तम्बाकू उत्पादनों पर बड़ी एवं व्यापक चित्रमय चेतावनियाँ अधिक प्रभावकारी
आज उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब में छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफ़ेसर डॉ रमा कान्त ने तम्बाकू उत्पादनों पर चित्रमय चेतावनियों पर तथ्य-विवरण दस्तावेज़ जारी किया.
"ऑस्ट्रेलिया में तम्बाकू उत्पादनों पर चित्रमय चेतावनी तम्बाकू पैकेट पर पीछे: ३०% और आगे: ९०% होती है, ब्राजील में १००% किसी भी एक तरफ़, कनाडा और थाईलैंड में आगे: ५०% और पीछे: ५०%, यू.के. में आगे ४३% और पीछे: ५३% होती है. परन्तु भारत में इसको घटा कर तम्बाकू पैकेट के सिर्फ एक तरफ ४०% हिस्से में ही ३१ मई २००९ से लागु किया जा रहा है" प्रोफ़ेसर डॉ रमा कान्त ने कहा.
डॉ रमा कान्त को सन २००५ में विश्व स्वास्थ्य संगठन का अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कार भी प्राप्त है.
"भारतीय परिदृश्य में शासन द्बारा पहले सूचित करी गयी तम्बाकू उत्पादनों पर चित्र चेतावनियाँ कहीं ज्यादा ज़ोरदार और प्रभावकारी थीं और इन चित्रों का क्षेत्र परिक्षण भी हो चुका था जिसमें यह चित्र प्रभावकारी पाए गए थे" कहना है प्रोफ़ेसर डॉ रमा कान्त का. पिछले नियमों के अनुसार चित्र चेतावनी तम्बाकू पदार्थों के सभी पैकेट का आगे और पीछे, दोनों, के हिस्से के ५०% भाग को ढांकती थी, कहा डॉ रमा कान्त ने.
परन्तु ३१ मई, २००९ से लागू की गयी फोटो चेतावनी, हल्की और कमज़ोर हैं और इन चित्रों का क्षेत्र परिक्षण भी नहीं हुआ है. ३ मई, २००९ को जारी किए गए नए नियमों के अनुसार, ये चेतावनियाँ तम्बाकू पैक के सामने वाले मुख्य क्षेत्र के केवल ४०% भाग पर (तम्बाकू पैकेट के सिर्फ एक तरफ) प्रर्दशित की जायेंगी.
अंतर्राष्ट्रीय बाध्यता : "भारत ने फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टुबैको कंट्रोल (ऍफ़.सी.टी.सी.) को फरवरी २००४ में अंगीकार किया था। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रथम अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संधि है. इस संधि के अनुसार भारत को २७ फरवरी, २००८ तक फोटो चेतावनी को कार्यान्वित कर देना चाहिए था. परन्तु अभी तक इस प्रकार की कोई चेतावनी तम्बाकू उत्पादों पर चित्रित नहीं है। इसके अलावा, ऍफ़.सी.टी.सी. के अनुसार कम से कम ३०% आगे के व ३०% पीछे के हिस्से पर इनका प्रदर्शन होना चाहिए। भारत ने इसका भी अनुपालन नहीं किया है" कहना है प्रोफ़ेसर (डॉ) रमा कान्त का.
तम्बाकू का प्रयोग , वैश्विक स्तर पर, रोग और मृत्यु का प्रमुख, परन्तु रोका जा सकने वाला कारण है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, तम्बाकू प्रयोग के कारण, दुनिया भर में ५४ लाख लोग प्रति वर्ष अपनी जान गंवाते हैं। इनमें से ९ लाख मौतें तो केवल भारत में ही होती हैं। प्रति दिन, हमारे देश के २५०० व्यक्ति तम्बाकू की वजह से मृत्यु का शिकार होते हैं। मुख के कैंसर के सबसे अधिक रोगी भारत में पाये जाते हैं तथा ९०% मुंह का कैंसर तम्बाकू जनित होता है. हमारे देश में ४०% कैंसर तम्बाकू के प्रयोग के कारण ही होते हैं।