विधान सभा को सफ़ेद पोतने पर लखनऊ में विरोध
राजनीतिक एवं सामाजिक संगठनों ने उत्तर प्रदेश राज्यपाल टी.वी राजेश्वर को ज्ञापन देते हुए विधान सभा की हो रही सफ़ेद पुताई पर आपत्ति जताई.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विधान सभा ईमारत लगभग ८५ साल पुरानी है.
मग्सय्सय पुरुस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता डॉ संदीप पाण्डेय ने अन्य संस्थाओं और राजनीतिक दलों के साथ उत्तर प्रदेश राज्यपाल टी.वी राजेश्वर को ज्ञापन दिया. डॉ पाण्डेय का ज्ञापन, उत्तर प्रदेश के सेवा निवृत्त पुलिस महानिदेशक इश्वर चन्द्र द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता नवीन तिवारी, सेवा निवृत्त पुलिस महानिरीक्षक एस.आर.दारापुरी (जो लखनऊ से लोक राजनीति मंच की ओर से लोक सभा चुनाव भी लड़ रहे हैं), सेवा निवृत्त आई.ए.एस अधिकारी एस.एन.शुक्ला, और सेवा निवृत्त न्यायमूर्ति कमलेश्वर नाथ की ओर से है.
विधान सभा का यह भाग जिसकी पुताई हो रही है वो बायीं तरफ़ बापू भवन की ओर का भाग है. इतिहासकारों का कहना है कि यह भाग उतना ही पुराना है जितना कि विधान सभा का मुख्य भाग, और इसको हमेशा से आडू के रंग का ही पोता गया है जो मुख्या भाग में लगे पथ्थर से मेल खाता है.
"हम नागरिक विधान सभा की हो रही सफ़ेद पुताई का विरोध दर्ज करना चाहेंगे. यह पुताई एतिहासिक ईमारत विधान सभा के लिए खतरा है जो उसकी पुरातन सौन्दर्यता भी बिगाड़ रही है" कहना है डॉ संदीप पाण्डेय और अन्य लोगों का।
"उत्तर प्रदेश सरकार ने अनेकों स्मारकों का निर्माण किया है और वृक्षों को भी काट गिराया है, जो सब गैर-कानूनी हो गया है क्योंकि प्रदेश का बी.आर आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल अधिनियम २००७ को विधान सभा द्वारा ही हाल में समाप्त कर दिया गया है. विधान सभा की सफ़ेद पुताई लखनऊ की तस्वीर बदलने की बड़ी साजिश का भाग है" कहना है नागरिकों का.
नागरिकों ने अपील की कि विधान सभा की सफ़ेद पुताई पर तुंरत रोक लगायी जाए और जो पैसा इस पर व्यय हो रहा है उसको बचाया जाए जिससे कि वोह किसी सार्थक काम आ सके.