अनुभव: शिक्षा से बनती समझ
अपना घर में रहने वाले बच्चे आजकल स्कूल से छुट्टी होने के कारण कुछ दिनों के लिए ईट - भठ्ठो में रह रहे अपने परिवार के पास गए है ताकि वे उनकी कामो में मदद कर सके। आज मै तातियागंज भठ्ठा गया उनमें से २
बच्चों ज्ञान और लवकुश से मिलने के लिए.......... लवकुश के परिवार वाले इस साल भठ्ठो पर काम करने नही आए है इसलिए लवकुश ज्ञान के परिवार के साथ रहकर ईट पथाई में उनकी मदद कर रहा है। जब मै भठ्ठे पर पंहुचा करीब १२ बज रहे थे..... आज धूप की तपिश बदन को झुलसा रही थी... और धूल भरी गर्म हवा के थपेड़े लगातार चेहरे पर अपने होने का एहसास करा जा रहे थे .... सामने लवकुश और ज्ञान मिटटी की गुथाई में लगे हुए थे ( ईट की पथाई के पहले मिट्टी की गुथाई की जाती है) मै उनके बीच पहुच गया। सभी से दुआ सलाम हुई उसके बाद सबसे बातचीत होने लगी ज्ञान के परिवार के सभी लोग आकर आसपास में बैठ गए। बातचीत में लवकुश ने अपने घर वालो से बात करने की इच्छा जताई। मैंने लवकुश से उसके गाँव का फोन न० लिया और अपने मोबाईल से डायल किया... लवकुश की उम्र करीब ११ साल की है कक्षा ५ में पढ़ाई कर रहा है... लवकुश का गाँव दुधिया टांड बिहार और झारखण्ड के सीमा पर बिहार के नेवादा जिले में है । इसी गाँव से झारखण्ड का कोडरमा जिला शुरू हो जाता है। दुधिया टांड पहाड़ के आँचल में बसा एक छोटा सा गाँव है....... ऊँचे - ऊँचे ताड़ के पेडों के बीच और पास के झरने से बह के आती छोटी सी नदी के धारा इस गाँव को और सुंदर बनाती है। काफी देर बाद मोबाइल कोई उठाता है किससे बात करनी है की आवाज आती है... मै मोबाइल लवकुश को दे देता हूँ... लवकुश अपने बारे में बताता है और कहता है घर पे बात करनी है । ५ मिनट बाद बात करने को कहता है। ५ मिनट बाद लवकुश फोन करता है फ़ोन उसकी माँ उठाती है... बातचीत शुरू हो जाती हो जाती है...(उनकी बातचीत अपनी भाषा में होती है मै उसका अनुवाद लिख रह हूँ )
माँ ..पूछती है क्या हाल है
लवकुश... सब ठीक है मै अच्छे से पढ़ाई कर रह हूँ
लवकुश... घर में सब ठीक है ? पिता जी कंहा है ?
माँ.... पिता जी ताड़ी पीने गए है.. और सब घर में ठीक है
लवकुश.... पिता जी को मना क्यो नही करती हो की ताड़ी मत पिया करे नही तो तबियत ख़राब हो जायेगी.... ताड़ी पीना ठीक नही है ये तो नशा है पिता जी को समझाना की ताड़ी ना पिया करे... बोलना की लवकुश ने पीने को मना किया है...
माँ... मना करुँगी औए कह भी दूंगी और बताओ तुम्हारी तबियत ठीक है न खाना पीना सब ठीक है ना
लवकुश... माँ तबियत ठीक है खाना - पीना भी सब ठीक है ... काजल और राहुल ((बहन और भाई ) की पढ़ाई कैसी चल रही है।
माँ.... काजल तो पढ़ने जा रही है राहुल नही जा रहा है दिनभर खेलता है अभी भी खेलने गया हुआ है...
लवकुश... राहुल को समझाओ की पढ़ने जाए पढ़ना बहुत जरूरी है मै भी जब गाँव आऊंगा तो उसे समझाऊंगा... काजल को बराबर स्कूल भेजते रहना... और माँ गाँव, पड़ोसी और मेरे दोस्तों का क्या हालचाल है...
माँ .... गाँव में सब ठीक है तुम्हारे चाचा की लड़की रेखा की शादी होने वाली है इस माह में और पार्वती की भी शादी हो गई ....
लवकुश... क्या माँ रेखा की शादी हो रही है वो तो बस १२ साल की है इतनी छोटी है और शादी हो रही है तुमने रोका क्यो नही शादी करने से छोटे में शादी करना ग़लत है तुम्हे इस शादी को रोकना चाहिए था....
माँ.... खिलखिला कर हँसती है और कहती है वो छोटी कंहा है १२ साल की है तुमको तो पता है यंहा गाँव में छोटे में शादी हो जाती है ... तुम इतने बड़े हो गए हो की ये सब सोचो...
लवकुश... दुखी होकर मेरी तरफ़ देखता है और कहता है भइया वो अभी १२ साल की है और ये लोग उसकी शादी कर रहे है वो माँ से थोड़ा गुस्से में बोलता है आप लोगो को समझ में नही आता है की छोटे में शादी नही करना चाहिए उससे उसको कितना नुकसान होगा उसको अभी पढ़ना चाहिए था १८ साल के बाद शादी करना चाहिए था... आप लोगो ने ग़लत किया है... काजल को आप लोग पढ़ाई करा कर १८ साल के बाद शादी करियेगा... आपको गाँव में समझाना चाहिए की छोटे उम्र में किसी की शादी ना करे... हम भी जब गाँव आयेंगे तो लोगो को समझायेंगे...
फ़िर लवकुश अपने बुआ, दादी और गाँव के लोगो से बात करता है......
इस बात को सुन कर आज उन चर्चाओ का परिणाम समझ में आता है जो हम लोगो ने अपना घर में इन तीन वर्षो के दौरान की है अलग -अलग सामाजिक बुराइयों और अन्य मुद्दों पर ... साथ ही किस तरह से उन चर्चाओ से एक छोटे से बच्चे की पूरी सोच और समझ विकसित हो रहा है ये भी देखने को मिला ... शिक्षा का सही अर्थो में शायद यही मतलब होता है.... जो इन्सान को सही दिशा में ले जाए.... आज लवकुश को देखकर लगा की शायद हम सही दिशा में है और अंततः शायद इन बच्चों की मदद से हम एक बेहतर समाज बनाने की कल्पना को साकार कर पाए.... बच्चो की इस ब्लॉग पर आज मै अपने को लिखने से नही रोक पाया इस के लिए माफ़ी चाहूँगा...
महेश
अपना घर, कानपुर