन वे यह सोचकर अपने पिता से कुछ नहीं कहते थे कि कहीं उनके पिता बुरा न मान जाएँ. इसी तरह समय बीतता गया और आखिर एक दिन लड़कों ने हिम्मत करके अपने पिता से कह दिया कि, 'पिता जी आप धूम्रपान न किया करें, यह आपके स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है"  विशम्भर नाथ क्रोधित हो गए और क्रोध में कहने लगे कि "मैं अपने सारे सुखों को त्याग कर तुम्हारी खुशियाँ पूरी करता हूँ. बस  मेरा एक छोटा सा शौक है, क्या वह भी अब तुम लोगों से पूछ कर करूँ?"

लड़के घबरा गए और डरते- डरते  बोले कि "तम्बाकू का सेवन करना सही नहीं है". लेकिन विशम्भर नाथ ने  क्रोधित होते हुए कहा, "क्या गलत है और क्या सही, यह सब अब हमें तुमसे सीखना पड़ेगा?".
लड़के वहां से चले गए इसी प्रकार समय बीतता चला गया. कुछ वर्षों के बाद विशम्भर नाथ को कैंसर हो गया जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. परन्तु उनका कैंसर से बचना संभव नहीं था. अपने अंतिम समय में उन्होंने अपने लड़कों से एक ही बात कही कि "तम्बाकू एक अभिशाप है. कभी भी इसका सेवन न करना".

अपने पिता की मृत्यु देख कर लड़कों ने प्रण किया कि 'हम कभी तम्बाकू का सेवन नहीं करेंगे और हमारी कोशिश रहेगी कि कोई धूम्रपान न करे और न ही इसकी वजह से कोई मरे.'
तो देखा आपने--धूम्रपान आपके लए क्या है ? "सजा या मजा"?

(प्रस्तुत लेखक सी.एन.एस. द्वारा आयोजित छः दिवशीय  "अधिकार व दायित्व "  शिविर में प्रशिक्षित एक प्रशिक्षार्थी दिलीप शर्मा द्वारा  लिखा गया हैं)