लड़कियों को भी भुगतने होंगे तम्बाकू के परिणाम

"नागरिकों का स्वस्थ लखनऊ"  के तत्वाधान में सी-2211 इन्दिरा नगर लखनऊ में 6 दिवसीय एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसके द्वितीय दिन की परिचर्चा का विषय था "तम्बाकू व उसके दुष्प्रभाव"  इस गोष्ठी के प्रमुख वक्ता वर्ष 2005 में विश्व स्वास्थ्य  संगठन द्वारा पुरूस्कृत प्रो0 (डा0) रमाकांत थे।
   
छत्रपति शाहूजी महाराज  चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ के सर्जरी विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष प्रो0 (डा0) रमाकांत ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि लगभग 1.1 अरब लोग सम्पूर्ण विश्व में धूम्रपान करते हैं जिसमें से प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख लोग मृत्यु की आगोश में चले जाते हैं। तथा भारतवर्ष में लगभग 10 लाख लोग प्रतिवर्ष मरते हैं तथा 2200 लोग प्रतिदिन तम्बाकू उत्पाद से ही मरते हैं। तम्बाकू से कैंसर होता है तथा तम्बाकू मौत का कारण है।

    कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि तम्बाकू  बहुत ही घातक है जो रोगों को जन्म देती है इसके दूरगामी परिणाम बहुत ही खतरनाक और जानलेवा होते हैं उन्होने इसको एक प्रस्तुति के माध्यम से तम्बाकू से होने वाले कैंसर रोगियों के चेहरों से रूबरू कराया।

डा0 रमाकांत ने बताया कि व्यक्ति पर तम्बाकू का सबसे पहला असर, यदि वह चबाने वाली तम्बाकू का सेवन करता है तो उसके मुंह की मांस पेशियां सिकुड़ने लगती हैं और धीरे धीरे मुंह खुलना बन्द हो जाता है और वह कैंसर का रूप ले लेता है इसके साथ साथ उन्होने कुछ ऐसे चित्र भी दिखाए जो तम्बाकू के दुष्परिणाम को पूर्णतः स्पष्ट कर रहे थे। तत्पश्चात तम्बाकू में पाए जाने वाला निकोटीन भी हानिकारक होता है जो नसों में पहुंच कर रक्त के साथ मिलकर पूरे शरीर में नसों को प्रभावित करता है।

औरतों के धूम्रपान के मुद्दे पर डा0 रमाकांत ने कहा कि आजकल यह युवाओं का फैशन होता चला जा रहा है, लड़कियों  को लगता है कि हम किसी भी मामले में पुरूषों से पीछे नही हैं इस पर डा0 रमाकांत ने कहा कि यदि वह लड़कों से पीछे नही हैं तो जैसे लड़के दुष्परिणाम झेल रहे है वैसे ही उनको भी झेलना पड़ेगा।

इसके उपरांत विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 2008 में पुरूस्कृत बॉबी रमाकांत ने बताया कि किस प्रकार से इण्डस्ट्री तम्बाकू उत्पाद का प्रचार कर रही हैं कम्पनी वाले कैसे अप्रत्यक्ष रूप से प्रचार करते हैं।

(प्रस्तुत लेखक सी.एन.एस. द्वारा आयोजित छः दिवशीय  "अधिकार व दायित्व "  शिविर में प्रशिक्षित एक प्रशिक्षार्थी आनंद पाठक  द्वारा  लिखा गया हैं)